नई दिल्ली, 19 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । कांग्रेस ने किसानों की फसलों की खरीद के लिए केंद्र सरकार की ओर से तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को नाकाफी बताया है। साथ ही एमएसपी पर किसानों की फसलों की खरीद के लिए कानूनी गारंटी देने की मांग की है।
कांग्रेस के नेशनल मीडिया को-आर्डिनेटर अभय दुबे ने शनिवार को पार्टी मुख्यालय में पत्रकार वार्ता में केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि एमएसपी तय किए जाने के दौरान स्वामीनाथन समिति की रिपोर्ट और राज्य सरकारों की उचित मांगाें काे नजरअंदाज किया गया। केंद्र सरकार ने स्वंय एमएसपी पर फसलों की खरीद तय की लेकिन उचित खरीदारी भी नहीं हो रही है। इसलिए किसानों को मजबूरन अपनी फसलें कम दामों पर बाजार में बेचनी पड़ रही है। उन्हाेंने एमएसपी की कानूनी गारंटी काे जरूरी बताया। इसके पहले किसान नेता भी एमएसपी की कानूनी गारंटी देने के लिए अध्यादेश की मांग केंद्र सरकार से कर चुके हैं।
उन्होंने कहा कि अभी तक के रिकार्ड बताते हैं कि केंद्र सरकार ने अपने द्वारा तय एमएसपी पर भी अधिकांश किसानों की फसलें नहीं खरीदीं। जिन फसलों को खरीद कर भंडारण किया उन्हें ऐसे समय में इन्हें बाजार में उतार देती है जब किसानों की नई फसलें बाजार में आनेवाली होती हैं। इससे किसानों की नई फसलों की कीमत नहीं मिलती है। अब केंद्र सरकार ने रबी सीजन के लिए समर्थन मूल्य की घोषणा की है, लेकिन हर बार न पर्याप्त खरीद की जाती है, न उचित दाम दिया जाता है और न समर्थन मूल्य की क़ानूनी गारंटी का इंतजाम होता है।
कांग्रेस नेता दुबे ने कहा कि केंद्र सरकार ने दो दिन पहले महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के किसानों की सोयबीन की फसलें एमएसपी पर खरीदने की घोषणा की, जो नाकाफी है। यहां के किसानों की सोयाबीन की फसलों पर समर्थन मूल्य कम से कम 6,000 रुपये निर्धारित किया जाए जिसकी सिफारिश राज्य सरकारों ने भी की है। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सोयाबीन का एमएसपी 4892 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है जो पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले अधिक है। पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में सोयाबीन का एमएसपी 4600 रुपये था। पिछले साल के मुकाबले इस बार सोयाबीन के एमएसपी में 292 रुपये की बढ़ोतरी की गई है। इससे पहले वित्त वर्ष 2021-22 सीजन के लिए 350 रुपये की बढ़ोतरी की गई थी। वहीं 2023-24 में सोयाबीन के एमएसपी में 300 रुपये की वृद्धि की गई थी।
अभय दुबे ने कहा कि एमएसपी निर्धारण से पहले महाराष्ट्र सरकार ने केंद्र सरकार से कहा था कि हमें गेहूं का समर्थन मूल्य 4,461 रुपये दीजिए, क्योंकि हमारी लागत ही 3,527 रुपये आती है, लेकिन इन्होंने सिर्फ 2,425 रुपये दिए। इसी तरह झारखंड सरकार ने गेहूं का 2,855 रुपये मांगा और गुजरात सरकार भी गेहूं का समर्थन मूल्य 4,050 रुपये मांग रही था। महाराष्ट्र सरकार ने केंद्र से कहा था कि 2025-26 में चने का समर्थन मूल्य 7,119 रुपये घोषित कीजिए, लेकिन केंद्र ने 5,650 रुपये घोषित किया। इसी तरह मध्य प्रदेश और बिहार सरकार ने मसूर के लिए समर्थन मूल्य 7,298 और 6,825 रुपये मांगा था, लेकिन केंद्र ने सिर्फ 6,700 रुपये दिए। बिहार ने सरसों के लिए समर्थन मूल्य 7,298 और असम ने 6,215 रुपये मांगा था, लेकिन केंद्र सरकार ने सिर्फ 5,950 रुपये घोषित किया।
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(Udaipur Kiran) / बिरंचि सिंह