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देश की समुद्री विरासत को ऊंचाई देगा लोथल में निर्माणाधीन मैरीटाइम हेरिटेज कॉम्प्लेक्स

नेशनल मैरीटाइम हेरिटेज कॉम्प्लेक्स का प्रस्तावित विकास मॉडल
नेशनल मैरीटाइम हेरिटेज कॉम्प्लेक्स का प्रस्तावित विकास मॉडल

अहमदाबाद, 16 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । गुजरात की प्राचीन विरासत का एक महत्वपूर्ण स्थल लोथल एक बड़े परिवर्तन का साक्षी बनने जा रहा है। केंद्र सरकार ने हाल में गुजरात के लोथल में नेशनल मैरीटाइम हेरिटेज कॉम्प्लेक्स (एनएमएचसी) के विकास को स्वीकृति दी थी। बंदरगाह, जहाजरानी तथा जल मार्ग मंत्रालय द्वारा संचालित इस पहल का उद्देश्य भारत की 4,500 वर्ष पुरानी समुद्री विरासत को सहेजना और लोगों को इस पुरानी सभ्यता से परिचित कराना है। एनएमएचसी का चरण 1ए के तहत अभी काम प्रगति पर है। इसका करीब 60 प्रतिशत कार्य पूर्ण हुआ है।

नेशनल मैरीटाइम हेरिटेज कॉम्प्लेक्स यानी राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर का शिलान्यास मार्च-2019 में किया गया था, जो विश्व का सबसे बड़ा मैरीटाइम कॉम्प्लेक्स बनने जा रहा है। यह समग्र परियोजना दो चरणों में पूर्ण की जाएगी। प्रत्येक चरण को आगंतुकों के अनुभव एवं शैक्षणिक प्रभाव को बढ़ाने के उद्देश्य से डिजाइन किया गया है। लोथल में नेशनल मैरीटाइम हेरिटेज कॉम्प्लेक्स भारत की समुद्री विरासत को सम्मानित एवं संरक्षित करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है। एनएमएचसी का चरण 1ए के तहत अभी काम प्रगति पर है। इसका करीब 60 प्रतिशत कार्य पूर्ण हुआ है।

प्रोजेक्ट से जुड़े आधिकारिक सूत्र के अनुसार इस चरण के अंतर्गत एनएमएचसी म्यूजियम का निर्माण किया जाएगा, जिसमें 6 दीर्घाएं शामिल की जाएंगी। यह संग्रहालय भारतीय नौसेना (नेवी) तथा तट रक्षकों (कोस्ट गार्ड्स) को समर्पित किया जाएगा। यह देश में सबसे बड़ा म्यूजियम होगा। इन दीर्घाओं में नौसेना के आईएनएस निशांक, सी हेरियर एयरक्राफ्ट तथा यूएच3 हेलीकॉप्टर जैसे युद्धपोत प्रदर्शित किए जाएंगे। इसके अतिरिक्त; चरण 1ए में प्राचीन लोथल टाउनशिप का मॉडल, एक ओपन एक्वेटिक (जलचर) गैलरी तथा जेटी वॉकवे का समावेश किया जाएगा। 1,238 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत के साथ इस चरण के तहत आने वाले कार्य वर्ष 2025 में पूर्ण करने की अवधि निर्धारित की गयी है। इसके लिए मुख्य बंदरगाहों, रक्षा मंत्रालय तथा संस्कृति मंत्रालय के योगदान से फंड प्रदान किया गया है। चरण 1बी में एनएमएचसी म्यूजियम में और 8 दीर्घाएं तथा एक प्रकाशस्तंभ संग्रहालय भी बनाया जाएगा। लाइटहाउस म्यूजियम को विश्व का सबसे ऊँचा म्यूजियम बनाने की योजना है। इसमें एक उद्यान परिसर शामिल होगा, जिसमें लगभग 1,500 वाहनों के लिए पार्किंग, एक फूड हॉल तथा मेडिकल सेंटर होंगे। इस लाइटहाउस म्यूजियम का अनुमानित खर्च 266.11 करोड़ रुपये है, जिसके लिए प्रकाशस्तंभ एवं प्रकाशपोत महानिदेशालय द्वारा कोष प्रदान किया जाएगा।

एनएमएचसी के द्वितीय चरण में तटवर्ती राज्यों तथा केन्द्रशासित प्रदेशों द्वारा विशेष पैवेलियन बनाया जाएगा। इनमें समुद्री थीम पर बनाए गए इको-फ्रेंड्ली रिजोर्ट तथा ‘म्यूज्योटेल’ बनाए जाएंगे, जो म्यूजियम एवं होटल को जोड़ेंगे। आगंतुक-पर्यटक लोथल के प्राचीन शहर की झलक प्राप्त कर सकेंगे। चार थीम पार्क के साथ मैरीटाइम इंस्टीट्यूट तथा हॉस्टल बनाया जाएगा। चार थीम पार्क में मैरीटाइम एण्ड नेवल, क्लाइमेट चेंज, मॉन्यूमेंट्स तथा एडवेंचर एंड अम्यूजमेंट पार्क शामिल हैं। ये सभी थीम पार्क लोगों को समुद्री विरासत के विषय में विस्तार से अवगत कराएंगे। केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने एक रणनीतिक योजना बना कर एनएमएचसी प्रोजेक्ट के आगामी चरणों के कार्यों को स्वीकृति दी है। इन चरणों को स्वैच्छिक दान द्वारा कोष प्रदान किया जाएगा तथा उनकी प्रगति पर्याप्त धन एकत्र करने पर निर्भर रहेगी। बंदरगाह, जहाजरानी तथा जल मार्ग मंत्री के नेतृत्व में एक विशेष सोसाइटी द्वारा इन चरणों के कामकाज का संचालन किया जाएगा। एनएमएचसी के विकास से रोजगार के 15 हजार प्रत्यक्ष व 7 हजार परोक्ष अवसर सृजित होंगे। आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने के साथ-साथ; इससे स्थानीय समुदायों, पर्यटकों, शोधकर्ताओं, खोजियों, विद्वानों, सरकारी संस्थानों, शैक्षणिक संस्थानों, सांस्कृतिक संस्थानों, पर्यावरणीय समूहों एवं व्यवसायों को लाभ होगा।

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(Udaipur Kiran) / बिनोद पाण्डेय

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