जयपुर, 7 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । आयुष मंत्रालय ने केंद्र सरकार के 100 दिनों में केन्द्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद के द्वारा की गई जन स्वास्थ्य पहलों से राजस्थान में आठ हज़ार से अधिक तथा देशभर में 7 लाख से अधिक लोग लाभान्वित हुए हैं।
केन्द्रीय होम्योपैथी अनुसंधान संस्थान (सीआरआईएच), जयपुर के प्रभारी अधिकारी डॉ. निधि महाजन ने बताया कि संस्थान एनएबीएच प्रवेश स्तर प्रमाणित है और एनएबीएच मानकों के अनुसार सेवाओं की गुणवत्ता बनाए रख रहा है।
अनुसंधान अधिकारी डॉ. आशीष महाजन ने सीसीआरएच के परिधीय संस्थान सीआरआईएच, जयपुर की उपलब्धियों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि संस्थान में इग पूविंग प्रोग्राम के साथ- साथ चार नैदानिक अनुसंधान अध्ययन किए जा रहे हैं और दो अनुसंधान अध्ययन जल्द ही शुरू किए जाने हैं। संस्थान में सामान्य ओपीडी, विशेष ओपीडी सेवाएं (त्वचा रोग, ईएनटी, मातृ एवं शिशु क्लिनिक, स्मेटोलॉजी) और प्रयोगशाला सेवाएं प्रदान की जा रही हैं। पिछले 100 दिनों में आठ हजार से अधिक रोगियों को इन सेवाओं से लाभ मिला है।
अनुसंधान अधिकारी डॉ. उत्तम सिंह ने मीडिया को सीसीआरएच, नई दिल्ली की जानकारी देते हुए बताया कि अनुसंधान प्रशिक्षण के लिए विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के साथ 12 समझौता ज्ञापनो पर हस्ताक्षर किए गए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि सीसीआरएच को एक पेटेंट प्रदान किया गया है, सीसीआरएच के तहत एक संस्थान एनएबीएच प्रमाणित हो गया है और इसके एक अन्य संस्थान की प्रयोगशाला एनएबीएल प्रमाणित हो गई है। उन्होंने कहा कि यह पहल गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने बताया कि सीसीआरएच द्वारा कई पब्लिक हेल्थ कार्यक्रम भी संचालित किए जा रहे हैं।
एम.एस. क्षेत्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान (MSRARI), जयपुर के सहायक निदेशक डॉ बी आर मीना ने बताया कि आयुष उपचार को मुख्यधारा की स्वास्थ्य सेवा में शामिल करने के लिए आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) के तहत आयुर्वेदिक पैकेजों को शामिल करने के लिए एक समीक्षा करने के लिए आयुष मंत्रालया द्वारा बैठक बुलाई गई| इसके तहत 170 पैकेजों को अंतिम रूप दिया गया है और आवश्यकता के अनुसार इस संख्या को बढ़ाई जा सकती है। डॉ मीना ने बताया कि बताया कि अस्पतालों और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिए राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (एनएबीएच) से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, 1489 आयुष्मान आरोग्य मंदिरों (आयुष) का मूल्यांकन पूरा हो चुका है और इनमें से 1005 आयुष आरोग्य मंदिरों (आयुष) को आयुष प्रवेश स्तर प्रमाणन (एईएलसी) के लिए प्रमाणित किया गया है। डॉ मीना ने बताया कि आयुष मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 31 जुलाई, 2024 को जिनेवा स्थित विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुख्यालय में एक दाता समझौते पर हस्ताक्षर किए गए| इस सहयोग का उद्देश्य साक्ष्य-आधारित पारंपरिक चिकित्सा को एक मजबूत आधार प्रदान करना है। इसी प्रकार भारत और वियतनाम ने 1 अगस्त, 2024 को औषधीय पौधों में सहयोग पर केंद्रित एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर भी हस्ताक्षर किए। भारत और मलेशिया ने आयुर्वेद के लिए समझौते पर हस्ताक्षर करके पारंपरिक चिकित्सा को आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
उन्होने बताया कि मंत्रालय ने समाज में आयुर्वेद और योग के उपयोग को बढ़ाने के उद्देश्य से हर घर आयुर्योग पहल शुरू की है। फिट इंडिया स्कूल प्रमाणन में योग को शामिल करना इसकी मुख्य उपलब्धियों में से एक है। साथ ही आयुष मंत्रालय ने 100 दिन में बुज़ुर्ग नागरिकों के लिए 14,692 आयुष शिविर आयोजित किए गए। इन शिविरों में आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी का उपयोग करके समग्र स्वास्थ्य पर मुफ़्त परामर्श, उपचार और मार्गदर्शन दिया गया।
एम.एस. क्षेत्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान के डॉ मीना ने बताया कि जयपुर स्थित संस्थान ने टीएचसीआरपी परियोजना के अंतर्गत अनुसूचित जाति बहुल 06 गांवों में लगभग 127 चिकित्सा शिविरों का आयोजन किया। इन शिविरों के माध्यम से लगभग 2536 रोगियों का उपचार किया गया। इसके साथ ही, 1359 रोगियों की शुगर और रक्तचाप की जांच की गई। डब्ल्यू. सी. एच परियोजना के अंतर्गत 05 अनुसूचित जाति बहुल गांवों में आयोजित 80 चिकित्सा शिविरों के दौरान 3000 रोगियों का उपचार किया गया। इसके अतिरिक्त, 2700 रोगियों की शुगर और रक्तचाप की जांच की गई और आम जनता को 35 विभिन्न विषयों पर जागरूकता व्याख्यान प्रदान किए गए। उन्होने बताया कि ईएमआएएस परियोजना में 03 ईएमआरएएम विद्यालयों में चिकित्सा शिविरों का आयोजन किया, जिनमें 219 रोगियों का उपचार किया गया। इसके साथ ही, विधार्थी को विभिन्न विषयों पर जागरूकता व्याख्यान प्रदान किए गए, जिसमे स्वास्थ्य संबंधी जानकारियों का प्रसार हुआ।
लाइफ स्टाइल परियोजना के अंतर्गत, जयपुर शहर की 10 कॉलोनियों में आयुर्वेद आधारित जीवन शैली के रोगियों को पंजीकृत किया जा रहा है। इन रोगियों को जीबन शैली के प्रति जागरूकता प्रदान की जा रही है, ताकि वे स्वस्थ जीवन जीने के उपायों और आयुर्वेदिक प्रथाओं के लाभों के बारे में जान सकें। इस पहल का उद्देश्य लोगों को एक संतुलित और स्वास्थ्यवर्धक जीवन जीने के लिए प्रेरित करना है।
—————
(Udaipur Kiran)