गोरखपुर, 17 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । जिले में नौ से बीस सितम्बर तक चलाए गए सक्रिय क्षय रोगी खोजी (एसीएफ) अभियान के जरिये 414 नये टीबी रोगियों की खोज हुई है। इन सभी का इलाज शुरू किया जा चुका है। रोगियों और उनके परिजनों को सरकार की तरफ से मिलने वाली अन्य सेवाएं भी दी जाएंगी। यह जानकारी जिला क्षय उन्मूलन अधिकारी डॉ. गणेश यादव ने दी। उन्होंने बताया कि इससे पहले भी बारह एसीएफ अभियान चलाए जा चुके हैं, जिनके जरिये 3145 नये टीबी मरीजों को खोज कर इस बीमारी से उन्हें मुक्ति दिलाई जा सकी।
डॉ. यादव ने बताया कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आशुतोष कुमार दूबे के नेतृत्व में इस बार चले अभियान में करीब 10.38 लाख की आबादी की स्क्रीनिंग की गई। इस आबादी में से टीबी के लक्षण वाले 5114 संभावित टीबी मरीजों के बलगम जांच के लिए भेजे गये। जांच के बाद 230 मरीज टीबी पॉजीटिव पाए गये। इसी प्रकार एक्स रे के जरिये 184 नये टीबी मरीज खोजे गये । इस अभियान के दौरान कुल 415 टीम ने नये मरीजों की खोज में मदद की ।
उन्होंने बताया कि इन सभी मरीजों को दवाएं सरकारी अस्पताल से दी जाएंगी । निक्षय पोषण योजना के तहत 500 रुपये प्रति माह की दर से पोषण सहायता राशि मिलेगी । यह रकम नवम्बर में बढ़ कर एक हजार रुपये प्रति माह होने जा रही है। इन मरीजों के निकट सम्पर्कियों की भी टीबी जांच होगी। जो निकट सम्पर्की टीबी के मरीज नहीं निकलेंगे, उन्हें भी छह माह तक टीबी से बचाव की दवा खिलाई जाएगी। इनमें से जरूरतमंत टीबी मरीजों को निक्षय मित्रों की मदद से एडॉप्ट भी कराया जाएगा ताकि इलाज के दौरान उन्हें पर्याप्त पोषण और समय-समय पर मानसिक संबल मिल सके। खोजे गये प्रत्येक नये टीबी मरीज की सीबीनॉट जांच, एचआईवी और मधुमेह की भी जांच कराई गई है ताकि सही दिशा में इलाज चल सके।
जिला स्तरीय टीम ने की देखरेख
जिला क्षय उन्मूलन अधिकारी ने बताया कि पूरे अभियान की देखरेख जिला स्तर से उप जिला क्षय उन्मूलन अधिकारी डॉ. विराट स्वरूप श्रीवास्तव, जिला कार्यक्रम समन्वयक धर्मवीर प्रताप सिंह, पीपीएम समन्वयक अभय नारायण मिश्र और मिर्जा आफताब बेग ने की । अभियान को सफल बनाने के लिए धर्मगुरू, शहरी क्षेत्र की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, पीआरडी जवान, ग्राम पंचायत अधिकारी और ग्राम विकास अधिकारियों समेत इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम की भी मदद ली गयी।
पोर्टल पर होता है पंजीकरण
चरगांवा ब्लॉक के वरिष्ठ उपचार पर्यवेक्षक मनीष तिवारी का कहना है कि जो भी नये टीबी मरीज खोजे जाते हैं, उनका कार्ड बनता है और उन्हें निक्षय मित्र पोर्टल पर पंजीकृत किया जाता है। एसीएफ अभियान में जो नये मरीज खोजे गये हैं उनसे बैंक पासबुक और आधार का विवरण मांगा गया है ताकि उन्हें निक्षय पोषण योजना की सहायता राशि का लाभ दिया जा सके।
लक्षण हो तो आशा को बताएं
डॉ. गणेश यादव ने बताया कि 11 अक्टूबर से शुरू होकर 31 अक्टूबर तक चलने वाले दस्तक अभियान के दौरान भी नये टीबी रोगियों को खोजा जा रहा है। अगर किसी को दो सप्ताह से अधिक की खांसी, रात में पसीने के साथ बुखार, सीने में दर्द, बलगम में खून आना, सांस फूलना और तेजी से वजन घटने जैसे लक्षण दिखें तो आशा कार्यकर्ता को बताएं। शीघ्र जांच और उपचार से टीबी उन्मूलन में और इसका प्रसार रोकने में मदद मिलेगी।
(Udaipur Kiran) / प्रिंस पाण्डेय