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सिंगापुर और भारत के बीच सिंडेक्स सैन्य अभ्यास पश्चिम बंगाल में शुरू

बंगाल के कलाईकुंडा वायुसेना स्टेशन

कोलकाता, 21 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । भारतीय वायुसेना और सिंगापुर गणराज्य वायुसेना के बीच द्विपक्षीय अभ्यास ‘सिंडेक्स’ का नवीनतम संस्करण पश्चिम बंगाल के कलाईकुंडा वायुसेना स्टेशन पर सोमवार को शुरू हुआ।

रक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को बताया कि यह दोनों सेनाओं के बीच 12वां संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण है। सिंगापुर की वायुसेना इस बार अपनी अब तक की सबसे बड़ी टुकड़ी के साथ हिस्सा ले रही है।

यह संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण दो चरणों में आयोजित होगा। पहले तीन सप्ताह के लिए भारतीय वायुसेना और सिंगापुर की वायुसेना अलग-अलग अभ्यास करेंगी। इसके बाद 13 नवंबर से शुरू होकर 21 नवंबर तक द्विपक्षीय चरण आयोजित किया जाएगा।

सिंगापुर ने एफ-16 और एफ-15 विमानों की टुकड़ी भेजी है, जिनके साथ जी-550 और सी-130 ट्रांसपोर्ट विमान भी शामिल हैं। वहीं, भारतीय वायुसेना ने इस अभ्यास में राफेल, मिराज 2000, सुखोई-30, तेजस, मिग-29 और जगुआर जैसे लड़ाकू विमानों के साथ हिस्सा लिया है।

कलाईकुंडा वायुसेना स्टेशन सिंगापुर जैसी सेनाओं को अभ्यास के लिए बेहतरीन अवसर प्रदान करता है। इस एयर बेस पर नवीनतम सुविधाएं उपलब्ध हैं, जिसमें बंगाल की खाड़ी के ऊपर एयर-टू-एयर फायरिंग रेंज और पास के दूधकुंडी में एयर-टू-ग्राउंड फायरिंग रेंज शामिल हैं। इसके अलावा, कलाईकुंडा के ऊपर का आकाश आमतौर पर व्यावसायिक हवाई यातायात से मुक्त रहता है, जिससे अभ्यास के दौरान लड़ाकू विमान बिना किसी बाधा के उड़ान भर सकते हैं। फिर भी, व्यावसायिक पायलटों को दूर रखने के लिए ‘नोटिस टू एयरमेन’ जारी किया गया है।

रक्षा मंत्रालय के अधिकारी ने कहा, यह उम्मीद की जाती है कि द्विपक्षीय चरण के दौरान दोनों सेनाओं के बीच गहन सहयोग होगा, जहां वे उन्नत हवाई युद्ध सिमुलेशन, संयुक्त मिशन योजना और डीब्रीफिंग सत्रों में हिस्सा लेंगे। इस चरण का उद्देश्य ऑपरेशनल क्षमता बढ़ाना, युद्ध तैयारी को और तेज करना और दोनों वायुसेनाओं के बीच ज्ञान का आदान-प्रदान करना है।

उन्होंने बताया कि द्विपक्षीय चरण के दौरान रेड और ब्लू टीमों का गठन किया जाता है। प्रत्येक टीम में दोनों वायुसेनाओं के विमान और कर्मी शामिल होते हैं। रेड टीम ‘हमलावर’ होती है और उसे कुछ लक्ष्यों पर हमला करने का कार्य सौंपा जाता है, जबकि ब्लू टीम ‘रक्षकों’ की भूमिका निभाती है।

उन्होंने यह भी बताया कि विमानों में असली गोलाबारूद नहीं होता, बल्कि ‘मार’ को सिमुलेट किया जाता है और रिकॉर्ड किया जाता है।

उन्होंने कहा कि 2022 में इसी तरह के एक अभ्यास के दौरान, सिंगापुर के एक एफ-16 ने कोलकाता के ऊपर उड़ान भरी थी। यह संभवतः रेड टीम का सदस्य था, जो ‘रक्षकों’ से बचकर अपने लक्ष्य तक पहुंच गया था।

उन्होंने यह भी कहा कि सिंगापुर की वायुसेना के इतने जल्द भारत लौटने का कारण दोनों देशों के बीच मजबूत सैन्य संबंधों का प्रतीक है, जो हाल ही में तरंग शक्ति अभ्यास में उनकी भागीदारी के बाद हो रहा है।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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