जयपुर, 19 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । पिया प्रेम व्रत है राखों, उत्सव पावन आयो रे, चरण पिया संसार म्हारों, पिया म्हारो प्यारो रे… सुहाग पर्व करवा चौथ का त्योहार रविवार को मनाया जाएगा है। करवा चौथ का त्योहार हिंदू रीति रिवाजों में कई मायनों में महिलाओं के लिए बेहद खास होता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए सुबह से ही निर्जला व्रत रखती हैं और रात को चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही अपना व्रत खोलती हैं। करवा चौथ को लेकर शहरों और कस्बों के बाजारों में इन दिनों काफी रौनक देखी जा रही है। महिलाएं करवाचौथ के लिए कपड़े, गहने, चूड़ियां और अन्य सामान की खरीदारी की जा रही है।
करवा चौथ को लेकर कुम्भकार भी जोर शोर से करवा बनाने के काम में जुटे हैं। कुम्भकार सुरेश ने बताया की इस सुहाग पर्व पर सामान्य मिट्टी के करवे की तरह और कई डिजाइन के करवे मुख्य रूप से पसंद किए जाते है। इसकी तैयारियां जारी हैं। त्योहार के अवसर पर सैकड़ों की संख्या में तैयार किए गए हैं और बाजार में बीस रुपये से चालीस रुपये की कीमत में बेचे जा रहे हैं। इसके तहत पहले मिट्टी को साफ कर चाक पर हाथों से स्वरूप दिया जाता है। इसके पश्चात इसमें मिट्टी कलर करके ढांचा तैयार कर इसे आग की सहायता से भट्टी पर पकाया जाता है। पूरी तरह पकने के पश्चात इनमें सुंदर सुंदर रंग भरकर बाजार में बेचने के लिए तैयार किया जाता है। कुम्भकारों का कहना है कि आमजन में देशी वस्तुओं के लिए भावना पुनरू जागृत होने से उनके उत्पाद की अच्छी मांग है।
सुख-समृद्धि और पति की लंबी आयु की जाएगी कामना
महिलाओं द्वारा रविवार को करवा चौथ पर गणेश जी और चौथ माता मंदिर में सुख-समृद्धि और पति की लंबी आयु की कामना की जाएगी। इसके साथ ही परिवार की महिलाओं के साथ गणेश जी और चौथ माता की कथा सुनेगी और चौथ माता की विधिवत पूजा-अर्चना की जाएगी। इस दौरान चौथ माता की ज्योत देखकर आरती कर पकवानों का भोग लगाया जाएगा। पूजा में मिट्टी और चीनी के करवे की भी पूजा कर सुहाग की वस्तुओं का दान भी किया जाएगा। सुहागिन महिलाओं ने चौथ माता की पूजा-अर्चना के बाद चांद का दीदार कर पति के हाथों पानी पीकर व्रत खोलेगी। इससे पहले रात्रि में चांद के दीदार के बाद चीनी मिट्टी के करवे की अदला-बदली करने के बाद बयाना दिया जाएगा, जिसमें सात पुरियां , गुलगुले, मिठाइयां आदि का चांद को अर्घ्य दिया जाएगा। वहीं सुहागिनें रात को सुहाग की तेरह वस्तु व तेरह करवे कलप कर उद्यापन किया जाएगा। इधर कुंवारी कन्या अच्छा के वर की मनोकामना के लिए व्रत रखेगी। करवा चौथ के अवसर पर एक दिन पहले शहर के बाजारों में मिट्टी व चीनी के करवे की दुकानें सज गई, जिन्हें महिलाएं खरीदती नजर आई। वहीं एक दिन पूर्व शनिवार को महिलाओं ने बाजारों और घरों में कई जगह बैठे मेहंदी लगाने वालों से विभिन्न डिजाइनों की मेहंदी लगवाई।
ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस वर्ष करवा चौथ रविवार को होने के कारण भगवान गणेश,चौथ माता, चंद्र देव के साथ ही सूर्य की पूजा का शुभ योग बन रहा है। करवा चौथ पर दिन की शुरुआत सूर्य को अर्घ्य देकर की जाए तो बहुत शुभ रहेगा।
चतुर्थी तिथि के दिन प्रकट हुए थे श्री गणेश
प्रथम पूज्य श्री गणेश जी महाराज चतुर्थी तिथि के दिन ही प्रकट हुए थे। इस कारण उन्हें इस तिथि का स्वामी माना जाता है। गणेश जी की कृपा पाने की कामना से भक्त चतुर्थी तिथि पर व्रत और भगवान गणेश की विशेष पूजा करते है। करवा चौथ पर गणेश जी के साथ ही चौथ माता और चंद्र देव की पूजा की जाती है। रात्रि के समय चंद्र उदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर विवाहिताएं अपने पति की लंबी उम्र और सौभाग्य की कामना करती है और उसके बाद चौथ माता की कथा पढ़ती या सुनती है। जिसके बाद ही विवाहिताएं खाना-पीना ग्रहण करती है। ऐसी मान्यता है कि चौथ माता की कथा सुने बिना व्रत पूरा नहीं माना जाता है।
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(Udaipur Kiran)