Haryana

झज्जर में लागू हाेगा ग्रेप,निर्माण स्थल पर लगाने होंगे लाइव कैमरे

एक फाइल फोटो

झज्जर, 11 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान(ग्रेप) के दौरान सर्दी के इस मौसम में धूल से फैलने वाले प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) अब सख्त हो गया है। शुक्रवार को बोर्ड ने सार्वजनिक नोटिस जारी कर निर्माण एवं तोड़फोड़ स्थलों पर धूल को उड़ने से रोकने के उपाय लागू करने के निर्देश दिए। साथ ही डस्ट मैनेजमेंट पोर्टल पर 500 वर्ग मीटर व इससे अधिक क्षेत्र में कंस्ट्रक्शन एवं डिमोलिशन (निर्माण एवं तोड़फोड़) साइट को एचटीटीपी://डीयूएसटीएपीपीएचएसपीसीबी डाट काम के माध्यम से अपना पंजीकरण कराने को कहा। इतना ही नहीं अपनी निर्माण एवं तोड़फोड़ गतिविधि के दौरान लाइव कैमरे लगाने के निर्देश भी दिए हैं ताकि बोर्ड यहां की गतिविधि की लाइव फीड देख सकें। अगर किसी निर्माण एवं तोड़फोड़ स्थल का पंजीकरण नहीं मिला और हर तरह की गतिविधि का स्व प्रमाणित आडिट और लाइव फीड नहीं मिली तो एचएसपीसीबी बोर्ड की ओर से संबंधित स्थल पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। उधर अब क्षेत्र का प्रदूषण का स्तर भी येलो जोन में जा पहुंचा है। शुक्रवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक 113 माइक्रोग्राम दर्ज किया गया।

एचएसपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी शक्ति सिंह ने बताया कि 500 वर्ग मीटर या इससे अधिक के क्षेत्र पर निर्माण व तोड़फोड़ गतिविधियों का पंजीकरण कराना अनिवार्य है। इससे इन साइटों की बेहतर निगरानी में मदद मिलती। खासकर तब जब हवा की गुणवत्ता बिगड़ती है। शक्ति सिंह ने बताया कि पोर्टल पर उपलब्ध डेटा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और अन्य सिविक एजेंसियों को साइट की जांच करने और यह सुनिश्चित करने में मदद करेगा कि वहां पर धूल कम करने के उपायों को समय पर लागू किया गया या नहीं। इन साइट पर नियमित निगरानी रखी जाएगी और पानी के नियमित छिड़काव और निर्माण सामग्री को ढक कर रखने जैसे उपायों का पालन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वायु गुणवत्ता सूचकांक जैसे ही 200 को पार करेगा, वैसे ही ग्रेप के प्रथम चरण की पाबंदियां लागू हो जाएंगी। ऐसे में आयोग की ओर से प्रदूषण रोकने के लिए काफी कदम उठाए जाएंगे। इन्हीं में से एक निर्माण एवं तोड़फोड़ स्थलों पर धूल नियंत्रण भी है।

निर्माण एवं तोड़फोड़ स्थलों पर धूल रोकने के लिए कई तरह के जरूरी उपाय करने का आदेश दिया गया। निर्माणाधीन स्थलों पर एंटी स्माग गन लगाने और सभी निर्माणाधीन स्थलों को प्रति माह वेब पोर्टल पर कम से कम दो सेल्फ आडिट अपलोड करने होंगे तथा परियोजना की वीडियो फेंसिंग करने का निर्देश दिया गया है। यानी, सभी स्थलों पर धूल कम करने के उपाय सुनिश्चित करने होंगे। कहा गया है कि परियोजना की लाइव फीड के लिए पीटीजेड आधारित वेब कैमरों के साथ कम लागत वाले पीएम 10 और पीएम 2.5 सेंसर लगाए जाए और भवन निर्माण सामग्री को हवा रोकने वाली दीवार/हरे पर्दे से ढंक दिया जाना चाहिए ताकि हवा के रिसाव को रोका जा सके।

बोर्ड ने निर्देश दिए हैं कि पांच हजार से 10 हजार वर्ग मीटर के निर्माण व तोड़फोड़ स्थल पर एक एंटी स्माग गन होनी चाहिए और 10 हजार एक से 15 हजार वर्ग मीटर के निर्माण व तोड़फोड़ स्थल पर दो एंटी स्माग गन होनी चाहिए। स्पष्ट किया है कि 15 हजार एक से 20 हजार वर्ग मीटर के निर्माण व तोड़फोड़ स्थल पर तीन एंटी स्माग गन होनी चाहिए और 20 हजार से अधिक वर्ग मीटर के निर्माण व तोड़फोड़ स्थल पर चार एंटी स्माग गन होनी चाहिए

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(Udaipur Kiran) / शील भारद्वाज

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