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शेयर बाजार की चाल पर कंपनियों के तिमाही नतीजों का पड़ेगा असर, ग्लोबल डेटा भी डालेंगे प्रभाव

शेयर बाजार की चाल पर कंपनियों के तिमाही नतीजों का पड़ेगा असर

नई दिल्ली, 13 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । मिडिल ईस्ट का तनाव, विदेशी निवेशकों की बिकवाली और वैल्यूएशन से संबंधित चिन्ताओं के कारण पिछले सप्ताह घरेलू शेयर बाजार में लगातार दबाव की स्थिति बनी रही। हालांकि इस सप्ताह बाजार में एक बार फिर तेजी का माहौल बनने और उतार-चढ़ाव में कमी आने की संभावना जताई जा रही है।

मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस सप्ताह इन्वेस्टर की नजर मुख्य रूप से हुंडई मोटर इंडिया के मेगा आईपीओ, चीन की तिमाही जीडीपी के आंकड़ों, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल (क्रूड) की कीमत और अमेरिकी बाजार में रिटेल सेल और वीकली जॉब के आंकड़ों पर टिकी रहने वाली है। इसके साथ इस सप्ताह देश की कई दिग्गज कंपनियां अपने तिमाही नतीजे जारी करने वाली हैं, जिनमें रिलायंस इंडस्ट्रीज, एचडीएफसी बैंक और इंफोसिस जैसी देश की मोस्ट वैल्युएबल कंपनियां शामिल हैं।

धामी सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट प्रशांत धामी को उम्मीद है कि घरेलू शेयर बाजार हायर जोन में कंसोलिडेट होगा। हालांकि उन्होंने कंसोलिडेशन के साथ ही मार्केट के डाउनग्रेड होने की आशंका भी जताई, जो शॉर्ट से मीडियम टर्म में भारत के प्रीमियम वैल्यूएशन को कम कर सकता है।

धामी के अनुसार सोमवार से शुरू होने वाले सप्ताह के दौरान निवेशकों का मुख्य ध्यान तिमाही नतीजों पर होगा। पिछले सप्ताह टीसीएस के कमजोर नतीजे आने के बाद अब सब की निगाहें अगले सप्ताह आने वाले इंफोसिस के तिमाही नतीजों पर टिकी रहने वाली है। इसके अलावा निफ्टी 50 सूचकांक में शामिल रिलायंस इंडस्ट्रीज, कोटक महिंद्रा बैंक, एचडीएफसी बैंक, एचसीएल टेक्नोलॉजी, एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस, बजाज ऑटो, एक्सिस बैंक, नेस्ले इंडिया, टेक महिंद्रा, टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स और एलटी माइंडट्री जैसी कंपनियां भी अपना तिमाही नतीजा जारी करेंगी। निफ्टी में इन कंपनियों का वेटेज 38 प्रतिशत से भी अधिक है। इसलिए अगर इन कंपनियों के नतीजे सकारात्मक रहे, तो सूचकांक में तेजी आएगी। वहीं अगर इनके नतीजे कमजोर रहे, तो बाजार के संवेदी सूचकांक में एक बार फिर गिरावट आ सकती है।

इसके अलावा इसी सप्ताह एचडीएफसी ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी, जियो फाइनेंशियल सर्विसेज, आरबीएल बैंक, एलएंडटी फाइनेंस, एंजेल वन, सिएट, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, स्टर्लिंग एंड विल्सन रिन्यूएबल एनर्जी, पीवीआर आईनॉक्स, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, आदित्य बिरला मनी, एलएंडटी टेक्नोलॉजी सर्विसेज, जिंदल स्टेनलेस लिमिटेड, इंडियन ओवरसीज बैंक, हैवेल्स इंडिया, टाटा केमिकल्स, टाटा कम्युनिकेशंस, पॉलिकैब इंडिया, एम्फैसिस, आईसीआईसीआई लोंबार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी, एलएंडटी फाइनेंस, जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज, ओबेरॉय रियल्टी, एमसीएक्स इंडिया और जिंदल सॉ लिमिटेड भी अपने तिमाही आंकड़ों की घोषणा करेंगी। इन कंपनियों के नतीजे भी स्टॉक मार्केट की चाल पर असर डालेंगे।

निवेशकों की नजर 14 अक्टूबर को ही जारी होने वाले सितंबर के कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (सीपीआई) और होलसेल प्राइस इंडेक्स (डब्ल्यूपीआई) पर भी टिकी रहने वाली है। अगस्त में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स जुलाई के 3.60 प्रतिशत से बढ़ कर 3.65 प्रतिशत हो गया था, जबकि होलसेल प्राइस इंडेक्स जुलाई के 2.04 प्रतिशत से कम होकर अगस्त में 1.31 प्रतिशत के स्तर पर आ गया था। ऐसे में सितंबर में महंगाई दर से संबंधित ये दोनों आंकड़े किस स्तर पर रहे, इस बात से भी बाजार पर असर पड़ेगा।

इसके अलावा 15 अक्टूबर को बैलेंस ऑफ ट्रेड के आंकड़ों का ऐलान किया जाएगा। इसी तरह सितंबर के लिए पैसेंजर व्हीकल सेल्स के आंकड़े 17 अक्टूबर को जारी किए जाएंगे। इसके अलावा 11 अक्टूबर को समाप्त हुए कारोबारी सप्ताह के लिए फॉरेन रिजर्व के आंकड़े भी 18 अक्टूबर को जारी होंगे। आर्थिक मानकों से जुड़े इन आंकड़ों पर भी घरेलू शेयर बाजार के निवेशकों की नजर टिकी रहने वाली है।

अगले सप्ताह ग्लोबल मार्केट की स्थिति और वैश्विक अर्थव्यवस्था के आंकड़े पर भी निवेशक अपनी नजर बनाए रखेंगे। सोमवार से शुरू होने वाले सप्ताह के दौरान ग्लोबल इकोनामिक डेटा में मुख्य फोकस अमेरिका में रिटेल सेल और वीकली जॉब के आंकड़ों पर रहने वाला है। इसके अलावा यूरोपीय सेंट्रल बैंक 17 अक्टूबर को नीतिगत ब्याज दरों के बारे में अपने फैसले का ऐलान करने वाला है। माना जा रहा है कि यूरोपीय सेंट्रल बैंक ब्याज दरों में 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती करके इसे 3.25 प्रतिशत के स्तर पर ला सकता है। बैंक के अधिकारियों ने ब्याज दर में कटौती करने के संकेत पहले भी दिए हैं। अगर यूरोपीय सेंट्रल बैंक ब्याज दरों में कटौती करता है, तो इससे भी ग्लोबल मार्केट की चाल में सुधार आने की उम्मीद बनेगी, जिसका प्रत्यक्ष या परोक्ष असर भारतीय शेयर बाजार की चाल पर भी होगा।

अगले सप्ताह बाजार की नजर जिस एक चीज पर सबसे अधिक रहने वाली है, वो है विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) और घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) की मार्केट एक्टिविटी। अक्टूबर के महीने में विदेशी संस्थागत निवेशक अभी तक 58 हजार करोड़ रुपये से अधिक के शेयर बेचकर शुद्ध बिकवाल की भूमिका में आ गए हैं। विदेशी निवेशकों ने मार्च 2020 के बाद पहली बार किसी एक महीने में भारतीय शेयर बाजार से इतनी अधिक निकासी की है। जानकारों का कहना है कि अगर विदेशी निवेशक आगे भी बिकवाली जारी रखते हैं, तो बाजार पर दबाव बढ़ने की संभावना बनी रहेगी।

दूसरी ओर, घरेलू संस्थागत निवेशकों ने इस महीने जिस तरह से शेयर बाजार को सपोर्ट किया है, उससे भी लोगों की उम्मीद बढ़ी है। घरेलू संस्थागत निवेशकों ने विदेशी निवेशकों के आउटफ्लो की भरपाई करने के लिए इस महीने अभी तक लगभग 58 हजार करोड़ रुपये के शेयर खरीदे हैं, जो किसी एक महीने में डीआईआई की खरीद का अभी तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। माना जा रहा है कि अगर इसी तरह डोमेस्टिक इनफ्लो जारी रहा, तो इक्विटी मार्केट को काफी सपोर्ट मिलेगा। इसके साथ ही विदेशी निवेशकों के आउटफ्लो के कारण बनने वाले दबाव का भी सामना किया जा सकेगा।

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(Udaipur Kiran) / योगिता पाठक

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