बीकानेर, 13 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज यूरोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मुकेश आर्य ने मरीजों से नेशनल मेडिकल काउंसिल से अधिकृत यूरोलॉजी डॉक्टर्स से पथरी, प्रोस्टेट, किड्नी संबंधित रोगों से जुड़ी अन्य यूरॉलोजी समस्या का उपचार करवाने का आग्रह किया है।
रविवार को मेडिकल कॉलेज सभागार में यूरोलॉजी जागरूकता दिवस के अवसर पर पत्रकार वार्ता में डॉ. आर्य ने बताया कि वर्तमान में अनेक मरीज पथरी का उपचार अन्य चिकित्सा पद्धतियों से करवाकर अंत में एलोपैथिक चिकित्सा पद्धती से उपचार करवाने पहूंचते है तब तक उनके गुर्दे खराब हो चुके होते है , डॉ. आर्य के अनुसार एक वर्ष में 70 से 80 मरीजों के गुर्दों को ऑपरेशन कर निकालना पड रहा है ऐसी स्थिति में मरीज यदि शुरूआत में ही जागरूक रहकर सीधे पीबीएम अस्पताल के यूरोलॉजी विभाग में दिखाने आए तो उनको तुरंत राहत मिल सकती है, साथ ही मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना के तहत सभी प्रकार के ऑपरेशन नि:शुल्क किए जाते है , ठीक इसी प्रकार मूत्र मार्ग संक्रमण, प्रोस्टेट कैंसर, किड्नी स्टोन, पुरूष बांझपन स्तभंन दोष, महिलाओं में पेशाब लीक आदि अनेक समस्याएं ऐसी है जिसका जागरूकता के अभाव में सही यूरोलॉजी चिकित्सक तक नहीं पहूंच पाने के कारण उचित उपचार नहीं मिल पाता और कई बार मरीज असमय काल का ग्रास तक बन जाता है।
डॉ. आर्य ने बताया कि पहले की तुलना में यूरोलॉजी की सीटेंअ बढ़ने से यूरोलॉजी चिकित्सकों की उपलब्धता पर्याप्त मात्रा में है देशभर में यूरोलॉजी की 300 सीटे, राजस्थान में 40 सीटें है। वहीं बीकानेर के पीबीएम अस्पताल में 4 यूरोलॉजिस्ट एवं निजी क्षेत्र में 4 कुल 8 यूरोलॉजिस्ट चिकित्सकों की सेवाएं उपलब्ध है। योग्य यूरोलॉजिस्ट का महत्व यूरोलॉजिकल बीमारियों का सही समय पर और उचित उपचार करना बेहद जरूरी है। ऐसे में यूरोलॉजिस्ट की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है। एक योग्य यूरोलॉजिस्ट एमसीएच, डीएनबी, एफआरसीएस जैसे डिग्री धारक) गहन प्रशिक्षित और अनुभवी होते हैं और यूरोलॉजिकल रोगों के इलाज में निपुण होते हैं। यूरोलॉजी जागरुकता दिवस का उद्देश्य यह भी है कि आम जनता को यह पता चले कि यूरोलॉजिकल समस्याओं के लिए सही विशेषज्ञ का चुनाव कितना महत्वपूर्ण है। पेशाब रोकने की समस्या (स्ट्रेस यूरीनरी इंकंटिनेंस) से जूझ रहीं महिलाओं को घबराने की जरूरत नहीं है। आज के समय में प्रभावी और सुरक्षित इलाज संभव है। विशेषज्ञों का कहना है कि महिलाओं को इस समस्या का सामना करते समय इसे छिपाने या नजरअंदाज करने के बजाय तुरंत किसी यूरोलॉजिस्ट से परामर्श लेना चाहिए। इलाज में आधुनिक दवाओं व टीओटी स्लिंग द्वारा ऑपरेशन किया जा रहा है, जो बेहद कारगर साबित हो रही हैं। उल्लेखनीय है की महिलाओं की इस समस्या के निदान के लिए सप्ताह में दो बार सोमवार और बुधवार को सुबह 9 से दोपहर 3 बजे तक पीबीएम के यूरोलॉजी विभाग में कैंप का आयोजन कर स्क्रीनिंग की जाती है।
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(Udaipur Kiran) / राजीव