हरिद्वार, 8 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख डॉ प्रणव पण्ड्या ने कहा कि भक्त व साधक सतोगुणी होता है और सत्व में जीता है। परमात्मा का प्रेम उन्हीं को मिलता है जो बालक की तरह सरल हो, निर्दोष, निच्छल और शुद्ध आचरण करता हो।
गीता मर्मज्ञ डॉ पण्ड्या गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में शारदीय नवरात्र में आध्यात्मिक साधना में जुटे साधकों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि योगेश्वर श्रीकृष्ण की अनमोल वाणी से बोली गई श्रीमद्भगवद् गीता एक ऐसा रहस्यमय ग्रंथ है, जो सही अर्थ समझते हैं, उनका पिछले कई जन्मों के पापों का क्षरण हो जाता है और जीवन सफल हो जाता है।
डॉ पण्ड्या ने कहा कि श्रीमद्भगवद् गीता के राजगुह्य योग के अनुसार यह गूढ़ ज्ञान सच्चे साधकों-भक्तों के लिए है। गीता को सारे उपनिषदों का सार माना गया है और इसका वाचन प्रेम और भक्ति के वातावरण में होना चाहिए। डॉ पण्ड्या ने कहा कि भगवान केवल भक्ति नहीं, परा भक्ति की बात करते हैं, जिसमें प्रेम व भक्ति (साधना) दोनों का मिलन है।
इससे पूर्व संगीत विभाग के भाइयों ने ‘अपनी भक्ति का अमृत पिला दो प्रभु…..’ भावगीत प्रस्तुत कर सभी को उल्लसित झंकृत कर दिया। समापन से पूर्व देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने श्री गीता जी की सामूहिक आरती की। इस अवसर पर शांतिकुंज व्यवस्थापक योगेन्द्र गिरी सहित देवसंस्कृति विश्वविद्यालय-शांतिकुंज परिवार तथा देश विदेश से आये सैकड़ों साधक उपस्थित रहे।
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(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला