नई दिल्ली, 20 अक्टूबर (Udaipur Kiran) ।ब्लैक डायमंड के नाम से मशहूर बांस से बनने वाला चारकोल पानी को शुद्ध करने के साथ साथ चेहरे की सेहत के लिए भी फायदेमंद है। एक चिकित्सा अध्ययन में दावा किया है कि बांस का चारकोल वायु प्रदूषण के चलते हवा में मौजूद जहरीले तत्वों को चेहरे पर टिकने नहीं देता है। साथ ही भीषण गर्मी में इसकी परत त्वचा का बचाव भी करती है।
इंटरनेशनल कांफ्रेंस ऑफ मल्टीडिसिप्लेनरी रिसर्च एंड प्रैक्टिस जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में कहा है कि बांस चारकोल प्राकृतिक रुप से कई खनिजों जैसे कैल्शियम, मैग्नीशियम, एसीटिक एसिड, हाइड्रॉक्सिल बेंजीन आदि से भरपूर होता है। इससे निर्मित क्रीम या फेसवास बेहद लाभकारी होती हैं जो जीवाणुओं की वृद्धि को रोकते हैं। चेहरे की त्वचा को कीटाणु रहित करते हैं तथा संक्रमण फैलाने वाले जीवाणुओं को मार डालते हैं।
आयुथवेदा के निदेशक डॉ. संचित शर्मा ने बताया कि सक्रिय बांस चारकोल से निर्मित आयुथवेदा चारकोल फेसवास त्वचा की गंदगी और अशुद्धियों को बाहर निकाल कर त्वचा को साफ़ करता है। यह त्वचा को प्रदूषण से बचाता और अतिरिक्त तेल को सोख लेता है। इससे आसानी से मेकअप भी हट जाता है। जिम के दौरान वर्कआउट के बाद जमा हुए पसीने और विषाक्त पदार्थों को यह कुशलता से खत्म करता है। इसमें सक्रिय बांस चारकोल के साथ साथ अति लाभकारी कमल, पलाश, गेंदा तथा गुलाब के फूलों एवं मौसम्बी और संतरे का अर्क भी मिलाते हैं।
बांस की कटाई के बाद इसे बहुत उच्च तापमान पर कार्बोनाइज किया जाता है जिससे इसका सतह क्षेत्र और वजन का अनुपात लगभग 1200:1 तक बढ़ाया जा सके। और इस विधि से बने सक्रिय बांस चारकोल को विभिन्न उत्पादों में उपयोग किया जाता है।
जब सक्रिय बांस चारकोल के साथ फेसवास का निर्माण किया जाता है, तो यह त्वचा से विषाक्त एवं हानिकारक पदार्थों को अवशोषित करने में अधिक सक्षम होता है, जिसके परिणामस्वरूप त्वचा अधिक स्वस्थ होती है, इसलिए इसका उपयोग मुँहासे के प्रभावी प्राकृतिक उपचार के रूप में किया जाता है। बांस चारकोल फेसवास की कई किस्में, एशियाई और यूरोपीय बाजार में उपलब्ध हैं।
डॉ. संचित शर्मा बताते हैं कि चारकोल युक्त सौंदर्य प्रसाधन प्रदूषण से होने वाले विभिन्न त्वचा विकारों के खतरों को भी कम करते हैं। उनके मुताबिक बांस के टुकड़ों एवं जड़ों से चारकोल तैयार होता है। इसे ब्लैक डायमंड के नाम से भी जानते हैं।हालांकि चारकोल अन्य लकड़ियों से भी बनता है लेकिन वन कानूनों के चलते इसे हासिल करना आसान नहीं है। जबकि बांस पेड़ नहीं है, एक घास है, उससे हासिल करने में कोई दिक्कत नहीं है। सबसे तेजी से बढ़ने वाले पौधा बांस में कई अनूठी विशेषताएं हैं जिसमें से अन्य नियमित कोयले की तुलना में इसकी अवशोषण दर चार गुना और सतह क्षेत्र 10 गुना अधिक है।वैज्ञानिक तथ्यों के अनुसार, बांस चारकोल इंफ्रारेड किरणों को भी रोकते हैं और त्वचा को इसके दुष्प्रभाव से बचाकर रखता है।
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(Udaipur Kiran) / अनूप शर्मा