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शुद्ध और पवित्र अन्न के बिना विचारों की शुद्धता नहीं हो सकती : संत हुजूर कंवर साहेब महाराज

वैश्विक शिखर सम्मेलन में रविवार को स्मृति, वृत्ति और कृति में पवित्रता की धारणा विषय पर सम्मेलन आयोजित किया गया।

सिराेही, 6 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । वैश्विक शिखर सम्मेलन में रविवार को स्मृति, वृत्ति और कृति में पवित्रता की धारणा विषय पर विचाराें की अभिव्यक्ति दी गई। चार दिवसीय सम्मेलन में रोजाना दो सत्र आयोजित किए जा रहे हैं। सुबह के सत्र में इसमें हरियाणा के संत राधा स्वामी सत्संग के प्रमुख परम संत हुजूर कंवर साहेब महाराज ने कहा कि राधास्वामी कोई अलग मत नहीं है। संत मत में जितने मजहब, धर्म, पंथ आते हैं उनमें से ही एक है। ये भी इंसान को बुराई से बचाते हुए अच्छे गुणों को अपनाते प्रभु के मार्ग पर ले जाने का एक सुगम रास्ता है। जब इंसान की सोच पवित्र, कर्म दिव्य हो जाते हैं तो वह इंसान नहीं रहता, देवतुल्य बन जाता है। सबसे जरूरी चीज है कि इंसान का खानपान शुद्ध और पवित्र होना चाहिए। अन्न शुद्ध नहीं है तो विचारों की शुद्धता हो ही नहीं सकती है। हम जैसा अन्न खाते हैं, वैसा मन होता और वैसे ही विचार आते हैं। विचारों के आधार पर वैसे ही कर्म होते हैं। इसलिए संत-महात्मा जो अन्न ग्रहण करते हैं उसे प्रसाद बोलते हैं। वेश बदल देने से कुछ नहीं होता, इंसान के कर्म पवित्र होने चाहिए। मन-वचन-कर्म से किसी को दुख न दें। सदा मीठे वचन बोलें।

उन्होंने कहा कि यदि अन्न चोरी, भ्रष्टाचार या गलत तरीके से लाया गया है तो उसके विचार अच्छे नहीं बन सकते हैं। इसलिए अपने संग का भी हमेशा ख्याल रखना चाहिए। महापुरुषों के संग से एक दिन हमारे जीवन में भी विचारों की पवित्रता आ जाती है। यहां आकर शांति और विशेष प्रकार का प्यार मिला जिसे पाकर हमें लगता है, जैसे किसी दूसरी दुनिया में पहुंच गए हैं। यहां जितने भी ब्रह्माकुमार भाई-बहिन मिले, उनकी वाणी व व्यवहार में दिव्यता और सत्यता झलकती है।

यूएसए के लेप्स ग्रुप (ऑपरेशंस एंड सेल्स) के वाइस प्रेसिडेंट पीटर कुमार ने कहा कि यदि हमारी विचारों की ऊर्जा सकारात्मक होगी तो वह हमें आगे बढ़ाएगी। विचारों की एनर्जी नकारात्मक होगी तो वह नीचे गिराएगी। हम सोच से ही पापात्मा, पुण्यात्मा, महात्मा और देवात्मा बनते हैं। सोच के आधार पर हमारे कर्म होते हैं और कर्म के आधार पर हमारे स्वभाव, संस्कार बनते हैं और वैसा ही हमारा व्यक्तित्व बनता है। यदि मन और सोच पवित्र रखेंगे तो जीवन महान बन जाता है। जैसे हम घर को स्वच्छ रखते हैं, वैसे ही मन के पर्यावरण को स्वच्छ रखें।

प्रसिद्ध मेडिकल न्यूट्रोलॉजिस्ट डॉ. बिस्वरूप रॉय चौधरी ने कहा कि सुबह आठ बजे से पहले कुछ न खाएं और शाम छह बजे के बाद कुछ न खाएं। इस नियम का पालन करने से एक सप्ताह में नींद की समस्या दूर हो जाती है। दो सप्ताह में जोड़ों के दर्द, तीन सप्ताह में बीपी, शुगर खत्म हो जाता है। चौथे सप्ताह में वजन कम हो जाता है। यदि आप स्वस्थ रहना चाहते हैं तो दोपहर 12 बजे तक सिर्फ तीन से चार तरह के फल ही खाना है। यदि आपका वजन 70 किलो है तो 700 ग्राम फल लेना है। इसके बाद चार तरह की 350 ग्राम सलाद दोपहर में भोजन के पहले लेना है। इसके बाद रात के भोजन में भी इतनी ही सलाद लेना है। इस नियम के पालन से सारे रोग दूर हो जाते हैं।

भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल राजस्थान एचसी राजदीपक रस्तोगी ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ वह संस्था है जिसमें अपनत्व की भावना कूट-कूट कर भरी है। आप लोगों को दिल से अपनाते हैं। तेलंगाना राज्य योजना बोर्ड उपाध्यक्ष जी चिन्ना रेड्डी ने कहा कि आज आध्यात्मिक ज्ञान की हर एक व्यक्ति को आवश्यकता है। अध्यात्म से ही हमारी सोच पवित्र बनती है। नोएडा से टाइम्स नाऊ नवभारत के कार्यकारी संपादक सुशांत सिन्हा को राष्ट्र चेतना पुरस्कार से नवाजा गया। उन्होंने कहा कि मेरा रात में शो आता है न्यूज की पाठशाला लेकिन यहां आकर मुझे लगा कि पहले हमें अध्यात्म की पाठशाला में लौटना चाहिए। अध्यात्म हमारी शिक्षा पद्धति का हिस्सा होना चाहिए। हम जीवन में जो रोज सीख रहे हैं उसे रोज जीवन में धारण करेंगे तो ही बदलाव आएगा। प्रख्यात भारतीय कंप्यूटर वैज्ञानिक एवं शिक्षाविद् पद्मश्री डॉ. विजय पी. भाटकर को मानवता के संरक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्होंने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ में आकर बहुत प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है।

सम्मेलन में वैज्ञानिक, इंजीनियर और आर्किटेक्ट विंग के अध्यक्ष राजयोगी बीके मोहन सिंघल, जयपुर सबजोन की निदेशिका बीके सुषमा दीदी, नई दिल्ली हरीनगर की निदेशिका राजयोगिनी बीके शुक्ला दीदी, वैल्यू एजुकेशन प्रोग्राम की सहायक निदेशक बीके लीना बहन ने भी अपने विचार व्यक्त किए। संचालन शिक्षा प्रभाग की बीके सुप्रिया बहन ने किया।

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(Udaipur Kiran) / रोहित

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