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घरेलू और वैश्विक बाजार में रिकॉर्ड ऊंचाई पर सोना, आने वाले दिनों में कीमत और बढ़ने का संभावना

घरेलू और वैश्विक बाजार में रिकॉर्ड ऊंचाई पर सोना

– 3 साल में 63 प्रतिशत महंगा हुआ सोना, चांदी ने भी लगाई 45 प्रतिशत की छलांग

नई दिल्ली, 21 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । भारत में चल रहे फेस्टिवल सीजन के दौरान बढ़ी मांग और वैश्विक परिस्थितियों की वजह से सोना और चांदी रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच कर कारोबार कर रहे हैं। घरेलू बाजार की तरह ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी सोना फिलहाल ऑल टाइम हाई के करीब पहुंच कर कारोबार कर रहा है। माना जा रहा है कि सोने और चांदी की कीमत में आई ये तेजी आने वाले दिनों में भी जारी रह सकती है।

देश के सर्राफा बाजारों में हाजिर सोना 79,500 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर के करीब कारोबार कर रहा है। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर सोने का भाव 78,255 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर तक पहुंच चुका है। इसी तरह चांदी ने भी एमसीएक्स पर 1 लाख रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर को पार कर लिया है। एमसीएक्स में चांदी का मार्च वायदा आज 1,00,564 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया। इसी तरह दिसंबर का वायदा 98,220 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंचा हुआ है। घरेलू बाजार के अलावा अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी सोने और चांदी की कीमत में जोरदार तेजी बनी हुई है। कॉमेक्स पर सोने का भाव 2,744 डॉलर प्रति ऑन्स की रिकॉर्ड ऊंचाई तक पहुंच गया है। इसी तरह चांदी का दिसंबर वायदा 34.32 डॉलर प्रति ऑन्स के स्तर पर पहुंचा हुआ है। पिछले 11 सालों के दौरान ये चांदी का अंतरराष्ट्रीय बाजार में सबसे ऊंचा स्तर है।

जानकारों का कहना है कि मिडिल ईस्ट के तनाव में हुई बढ़ोतरी और दुनिया के कई केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरों में कटौती करने की वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना और चांदी जैसे चीजों को सपोर्ट मिला है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व एक बार ब्याज दर में कटौती कर चुका है। माना जा रहा है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व 7 नवंबर को होने वाली अपनी अगली बैठक में एक बार फिर ब्याज दरों में कटौती करने का फैसला ले सकता है। खासकर, यूरोपीय सेंट्रल बैंक (ईसीबी) द्वारा हाल में ही ब्याज दरों में कटौती करने के बाद अमेरिका में नवंबर में भी ब्याज दरों में कटौती होने की उम्मीद बन गई है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व पहले भी ब्याज दरों में कटौती करने का संकेत हो चुका है। इसी तरह चीन का केंद्रीय बैंक पीपल्स बैंक ऑफ चाइना ने भी 1 साल और 5 साल की ब्याज दरों को घटाने का ऐलान किया है। माना जा रहा है कि ब्याज दरों में होने वाली कटौती से सोने और चांदी की कीमत को और सपोर्ट मिलेगा।

इसके साथ ही नवंबर में अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव पर भी निवेशकों की नजर टिकी हुई है। माना जा रहा है कि इस बार राष्ट्रपति चुनाव में बड़ा उलट फिर हो सकता है। इसी बात से आशंकित निवेशकों ने सुरक्षित निवेश के रूप में सोने और चांदी में अपना निवेश बढ़ा दिया है। निवेशकों द्वारा एक्टिव होकर सोने और चांदी की खरीदारी करने के कारण इन दोनों धातुओं की चमक लगातार बढ़ती जा रही है।

अगर घरेलू बाजार में सोने-चांदी की कीमत की बात की जाए तो पिछले तीन साल की अवधि में इन दोनों चमकीली धातुओं की कीमत में जोरदार तेजी आई है। एमसीएक्स पर पिछले एक हफ्ते के दौरान सोने के भाव में लगभग 2 प्रतिशत तक की तेजी आ चुकी है। मासिक आधार पर देखा जाए तो सोने की कीमत करीब 5 तक बढ़ चुकी है। इसी तरह 2024 में सोना अभी तक 23 प्रतिशत महंगा हो चुका है, जबकि 3 साल पहले के आंकड़े को देखा जाए, तो सोने की कीमत में लगभग 63 प्रतिशत की तेजी आ चुकी है। इसी तरह चांदी की कीमत में पिछले 3 साल के दौरान 45 प्रतिशत तक की तेजी आ चुकी है, जबकि पिछले 1 साल के दौरान चांदी ने 28 प्रतिशत की मजबूती दिखाई है। अगर साप्ताहिक आधार पर देखें तो चांदी की कीमत पिछले एक सप्ताह के दौरान 4.5 प्रतिशत बढ़ चुकी है, वहीं पिछले एक महीने के दौरान चांदी 6 प्रतिशत महंगी हुई है।

बुलियन मार्केट के एक्सपर्ट राजेश राजदान क्या कहना है कि वैश्विक परिस्थितियों में जिस प्रकार का बदलाव हो रहा है, खासकर मिडिल ईस्ट में जिस तरह से तनाव की स्थिति बनी है, उसकी वजह से दुनिया भर के निवेशकों ने सुरक्षित निवेश के रूप में सोना और चांदी में पैसा लगाना शुरू कर दिया है। सोना और चांदी को पारंपरिक तौर पर सेफ इन्वेस्टमेंट माना जाता है। निवेशकों के लगातार बढ़ रहे रुझान, कई देशों में ब्याज दरों में कमी होने और कई देशों के केंद्रीय बैंकों द्वारा सोने की खरीदारी करने के कारण 2025 में भी सोने की तेजी जारी रहने की संभावना है।

राजेश राजदान का कहना है कि अगर हालात में कोई बड़ा उलटफेर नहीं हुआ, तो आने वाले दिनों में सोना 3,200 डॉलर प्रति ऑन्स के स्तर तक भी पहुंच सकता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में आने वाली इस तेजी से भारतीय बाजार भी काफी हद तक प्रभावित होंगे, क्योंकि भारत में सोने की जरूरत का अधिकांश भाग अंतरराष्ट्रीय बाजार से होने वाले आयात पर ही निर्भर करता है। ऐसे में अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना तेजी आई, तो भारतीय बाजार में भी ये चमकीली धातु रॉकेट की रफ्तार से ऊपर जा सकती है।

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(Udaipur Kiran) / योगिता पाठक

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