जयपुर, 8 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । राज्य मानवाधिकार आयोग ने नाबालिग दिव्यांग से दुष्कर्म के आरोपित की जोधपुर के देचू थाने में हुई मौत के मामले में स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लिया है। इसके साथ ही अदालत ने मामले में जोधपुर कलेक्टर और पुलिस आयुक्त को कहा है कि वे मामले की जांच करवाकर आयोग में रिपोर्ट पेश करें। आयोग ने दोनों अधिकारियों से यह भी बताने को कहा है कि क्या मृतक के परिजनों को किसी तरह की अंतरिम सहायता मुहैया कराई गई है या नहीं। आयोग ने यह आदेश इस संबंध में प्रकाशित मीडिया रिपोर्ट्स पर कार्रवाई करते हुए दिए।
आयोग ने अपने आदेश में कहा कि किसी भी आरोपित की पुलिस अभिरक्षा में मौत अक्षम्य अपराध है। पुलिस का यह दायित्व है कि अभिरक्षा में लिए गए आरोपी के साथ कोई शारीरिक या मानसिक यातना ना की जाए। आयोग ने कहा कि यह बहुत खेदजनक है कि आए दिन इस तरह के समाचार प्रकाशित हो रहे है कि अभिरक्षा में लिए गए आरोपित की टांगों पर प्लास्टर बंधे हैं या उन्हें गंभीर चोट आई है। आज भी समाचार पत्रों में ऐसे आहत आरोपिताें के फोटो प्रकाशित हुए हैं। ये दुखद है कि आरोपिताें को पकडने से लेकर उन्हें अदालत में पेश करने की अवधि में वीडियो रिकॉर्डिंग का प्रावधान नहीं किया जाता। समय-समय पर सुप्रीम कोर्ट ने भी इस संबंध में आदेश जारी किए हैं। वहीं नए आपराधिक कानूनों में भी इसका समावेश किया गया है। आयोग ने हाल ही में जोधपुर के देचू से प्रकाशित समाचार पत्र का हवाला देते हुए कहा कि वहां दुष्कर्म करने के आरोपित की थाने में मौत हो गई। इस मामले में डीएसपी को निलंबित कर न्यायिक जांच के आदेश दिए गए हैं। पुलिस ने उस आरोपित को बिना गिरफ्तारी रिकॉर्ड सेल के बजाए कमरे में बंद रखा। जहां हिरासत में उसकी मौत हो गई।
—————
(Udaipur Kiran)