कानपुर, 10 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । वैश्विक समुदाय को यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कार्य करने की आवश्यकता है कि कार्यस्थल एक स्वस्थ स्थान हो जहां लोगों का मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण पनप सके और नियोक्ताओं के लिए उत्पादकता बढ़ाई जा सके। इसका मतलब होगा असमानता और समानता के मुद्दों और लिंग, जाति और स्वास्थ्य संबंधी विकलांगता सहित रोजगार को संबोधित करना, साथ ही यह भी पहचानना कि घर तेजी से कार्यस्थल बन रहा है। मानसिक स्वास्थ्य और कार्यस्थल के बीच द्विदिश संबंध को समझना महत्वपूर्ण है। अस्वस्थ कार्य वातावरण में सबसे स्वस्थ कर्मचारी भी शारीरिक और मानसिक रुप से पीड़ित हो सकते हैं। वहीं स्वस्थ कार्यस्थल से मानिसिक रोगियों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह बातें गुरुवार को सीएसजेएमयू में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर रामा मेडिकल कालेज के मानसिक रोग विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. मधुकर कटियार ने कही।
उन्होंने कहा कि हमें मानसिक स्वास्थ्य और रोजगार के बीच के संबंध पर अधिक जोर देने की जरुरत है और मानसिक बीमारी वाले व्यक्तियों को दिए जाने वाले उपचार के हिस्से के रुप में रोजगार सहायता के महत्व पर फिर से जोर देना चाहिए। गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्या वाले लोगों के बीच रोजगार की दर 10 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक बढ़ाने के लाभों की कल्पना करें। इससे समाज को लाभ होगा क्योंकि लोग राज्य के लाभों पर कम निर्भर होंगे और मानसिक स्वास्थ्य कठिनाई वाले लोगों के सामाजिक समावेशन को बढ़ाकर मानसिक स्वास्थ्य कलंक को कम करेंगे। आगे कहा कि लचीले कार्य घंटों, मानसिक स्वास्थ्य संसाधनों तक पहुंच प्रदान करने और मानसिक स्वास्थ्य के बारे में खुली बातचीत को प्रोत्साहित करने जैसी नीतियों को लागू करके, कंपनियां देखभाल की संस्कृति विकसित कर सकती हैं जो मनोबल को बढ़ाती है और समग्र प्रदर्शन और नवाचार को बढ़ाती हैं। इस दौरान सहायक आचार्य डा. नीरजा, डा. प्रवीन कटियार, डा. पुष्पा ममोरिया और छात्र मौजूद रहे।
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(Udaipur Kiran) / अजय सिंह