– सुहागिनों ने किया चांद का दीदार, मांगी सजना की सलामती की दुआ
– पति के प्रेम के आगे महिलाओं को न भूख, न प्यास का डर
मीरजापुर, 20 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । मेरा चांद मुझे आया है नजर! एक चांद आसमान में रोशन था तो दूसरा चेहरे पर मुस्कान समेटे सामने खड़ा था। अवसर था करवा चौथ का। सुहाग वाली रात हाथों में पूजा की थाली लेकर जब सुहागिन चांद निहारी तो उनके चेहरे का नूर भी मनभावन सा खिल उठा। ये ख्वाहिश हर सुहागिन की करवा चौथ की रात होती है। उत्साह, उमंग व उल्लास, त्याग व समर्पण का भाव, सूर्योदय से सूर्यास्त तक निर्जल निराहार, फिर शाम हुई तो आसमान को निहारती निगाहें। जैसे-जेसे शाम ढलती गई चांद के नजर आने का इंतजार व उत्साह बढ़ता चला गया। जैसे ही चांद नजर आया, चांद की रौशनी में चेहरे खुशियों से दमक उठे। पति के प्रेम के आगे न भूख, न प्यास का डर था। साजन की लंबी उम्र के लिए सुहागिन महिलाएं पूजा-पाठ में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहती थीं। चांद का दर्शन करने के बाद पति की छवि चलनी में देखी। पति ने भी पानी पिलाकर व्रत खुलवाया।
शहर समेत पूरे विंध्य क्षेत्र में सुहागिन महिलाओं ने रविवार को करवा चौथ कुछ इसी अंदाज में हर्षोल्लास के साथ मनाई। महिलाओं ने निर्जल निराहार रहकर व्रत किया। शिव पार्वती व प्रथम पूज्य गणपति का पूजन किया। फल-फूल व नैवेद्य अर्पित किए। चन्द्रमा को अर्घ्य अर्पित कर सुख-समृद्धि व पति की दीर्घायु की कामना की।
इस मौके पर महिलाओं ने एक-दूसरे को करवा चौथ की शुभकामनाएं दी और सुहाग के प्रतीक भी भेंट किए। बड़ी बूढ़ी महिलाओं से कहानी सुनी व आशीर्वाद लिया। फिर पति के हाथों पानी पी कर व्रत खोला।महिलाओं में सुबह से ही पर्व का उल्लास नजर आया। सूर्योदय के साथ ही उन्होंने व्रत शुरू कर दिया व शाम तक भूखी प्यासी रही। रविवार को छुट्टी होने के कारण पति भी घर पर ही थे।
ऐसे नजर आया अपनत्व
सुहागिनों के खास पर्व पर जहां महिलाओं ने व्रत पूजन कर पति की लंबी आयु की कामना की तो पति ने खुद अपने हाथों पत्नी को पानी पिलाकर व्रत खुलवाया। इस दौरान एक-दूसरे के प्रति विश्वास का भाव नजर आया। कई लोगों ने इस मौके पर उपहार दिए।
मंदिरों में विशेष श्रृंगार
शहर के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित चौथ माता मंदिरों में विशेष श्रृंगार किए गए। मंदिरों मेंं श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। वहीं रात को घर की छत से उदित चंद्रमा को चलनी की ओट से निहारने के बाद मिट्टी के करवा से अर्घ्य प्रदान कर पति के दीर्घायु होने की कामना की। इस दौरान महिलाएं नए परिधानों व आभूषणों में सजी नजर आईं।
महिलाओं का श्रृंगार देख चांद को भी हुई हैरानी
करवा चौथ व्रत के साथ तमाम धार्मिक मान्याताएं तो जुड़ी ही हैं। इसके अलावा यह पति-पत्नी के अटूट बंधन का प्रतीक भी है। सभी सुहागिनें इस इंतजार में थीं कि कब आकाश में चांद की छटा दिखे और वह अपने प्रियतम के हाथ से पानी और खाने का पहला निवाला खाकर अपना व्रत पूर्ण करें। चांद दिखा तो महिलाओं के चेहरे चमक उठे। करवाचौथ व्रत को लेकर महिलाओं में खासा उत्साह दिखा। आखिर ये मौका एक बार फिर दुल्हन की तरह श्रृंगार करके अपने पति के प्रति अपनी निष्ठा और प्रेम दिखाने का जो है। वैसे महिलाओं का श्रृंगार देख चांद को भी हैरानी हुई कि धरती पर उसके जैसे लाखों चांद पूरे लावण्य के साथ कैसे खिल रहे हैं।
आसमान में चांद दिखने के बाद महिलाओं ने छन्नी से चांद को देखा और इसके बाद अपने पति का चेहरा निहारा। पतियों ने पत्नियों को पानी पिलाकर उनका व्रत खोला। अमूमन विवाहित महिलाएं करवाचौथ का व्रत रखती हैं, लेकिन कुछ कुंवारी युवतियां भी अच्छे पति की मनोकामना के साथ व्रत रखी। इस खुशी के मौके पर महिलाएं घर में कई तरह के पकवान भी बनाईं। करवाचौथ वाले दिन शाम ढलते ही बाजारों में दुकानों के शटर गिरने शुरू हो गए। अन्य दिनों की बजाय बाजार करीब एक घंटा पहले ही बढ़ता नजर आया। सभी को अपने परिवार के साथ त्योहार मनाने की जल्दबाजी थी।
गजरे ने महकाई करवा चौथ
करवा चौथ पर मोबाइल का सबसे अधिक क्रेज रहा। गिफ्ट के तौर पर सुहागिनों के बीच स्मार्टफोन को लेकर चर्चाएं रहीं। अधिकतर ने समयाभाव के चलते आनलाइन खरीदारी के लिए इंटरनेट पर ही पसंद करने की छूट दे रखी थी। कुछ ने उपहार के रूप में अपने साथी को ही नजदीक रहने की इच्छा जाहिर की। हालांकि इस दिन फूलों के गजरों का प्रचलन भी अधिक रहा।
इंटरनेट माध्यम से दर्शाई नजदीकियां
हाल-फिलहाल में वैवाहिक बंधन में बंधे जोड़ों में करवा चौथ का बेसब्री से इंतजार होते देखा गया। नव विवाहिता यानी घर का चांद अपने चांद से मिलने के लिए छतों पर बेकरार इधर से उधर चक्कर लगाती देखी गई। इंटरनेट मीडिया पर रविवार को करवाचौथ ही छाई रही। विवाहित जोड़ों ने दूर रहकर भी इंटरनेट माध्यम से नजदीकियां दर्शाई। अपने दिल की हर बात दूर रहकर भी जीवनसाथी से साझा किया। नवविवाहित जोड़ों ने जोश के साथ गीत-संगीत का जमकर लुत्फ उठाया। एक-दूसरे को उपहार देने का दौर भी चलता रहा।
(Udaipur Kiran) / गिरजा शंकर मिश्रा