कोलकाता, 12 अक्टूबर (Udaipur Kiran) ।
धर्मतला में जारी अमरण अनशन के आठवें दिन आंदोलनरत डॉक्टरों की सेहत कमजोर होती जा रही है। एक जूनियर डॉक्टर ने शनिवार को बताया कि सभी अनशनकारियों की शारीरिक स्थिति काफी कमजोर हो चुकी है, हालांकि अभी तक हालत स्थिर है। डॉक्टरों ने बताया कि यह आंदोलन केवल कोलकाता तक सीमित नहीं है बल्कि पूरे पश्चिम बंगाल में इसका असर दिख रहा है। उत्तरबंगाल में भी दो डॉक्टर अनशन पर बैठे हैं और उनसे लगातार संपर्क बना हुआ है।
डॉक्टरों ने अपनी आगामी योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने रविवार को घर-घर में अरंधन (खाना न पकाने) का आह्वान किया है। इसके साथ ही सोमवार से निजी अस्पतालों के कर्मचारी भी आंशिक हड़ताल करेंगे, जिससे सरकारी अस्पतालों के आंदोलनरत कर्मियों के साथ एकजुटता प्रकट की जा सके।
रविवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की बंगाल शाखा ने भी कोलकाता और राज्य के अन्य जिलों में 12 घंटे के प्रतीकात्मक अनशन की घोषणा की है। यह अनशन सुबह आठ बजे से रात आठ बजे तक चलेगा। संगठन के सदस्य डॉक्टर द्वैपायन मजूमदार ने कहा कि यदि इसके बाद भी कोई समाधान नहीं निकलता है, तो वे वैकल्पिक कदम उठाने पर विचार करेंगे।
शुक्रवार रात को ‘वेस्ट बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट’ ने बताया कि दो और जूनियर डॉक्टर अलोलीका घोड़ुई और परिचय पांडा ने अमरण अनशन शुरू किया है। परिचय, शिशुमंगल अस्पताल के ईएनटी विभाग के पीजीटी छात्र हैं, जबकि अलोलीका कोलकाता नेशनल मेडिकल कॉलेज में सर्जरी विभाग की प्रथम वर्ष की छात्रा हैं। दोनों डॉक्टरों ने स्पष्ट किया कि जब तक सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती, वे अपने जीवन को दांव पर लगाकर संघर्ष करते रहेंगे।
यह अनशन पिछले शनिवार रात साढ़े आठ बजे शुरू हुआ था, जिसमें पहले दिन छह डॉक्टर शामिल हुए थे। अगले दिन अनिकेत महतो ने अनशन में हिस्सा लिया, लेकिन शारीरिक स्थिति बिगड़ने के कारण उन्हें गुरुवार रात आरजी कर मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराना पड़ा। उनकी स्थिति में सुधार हो रहा है, लेकिन वह अभी भी डॉक्टरों की निगरानी में हैं। स्निग्धा नामक एक अन्य अनशनकारी की हालत भी बिगड़ रही है, मगर किसी ने भी अपना मनोबल नहीं खोया है। शुक्रवार रात तक अनशनरत डॉक्टरों की संख्या बढ़कर आठ हो गई, जबकि उत्तरबंगाल मेडिकल कॉलेज के दो अन्य डॉक्टर भी इस आंदोलन का हिस्सा बने हुए हैं।
सरकार के खिलाफ डॉक्टरों का यह आंदोलन लगातार तेज हो रहा है, और उनकी मांगों के समाधान की दिशा में राज्य सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर