नई दिल्ली/अजमेर, 11 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । आध्यात्मिक एकता के एक ऐतिहासिक क्षण में आज दरगाह अजमेर शरीफ के गद्दीनशीन और चिश्ती फाउंडेशन के अध्यक्ष हाजी सैय्यद सलमान चिश्ती ने यूरोपीय संघ के देशों के 25 सदस्यीय विशिष्ट प्रतिनिधिमंडल का गर्मजोशी से स्वागत किया। यह प्रतिनिधिमंडल पहली बार भारत की यात्रा पर आया है जिसमें फ्रांस, नॉर्वे, स्वीडन, जर्मनी, पोलैंड, स्विट्जरलैंड और अन्य यूरोपीय देशों के सदस्य हैं। यात्रा का उद्देश्य सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक समझ को बढ़ावा देना है।
प्रतिनिधिमंडल ने विश्व प्रसिद्ध सूफी दरगाह अजमेर शरीफ, जहां हजरत ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की मज़ार है, की विशेष ज़ियारत की। हजरत ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती को पूरी दुनिया में बिना किसी भेदभाव के प्रेम और मानवता की सेवा के संदेश के लिए जाना जाता है। इस अवसर पर हाजी सैय्यद सलमान चिश्ती ने चिश्ती सूफी सिलसिले के ‘सभी से प्रेम करो, किसी से द्वेष नहीं’ जैसे शाश्वत मूल्यों पर प्रकाश डाला, जो दरगाह शरीफ की प्रमुख आध्यात्मिक शिक्षाओं का प्रतिबिंब हैं। साथ ही उन्होंने प्रार्थना, ध्यान और सेवा को जीवन जीने के महत्वपूर्ण स्तंभ बताया। हाजी सैय्यद सलमान चिश्ती ने प्रतिनिधिमंडल के समक्ष सूफी शिक्षाओं की आध्यात्मिक गहराई को साझा किया, जिसमें ज़िक्र अल्लाह (ईश्वर का स्मरण) और फ़िक्र (गहन ध्यान) के महत्व को रेखांकित किया, जो सूफ़ी आध्यात्मिक साधनों का मूल है। इन प्रथाओं के माध्यम से व्यक्ति ईश्वर से गहरा संबंध स्थापित करता है, करुणा, निःस्वार्थता और मानव कल्याण के प्रति ज़िम्मेदारी को विकसित करता है।
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(Udaipur Kiran) / मोहम्मद शहजाद