धर्मशाला, 23 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । धर्मशाला में वीरवार से दो दिवसीय ‘हिम फिल्मोत्सव 2024’ का आगाज हुआ। हिम सिने सोसायटी हिमाचल प्रदेश के सौजन्य से पीजी कॉलेज धर्मशाला के त्रिगर्त सभागार में आयोजित इस फिल्म फेस्टिवल को लेकर आयोजन समिति का दावा है कि ये उत्सव हिमाचल के इतिहास का अपनी तरह का पहला फिल्म उत्सव है जो ना केवल निःशुल्क है बल्कि भारतीय सिनेमा की संस्कृति की बात करने का भी अनूठा प्रयास है। इसमें 40 के करीब फिल्में, लघु फिल्में व डाक्यूमेंट्री प्रस्तुत की जाएंगी। फ़िल्म फेस्टिवल का शुभारंभ कांगड़ा-चंबा के सांसद डॉ राजीव भारद्वाज ने की। समारोह की अध्यक्षता सीयू के कुलसचिव रजिस्ट्रार डॉ सुमन शर्मा ने की।
इसके साथ ही बतौर ज्यूरी चर्चित फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ व बस्तर जैसी फिल्मों के निर्माता निर्देशक सुदीप्तो सेन ने भी शिरकत की। इस दौरान सुदीप्तो सेन ने कहा कि आज भी भारत में भारतीय सिनेमा की बात नहीं होती। कभी थियेटर के जाने माने कलाकर राज कपूर कहा करते थे कि भारत के लोग सपने देखते हैं और हमारा काम सपने बेचना है जो कि बेहद शर्मनाक था। मगर हक़ीक़त ये है कि भारत की संस्कृति और सभ्यता बहुत रिच है और इस पर काम होना बेहद जरूरी था। उन्होंने कहा कि विडंबना रही कि इस पर बहुत कम काम हुआ और आज जब हम ‘द केरला स्टोरी’ समेत रियल स्टोरीज पर काम करते हैं तो उस पर बिना सोचे समझें बिना देखे कंट्रोवर्सी खड़ी हो जाती है।
सुदीप्तो सेन ने कहा कि उन्हें इस बात की बहुत हैरत होती है कि हम ख़ुद को डेमोक्रेटिक रिपब्लिक कंट्री कहते हैं मगर उसमें समुदाय विशेष को लेकर आज भी सोच और विचार अलग से झलकते हैं। मुसलमानों को अलग समझा जाता है। उन्हें वोट बैंक के तौर पर देखा जाता है और जब कोई एक देश एक विधान की बात करता है तो उन पर सवाल खड़े कर दिए जाते हैं। कुछ लोग राजनीतिक दल धड़ों में बंट जाते हैं जो नहीं होना चाहिए।
फिल्म मेकर सुदीप्तो सेन ने कहा कि आज भी भारत में भारतीय सिनेमा देखने को नहीं मिलता बल्कि उसमें कहीं बॉलीवुड, कहीं टॉलीवुड तो कहीं पॉलीवुड की बात होती है। आज हम धर्मशाला को देश का स्विटज़रलैंड कहते हैं मगर क्या स्विटजरलैंड में स्विटजरलैंड का धर्मशाला सुनने को मिलता है। उन्होंने कहा कि हमें अपने स्थानों को क्रेडिट देना सीखना होगा और उन्हें भारतीय सिनेमा में जगह देनी होगी।
वहीं इस मौके पर केन्द्रीय विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के प्रोफेसर बृहस्पति मिश्र ने इस बात की ख़ुशी जाहिर की है कि किसी फिल्मोत्सव में पहली मर्तबा संस्कृत में बनी फ़िल्मों को दिखाने का काम किया जा रहा है ये हम सब के लिये गर्व का विषय है।
युवाओं को प्रेरित करने वाली फिल्मों का हो निर्माण : डॉ भारद्वाज
उधर इससे पूर्व बतौर मुख्यातिथि डॉ राजीव भारद्वाज ने कहा कि आज सभागार में जो श्रोता और दर्शक बैठे हैं उनके लिए ये कार्यक्रम बहुत ही श्रेष्ठ है। ये पीढ़ी ही देश का भविष्य है। दुनिया में भारत का ध्वज यही लहराएंगे। सुदीप्तो सेन से सांसद भारद्वाज ने की अपील कहा कि ऐसी मूवी बनाइए जो नौजवानों को प्रेरित करें, क्योंकि अनुशासनहीन युवा कभी देश को तरक्की की ओर नहीं ले जा सकता।
भारतीय इतिहास व संस्कृति को लेकर बननी चाहिए अच्छी फिल्में : अनिल कुमार
आरएसएस के उत्तर क्षेत्रीय प्रचारक प्रमुख अनिल कुमार ने कहा कि भारतीय संस्कृति व इतिहास को लेकर अच्छी फिल्में बननी चाहिए। भारतीय चित्र साधना इसे लेकर देश भर विभिन्न समितियों को बनाकर कार्य कर रहे हैं। जिसमें हर राज्य में अलग-अलग इकाइयां काम कर रही हैं। इस कड़ी में फ़िल्म की विभिन्न गतिविधियों को लेकर प्रशिक्षण प्रदान करने की प्रक्रिया चल रही है। भारत क्या देखना चाहता है, उसे लेकर भी बात की गई।
समारोह के दोनों दिन प्रसिद्ध फि़ल्म निर्देशकों, समीक्षकों व कलाकारों द्वारा विशेष व सामान्य मास्टर क्लासेस और खुले सत्रों के दौरान फिल्म निर्माण प्रक्रिया उद्देश्य, फिल्मों की बारिकियों पर चर्चा भी हुई।
इस मौके पर साथ ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के उत्तर क्षेत्रीय प्रचारक प्रमुख अनिल कुमार, डलहौजी के विधायक डीएस ठाकुर सहित फ़िल्म समीक्षक भी मौजूद रहे।
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(Udaipur Kiran) / सतिंदर धलारिया