कठुआ 10 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । हिमाचल के विशेष बांस और पंजाब के कारीगरों के हुनर के मेल से कठुआ में दशानन, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले तैयार हो रहे हैं।
लगातार पिछले तीन दशकों से पंजाब के सुजानपुर के कारीगर मशक्कत कर पुतलों को रूप देते हैं। विजयपुर, गुड़ा सलाथिया, सांबा और कठुआ में इन पुतलों को तैयार कर रहे कारीगर तीन दशकों से इस पंरपरा को निभा रहे हैं। उनका कहना है कि बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरा उनके परिवार की रोजी-रोटी का भी जरिया है। कठुआ में तैयार हो रहे 40 फुट के रावन को रूप देने के लिए छोटी-छोटी बारीकियों पर भी ध्यान दिया जा रहा है। पंजाब के सुजानपुर से आए कारीगर ने बताया कि उनके साथ छह से आठ कारीगर सांबा में 40 फुट का पुतला बनाने के बाद कठुआ में अपनी कारीगरी को रूप देने में जुटे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ सामान तो मौके पर ही तैयार किया जाता है, लेकिन कुछ चीजों को परिवार के अन्य सदस्य भी बनाने में मदद करते हैं। कारीगर ने बताया कि इन पुतलों को तैयार करने का सिलसिला दशहरे से एक माह पूर्व ही शुरू हो जाता है। हिमाचल से विशेष तौर पर बांस लाकर तैयार किया जाता है, जिसके बाद पुतलों को रूप देने के लिए काम मौके पर ही किया जाता है। उन्होंने कहा कि सिर्फ वह ही नहीं उनके पुर्वज भी यही काम किया करते थे।
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(Udaipur Kiran) / सचिन खजूरिया