चित्तौड़गढ़, 12 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । किसी विभाग का मंत्री अगर उसी जिले का हो तो कहते है कि उस विभाग का कायाकल्प हो जाता है। लेकिन चित्तौड़गढ़ के सहकारिता विभाग के हालात इससे उलट है। इसका कारण है कि चित्तौड़गढ़ जिले में सहकारिता विभाग में जिला स्तर के पूर्ण कालिक अधिकारियों के पद पर ही नियुक्ति नहीं हो पा रही है। सहकारिता विभाग के अंतर्गत आने वाले उपरजिस्ट्रार, सहकारी समितियां और स्पेशल ऑडिटर सहकारी समितियां के पद पर लम्बे समय से पूर्णकालिक अधिकारी की नियुक्ति नहीं हो पाई है। वहीं पिछले 6 वर्षाें से इस विभाग की कमान चित्तौड़गढ़ जिले से निर्वाचित हुए विधायकों के हाथों में है। पिछले कांग्रेस सरकार में पांच साल उदयलाल आंजना इस विभाग के मंत्री रहे है थे, जो कि जिले की निंबाहेड़ा विधानसभा से विधायक निर्वाचित हुए थे। वहीं वर्तमान में गौतम दक ने सहकारिता विभाग की कमान संभाल रखी है, जो की जिले की बड़ीसादड़ी विधानसभा सीट से विधायक निर्वाचित हुए हैं। लेकिन उपरजिस्ट्रार और स्पेशल ऑडिटर का पद पिछले 4 वर्षाें से खाली चल रहा है और उधार के अधिकारियों के भरोसे विभाग का कामकाज संचालित हो रहा है। इससे आम जनता को भारी परेशानियां उठानी पड़ रही है।
अतिरिक्त प्रभार के करण अधिकारी मुख्यालय से नदारद
जानकारी के अनुसार नवम्बर 2020 तक उपरजिस्ट्रार के पद पर पीआर आमेरिया पदस्थापित थे, लेकिन उसके बाद से ही दोनों पद लगातार खाली है। दूसरे अधिकारियों को अतिरिक्त प्रभार देकर विभागीय कामकाज का संचालन किया जा रहा है। सत्ता परिवर्तन के बाद बड़ीसादड़ी विधायक गौतम दक सहकारिता मंत्री बने है और जनता को आस थी कि किसी अच्छे ईमानदार अधिकारी की पूर्णकालिक नियुक्ति हो पाएगी। लेकिन एक साल बीतने को है पर अभी तक यह नियुक्ति नहीं हो पाई है। वर्तमान में जयदेव देवल को चित्तौड़गढ़ के उपरजिस्ट्रार का अतिरिक्त प्रभार देकर काम चलाया जा रहा है। इनके पास उदयपुर और प्रतापगढ़ का भी चार्ज है। इसके कारण वे कभी-कभी ही चित्तौड़गढ़ आ पाते है। बड़ी बात यह है कि कार्यालय में स्पेशल ऑडिटर की तो नियुक्ति ही नहीं हुई है। ऐसे में लगता है कि मंत्री को अपने जिले के लिए ही अधिकारी नहीं मिल रहे है।
कई काम लम्बित
सहकारिता विभाग के उपरजिस्ट्रार और स्पेशल ऑडिटर कार्यालय के अधीन सभी ग्राम सेवा सहकारी समितियां, दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियां, सभी खेल संघ, सभी प्रकार के एनजीओ सहित सहकारिता संस्थाएं आती है। इनके गठन से लेकर चुनाव करवाने, ऑडिट करने, वित्तिय अनियमितताओं की जांच करने की जिम्मेदारी भी इन्हीं अधिकारियों पर होती है। बड़ी बात यह है कि सहकारिता से जुड़े कई लोग अपनी फरियाद लेकर सहकारिता विभाग के चक्कर काट कर चप्पल घिस रहे है लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है और विभागीय कामकाज उधार के भरोसे के अधिकारियों से चल रहा है।
इस संबंध में सहकारिता मंत्री गाैतम दक का कहना है कि उपरजिस्ट्रार और स्पेशल ऑडिटर का पद खाली है लेकिन कुछ ही दिनों में इन पदों को भर दिया जाएगा। विभागीय अधिकारियों की स्थानान्तरण की सूची शीघ्र कुछ ही दिनों में जारी हो जाएगी।
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(Udaipur Kiran) / अखिल