RAJASTHAN

गोगुंदा-झाड़ोल तहसील में लेपर्ड की माैजूदगी काे लेकर उदयपुर व बांसवाड़ा-डूंगरपुर सांसद के बीच वार-पलटवार

फेसबुक अकाउंट पर पोस्ट शेयर

जयपुर, 16 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । उदयपुर की गोगुंदा-झाड़ोल तहसील में करीब एक महीने से दहशत फैला रहे लेपर्ड काे लेकर अब राजनीति शुरू हो गई है। भारतीय आदिवासी पार्टी के कार्यकर्ताओं के आरोपों का उदयपुर सांसद मन्नालाल रावत ने फेसबुक पोस्ट के जरिए जवाब दिया है। सांसद ने पोस्ट में लिखा कि ‘गोगुंदा-सायरा के जंगलों में ये लेपर्ड कहीं बाप ने तो नहीं छोड़े।’ बाप के कार्यकर्ताओं ने कुछ दिन पहले आरोप लगाया था कि आदिवासी इलाकों में लेपर्ड को जानबूझकर लाया गया है। ये आदिवासी समाज को खत्म करने की योजना है।

गोगुंदा में लेपर्ड ने अब तक सात लोगों का शिकार कर चुका है। वहीं, झाड़ोल में दो लोगों काे मारा है। सर्च ऑपरेशन के 23 दिन बीत जाने के बाद भी वन विभाग द्वारा लगाए गए सीसीटीवी कैमरों में भी आदमखोर तेंदुआ कैप्चर नहीं हो पाया है। वन विभाग अभी भी पगमार्क के जरिए ही अनुमान लगा रहा है।

उदयपुर सांसद ने मंगलवार रात को अपने फेसबुक अकाउंट पर पोस्ट शेयर की थी। पोस्ट में सीधे तौर पर बाप पार्टी को निशाना बनाया गया। पोस्ट में सांसद ने लिखा कि ‘गोगुंदा-सायरा के जंगलों में ये लेपर्ड कहीं बाप पार्टी ने तो नहीं छोड़े।’ पोस्ट को लेकर सांसद मन्नालाल रावत ने कहा कि इस मुददे पर लगातार बीएपी वाले सोशल मीडिया और अन्य जगहों पर आक्रमण कर रहे हैं। भ्रम फैलाने के लिए कह रहे हैं कि बीजेपी वालों ने तो लेपर्ड नहीं छोड़े, आदिवासियों को जंगल से भगाने के लिए। मैंने भी फेसबुक के जरिए सवाल पूछ लिया। ये मेरा बयान नहीं है। मेरा तो इतना सा है कि कहीं इनका षडयंत्र तो नहीं है इसलिए जनता से पूछा है ताकि किसी को ध्यान होगा तो मुझे बताएंगे।

बांसवाड़ा-डूंगरपुर सांसद राजकुमार रोत ने बीजेपी सांसद के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि रावत का मानसिक संतुलन बिगड़ गया है। अगर उन्हें बुखार भी आ जाए तो वे इसके लिए हमें (बीएपी) को जिम्मेदार ठहराएंगे। रोत ने कहा कि गोगुंदा में आदमखोर लेपर्ड लगातार इंसान और पशुओं को अपना शिकार बना रहा है। वहीं, बीजेपी के नेता अपनी जिम्मेदारी से दूर भागते हुए गंदी राजनीति करने पर तुले हुए हैं। गोगुंदा में आदमखोर लेपर्ड से ग्रामीणों को बचाने के कार्य में लगे बीएपी के 16 कार्यकर्ताओं पर झूठा मुकदमा दर्ज किया गया। कार्यकर्ताओं ने प्रशासन को सजग करने के लिए एक छोटे रास्ते पर अपना प्रदर्शन किया था, लेकिन बीजेपी ने उन्हें भी नहीं बख्शा।

वन विभाग की टीम 23 दिन से लेपर्ड की तलाश कर रही है। फिलहाल राठौड़ों का गुड़ा और केलवों का खेड़ा गांवों के बीच कुछ पगमार्क दिखाई दिए हैं, लेकिन गश्त के दौरान टीम को दिखाई नहीं दे रहा है। जहां पगमार्क मिले, वहां भी गश्ती दल तैनात है। सीसीटीवी भी लगे हैं। डीएफओ मुकेश सैनी का कहना है कि हमारी टीमें लगातार निगरानी कर रही है, लेकिन अभी लेपर्ड नहीं दिखा।

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(Udaipur Kiran) / रोहित

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