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राष्ट्रीय जल पुरस्कार : जल प्रबंधन में सर्वश्रेष्ठ राज्य की श्रेणी में गुजरात व पुडुचेरी संयुक्त रूप से तीसरे स्थान पर

नई दिल्ली में मंगलवार को आयोजित ‘राष्ट्रीय जल पुरस्कार’ समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से के हाथों पुरस्कार ग्रहण करते गुजरात सरकार के जल संसाधन विभाग के सचिव पी.सी. व्यास

गांधीनगर, 22 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने मंगलवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में 5वें राष्ट्रीय जल पुरस्कार-2023 प्रदान किए। राष्ट्रपति ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय द्वारा घोषित 9 श्रेणियों में 38 विजेताओं को सम्मानित किया। जल प्रबंधन में सर्वश्रेष्ठ राज्य श्रेणी में गुजरात देश में तीसरे स्थान पर रहा। सर्वश्रेष्ठ राज्य की श्रेणी में पहला पुरस्कार ओडिशा को, दूसरा उत्तर प्रदेश को और गुजरात एवं पुडुचेरी को संयुक्त रूप से तीसरा स्थान मिला है। गुजरात की ओर से यह पुरस्कार राज्य के जल संसाधन सचिव वीसी व्यास ने ग्रहण किया।

जल संसाधन विभाग की विज्ञप्ति के अनुसार गुजरात पूरे देश में जल संसाधान के क्षेत्र में टेक्नोलॉजी का उपयोग करने में अग्रणी है। इन प्रयासों ने जल संरक्षण, आपूर्ति प्रबंधन और कृषि उत्पादकता में उल्लेखनीय सुधार किया है। इसके परिणामस्वरूप गुजरात राष्ट्रीय जल पुरस्कार में शीर्ष प्रदर्शन करने वाले राज्यों में से एक बना है। गुजरात सरकार ने राज्य के हर कोने तक शुद्ध पानी पहुंचाने के साथ-साथ राज्य में कुशल जल प्रबंधन प्रथाओं को प्राथमिकता के साथ लागू किया है। इस अवॉर्ड के लिए केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) और केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) द्वारा गहन मूल्यांकन और जमीनी सत्यापन करने के बाद सर्वश्रेष्ठ राज्य की श्रेणी में ओडिशा ने पहला, उत्तर प्रदेश ने दूसरा और गुजरात एवं पुडुचेरी ने संयुक्त रूप से तीसरा स्थान हासिल किया है। नई दिल्ली में आयोजित ‘राष्ट्रीय जल पुरस्कार’ समारोह में राष्ट्रपति ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल की उपस्थिति में गुजरात सरकार के जल संसाधन विभाग के सचिव पीसी व्यास को यह अवॉर्ड प्रदान किया।

तत्कालीन मुख्यमंत्री और मौजूदा प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में गुजरात ने जल प्रबंधन के क्षेत्र में अनेक नई और सफल परियोजनाएं शुरू की हैं। इनमें सुजलाम सुफलाम जल अभियान के तहत शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में 5000 से अधिक जल संरक्षण और रेन वाटर हार्वेस्टिंग संरचनाओं को क्रियान्वित किया गया है। इसके साथ ही जल संरक्षण के विभिन्न कार्यक्रमों के लिए अनुमानित 800 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। इसके अलावा, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत सिंचाई क्षमता में वृद्धि करने के लिए 2.8 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में सूक्ष्म सिंचाई पद्धति का विस्तार किया गया है। इतना ही नहीं पीएमकेएसवाई के तहत टपक और फव्वारा सिंचाई पद्धति के लिए अनुमानित 500 करोड़ रुपये का आवंटन भी किया गया है। पीएमकेएसवाई तथा मुख्यमंत्री किसान सहाय योजना के तहत की गई पहलों के चलते पानी की खपत में लगभग 20 फीसदी की कमी हुई है, जबकि कृषि उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है।

राज्य में जल कुशल टेक्नोलॉजी और खेडूत तालीम कार्यक्रम (किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम) के लिए 1 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। राज्य संचालित कार्यक्रमों के तहत क्षमता निर्माण और संसाधन प्रबंधन के लिए 200 करोड़ रुपये के बजट के साथ 1,200 गांवों में जल उपयोगकर्ता संघों का गठन किया गया है। राज्य के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में जलापूर्ति प्रबंधन के लिए ‘जल जीवन मिशन’ के अंतर्गत राज्य के 90 फीसदी ग्रामीण घरों में 3500 करोड़ रुपये के खर्च से नल कनेक्शन प्रदान किए गए हैं। योजना के तहत वर्ष 2025 तक 100 फीसदी घरों में नल कनेक्शन देने का लक्ष्य है। अटल कायाकल्प और शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत) जैसी योजनाओं के अंतर्गत 2000 करोड़ रुपये के खर्च से 100 फीसदी शहरी क्षेत्रों में पानी उपलब्ध कराने का लक्ष्य है।

भूगर्भ जल प्रबंधन के लिए केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के तहत 150 करोड़ रुपये के अनुमानित खर्च से अति दोहित क्षेत्र में 200 भूगर्भ जल रिचार्ज कुओं का विकास भी किया गया है। इसके अलावा ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के अंतर्गत जल शुद्धिकरण परियोजनाओं के लिए 50 करोड़ रुपये आवंटित कर 500 से अधिक गांवों में जल गुणवत्ता में सुधार किया गया है। स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत जल शोधन परियोजनाओं के लिए 50 करोड़ रुपये आवंटित कर 500 से अधिक गांवों में जल की गुणवत्ता में सुधार किया गया।

गुजरात की जीवन रेखा कहे जाने वाले सरदार सरोवर बांध के माध्यम से मां नर्मदा का जल पूरे राज्य में पीने और सिंचाई के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है। इस पहल के अंतर्गत सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड की सहायक कंपनी गुजरात ग्रीन रिवोल्यूशन कंपनी ने आधुनिक सिंचाई पद्धतियों को अपनाने में मदद की है, जिससे किसानों के बीच जल उपयोग दक्षता में और वृद्धि हुई है।

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(Udaipur Kiran) / बिनोद पाण्डेय

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