इंफाल, 12 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । पूरे मणिपुर में जबरन वसूली के मामलों में वृद्धि के बीच मणिपुर पुलिस ने एडीजीपी (कानून और व्यवस्था) के नेतृत्व में एक जबरन वसूली विरोधी सेल की स्थापना की है, जिसमें सभी जोनल आईजीपी सदस्य हैं। सेल को पूरे राज्य में जबरन वसूली विरोधी अभियानों की निगरानी का काम सौंपा गया है। इसमें पुलिस ने अन्य सुरक्षा एजेंसियों के साथ समन्वय में, जबरन वसूली गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए जिलों में 15 विशेष क्रैक टीमें बनाई हैं।
एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान आईजीपी (खुफिया) के. कबीब ने कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि इन प्रयासों के बावजूद संगठित तरीके से जबरन वसूली राज्य में जारी है। उन्होंने इसे रोकने के लिए जनता की सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने नागरिकों से आग्रह किया कि उग्रवादी पैसे की मांग करते हैं या किसी से मांगते देखते हैं तो वे आगे आकर पुलिस को इसकी जानकारी दें। उन्होंने आश्वासन दिया कि जानकारी देने वालों की पहचान गोपनीय रखी जाएगी। उन्होंने कहा कि समुदायों को मोरल पुलिसिंग में शामिल होने से बचना चाहिए, क्योंकि खुफिया रिपोर्टों से पता चलता है कि ये गतिविधियां अक्सर गुप्त जबरन वसूली के लिए कवर के रूप में काम करती हैं। इसके बजाय, निवासियों को कानून प्रवर्तन अधिकारियों को किसी भी संदिग्ध व्यक्ति की रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
आईजीपी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पिछले साल मई में संकट की शुरुआत के बाद से, विभिन्न भूमिगत समूह और आपराधिक गिरोह लगातार दान की आड़ में पैसे की मांग कर रहे हैं। जबरन वसूली राष्ट्रीय राजमार्गों, बाजारों, स्कूलों और स्थापित संस्थानों तक फैल गई है, जहां अवैध कर लगाए जा रहे हैं। जबरन वसूली के अलावा, ये समूह अपहरण, ग्रेनेड हमलों और फोन के माध्यम से धमकियां जारी करने में शामिल रहे हैं, जिससे आम नागरिक आर्थिक तंगी और व्यापक चिंता में डूब गए हैं।
उन्होंने बताया कि पिछले एक साल में पुलिस ने उल्लेखनीय प्रगति की है। जबरन वसूली में सीधे तौर पर शामिल 121 व्यक्तियों और अवैध अभ्यास से जुड़े 250 से अधिक भूमिगत और गिरोह के सदस्यों को गिरफ्तार किया है। राष्ट्रीय राजमार्ग 2 पर आवश्यक वस्तुओं के सुरक्षित परिवहन को सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार ने सड़क खोलने वाली गश्त के लिए 16 केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) कंपनियों को तैनात किया है। साथ ही दो अतिरिक्त कंपनियां ट्रकों के लिए एस्कॉर्ट सेवाएं प्रदान कर रही हैं। पुलिस ने जबरन वसूली के हॉटस्पॉट की पहचान की है, जहां जिला कानून प्रवर्तन ने अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर मोबाइल टीम गश्त, तलाशी और निगरानी अभियान बढ़ाए हैं। इन व्यापक प्रयासों के बावजूद आईजीपी के कबीब ने जबरन वसूली को खत्म करने में सार्वजनिक सहयोग के महत्व को दोहराया।
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(Udaipur Kiran) / श्रीप्रकाश