Uttar Pradesh

सीओपीडी से पीड़ित के फेफड़े क्षतिग्रस्त या कफ से भर सकते हैं : डॉ शुभम

चिकित्सकगण

–एएमए में वैज्ञानिक संगोष्ठी का आयोजन

प्रयागराज, 20 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन कनवेन्शन सेंटर में एएमए उपाध्यक्ष डॉ0 त्रिभुवन सिंह की अध्यक्षता में वैज्ञानिक संगोष्ठी का आयोजन हुआ। जिसमें छाती रोग विशेषज्ञ डॉ0 शुभम अग्रवाल ने अपने व्याख्यान में बताया कि क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) एक आम फेफड़ों की बीमारी है, जो वायु प्रवाह को बाधित करती है और सांस लेने में समस्या पैदा करती है। सीओपीडी से पीड़ित लोगों के फेफड़े क्षतिग्रस्त हो सकते हैं या कफ से भर सकते हैं।

रविवार का आयोजित संगोष्ठी में उन्होंने बताया कि इसके लक्षणों में खांसी, कभी-कभी कफ के साथ, सांस लेने में कठिनाई, घरघराहट और थकान शामिल हैं। धूम्रपान और वायु प्रदूषण सीओपीडी के सबसे आम कारण हैं। सीओपीडी का इलाज सम्भव नहीं है। लेकिन धूम्रपान न करने, वायु प्रदूषण से बचने और टीके लगवाने से यह ठीक हो सकता है। इसका इलाज दवाओं, ऑक्सीजन और पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन से किया जा सकता है। सीओपीडी के लिए कई उपचार उपलब्ध हैं। सीओपीडी (क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) के उपचार में पुरानी बीमारी का इलाज और वर्तमान स्थिति का उपचार शामिल है। अक्सर, इसका कारण अज्ञात होता है, हालांकि अधिकांश रोग बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण के कारण होते हैं।

जिन मरीजों की हालत ऑक्सीजन थेरेपी से बिगड़ती है, उन्हें वेंटिलेटरी सहायता की आवश्यकता होती है। कई मरीज़ जिन्हें तबीयत खराब होने के बाद अस्पताल से छुट्टी मिलने पर पहली बार घर पर ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। 30 दिनों के बाद सुधार होता है और अब ऑक्सीजन की आवश्यकता नहीं होती है। इसलिए, डिस्चार्ज के 60 से 90 दिन बाद घर पर ऑक्सीजन की आवश्यकता का पुनर्मूल्यांकन किया जाना चाहिए।

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(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र

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