-हाईकोर्ट ने बरेली प्रशासन का आदेश खारिज किया
प्रयागराज, 07 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट की दशहरा अवकाश में बैठी विशेष पीठ ने जिला प्रशासन बरेली के उस आदेश को खारिज कर दिया जिसमें सूफी संत के अनुयायियों को 8 व 9 अक्टूबर को उर्स मनाने की अनुमति देने से मना कर दिया गया था।
जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह एवं जस्टिस विपिन चंद्र दीक्षित की पीठ ने यह आदेश आस्तान ए आलिया सकलैनिया सराफतिया व अन्य की तरफ से दाखिल याचिका पर दिया है।
कोर्ट ने इस मामले को सिटी मजिस्ट्रेट बरेली को सौंपते हुए निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ताओं को उर्स के आयोजन के सम्बंध में प्राप्त सभी आपत्तियों को उपलब्ध कराएं। इसके बाद याचिकाकर्ता अपने सभी वादों व जवाब के साथ सिटी मजिस्ट्रेट के समक्ष हाजिर होंगे, किन्तु इनकी संख्या 10 से अधिक नहीं होगी। कोर्ट ने कहा कि इसके बाद मजिस्ट्रेट एक नया तर्कसंगत आदेश पारित करेंगे।
याची ने वचन दिया कि यदि अनुमति दी जाती है तो प्रस्तावित समय और सिटी मजिस्ट्रेट द्वारा लगाई जाने वाली अन्य शर्तों के सम्बंध में सख्ती से पालन किया जाएगा। कोर्ट ने इसी के साथ याचिका निस्तारित कर दिया है। कहा गया था कि हज़रत शाह मोहम्मद सकलैन मियां हुजूर वह एक सूफी थे। जिनका बरेली जिले के आस-पास के क्षेत्र में काफी बड़ा अनुसरण है। सूफियों के बीच प्रचलित धार्मिक प्रथा के अनुसार उनका पहला उर्स 8 और 9 अक्टूबर को मनाया जाना है। सिटी मजिस्ट्रेट बरेली द्वारा पारित विवादित आदेश में उर्स मनाने की अनुमति अस्वीकार करते हुए अन्य बातों के साथ-साथ यह तर्क दिया गया कि यदि उर्स मनाने की अनुमति दी जाती है तो बड़ी भीड़ उमड़ने की उम्मीद है, जिससे एक नई प्रथा शुरू हो जाएगी।
प्रशासन का कहना था कि उर्स का आयोजन नवरात्रि उत्सव के साथ होगा, जिसमें पूरे शहर में कई दुर्गा पूजा पंडाल और रामलीला प्रदर्शन की योजना बनाई गई है। न्यायालय ने कहा कि केवल इसलिए कि उर्स का पालन धार्मिक त्योहार (नवरात्रि) के साथ होगा, हजरत शाह मोहम्मद सकलैन मियां हुजूर के अनुयायियों को कानून के अनुसार उस अवधि के दौरान अपने धार्मिक अभ्यास का पालन करने के अधिकार से वंचित करने का आधार नहीं हो सकता है।
सार्वजनिक सड़कों, गलियों आदि पर तेज आवाज में संगीत बजाते हुए चादरों का जुलूस निकाले जाने की आपत्ति के सम्बंध में न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता यह वचन दे रहे हैं कि ऐसी कोई घटना नहीं होगी तथा इस संबंध में वे सिटी मजिस्ट्रेट के समक्ष लिखित वचन देने के लिए तैयार हैं। न्यायालय ने यह भी पाया कि कॉलेज के स्टूडेंट्स को होने वाली असुविधा के बारे में पुलिस उपाधीक्षक, बरेली द्वारा उठाई गई आपत्ति पूरी तरह से काल्पनिक है, क्योंकि खंडपीठ ने कहा कि कॉलेज प्रशासन ने याचिकाकर्ताओं को अपने आधार पर उर्स मनाने के लिए पहले ही अनापत्ति दे दी है।
(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे