Haryana

हिसार: फिजियोथैरपी के माध्यम से बहुत सी शारीरिक परेशानियों को स्थायी रूप से ठीक करना संभव : प्रो. नरसीराम बिश्नोई

विश्व फिजियोथैरपी दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रमों का शुभारंभ करते कुलपति प्रो. नरसीराम बिश्नोई।
चौधरी रणबीर सिंह सभागार में लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन करते कुलपति प्रो. नरसीराम बिश्नोई।

‘विश्व फिजियोथैरपी दिवस’ के उपलक्ष्य पर विश्वविद्यालय में कार्यक्रम का आयोजन

मॉडल एवं पोस्टर प्रदर्शनी भी लगाई गई, कुलपति ने की सराहना

हिसार, 18 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । गुरू जंभेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसीराम बिश्नोई ने कहा है कि फिजियोथैरपी प्राकृतिक के साथ-साथ वैज्ञानिक चिकित्सा पद्धति भी है। आधुनिक जीवन शैली से होने वाले शारीरिक व मानसिक समस्याओं के समाधान के लिए फिजियोथैरपी अत्यंत उपयोगी तथा महत्वपूर्ण है।

प्रो. नरसीराम बिश्नोई शुक्रवार को विश्वविद्यालय के फिजियोथैरपी विभाग के सौजन्य से ‘विश्व फिजियोथैरपी दिवस’ के उपलक्ष्य में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि फिजियोथैरपी बीमारी की रोकथाम तथा उसके इलाज के लिए हर स्तर पर काम करती है। बीमारी से पहले भी, बीमारी के दौरान और बीमारी के बाद भी इस चिकित्सा पद्धति की विशेष भूमिका रहती है। इस चिकित्सा पद्धति से दीर्घकालीन स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है। उन्होंने स्वयं का उदाहरण देते हुए बताया कि फिजियोथैरपी के माध्यम से बहुत सी शारीरिक परेशानियों को स्थायी रूप से ठीक किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का फिजियोथैरपी विभाग हरियाणा के किसी भी सरकारी विश्वविद्यालय में आरंभ किया गया पहला फिजियोथैरपी विभाग है।

कुलसचिव प्रो. विनोद छोकर ने इस अवसर पर कहा कि फिजियोथैरेपिस्ट अनकहे हीरो हैं। इनका चिकित्सा क्षेत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान है। इस वर्ष विश्व फिजियोथैरपी दिवस का थीम लो बैक पेन था। लो बैक पेन वर्तमान समय में अत्यंत आम समस्या हो गई है। अधिकतर व्यक्ति अपने जीवन में इस समस्या का सामना करते हैं। फिजियोथैरपी इस समस्या का स्थायी समाधान है। उन्होंने कहा कि हालांकि हमारे देश में लगभग छह लाख 25 हजार फिजियोथैरेपिस्ट कार्य कर रहे हैं। इसके बावजूद यह संख्या जरूरत के हिसाब से बहुत कम है।

संकाय की अधिष्ठाता प्रो. सुमित्रा सिंह ने कहा कि भारतीय परंपरा में फिजियोथैरपी सदियों से है।बच्चे के जन्म के तुरंत बाद उसकी मसाज तथा स्कूलों में पीटी आदि फिजियोथैरेपी का ही एक भाग है। फिजियोथैरेपी इलनैस और वैलनैस के बीच एक पुल का काम करती है। विभागाध्यक्ष डा. जसप्रीत कौर ने अपने स्वागत संबोधन में फिजियोथैरपी दिवस तथा फिजियोथैरपी के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

विभाग द्वारा इस अवसर पर सभागार में एक मॉडल तथा पोस्टर प्रदर्शनी भी लगाई गई। इस प्रदर्शनी के माध्यम् से प्रतिभागियों ने फिजियोथैरेपी के विभिन्न आयामों को रेखांकित किया। विभाग के विद्यार्थियों ने इस अवसर पर सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी दी। धन्यवाद संबोधन डा. शबनम जोशी ने प्रस्तुत किया। इस अवसर पर विभाग के सभी शिक्षक, गैर शिक्षक कर्मचारी तथा विद्यार्थी उपस्थित रहे।

(Udaipur Kiran) / राजेश्वर

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