लखनऊ, 04 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । पालि भाषा एवं साहित्य की दृष्टि से यह एक ऐतिहासिक अवसर है। केन्द्रीय मन्त्रीमण्डल द्वारा पालि भाषा को शास्त्रीय भाषा (क्लासिकल लैंग्वेज) का दर्जा दिये जाने से समस्त पालि प्रेमियों में अपार हर्ष है। केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय (लखनऊ परिसर) के निदेशक प्रो. सर्वनारायण झा ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए केन्द्र शासन, विशेष तौर पर प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के प्रति हार्दिक धन्यवाद प्रकट किया है।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2009 में इस परिसर में पालि अध्ययन केन्द्र की स्थापना की गयी थी, जिसमें अनेक पालि तिपिटक साहित्य के ग्रन्थों का अनुवाद कार्य किया गया। अब यह केन्द्र आदर्श पालि शोध संस्थान के रूप में स्थायी स्वरूप प्राप्त करने जा रहा है। जिससे पालि भाषा एवं साहित्य के अध्ययन एवं अनुसन्धान को गति प्राप्त होगी।
बौद्ध दर्शन एवं पालि विद्याशाखा के संयोजक प्रो. गुरुचरण सिंह नेगी का मानना है कि पालि को शास्त्रीय भाषा बनाये जाने से पालि के विकास को गति प्राप्त होगी तथा ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020’ की सिफारिशों के अनुसार देश में ‘केन्द्रीय पालि संस्थान’ व ‘केन्द्रीय पालि विश्वविद्यालय’ की स्थापना की ओर कदम बढ़ाये जा सकेंगे तथा देश में ‘विशिष्ट पालि अध्ययन केन्द्रों’ की स्थापना का रास्ता साफ होगा।
परिसर में पालि के प्राध्यापक डाॅ. प्रफुल्ल गड़पाल का कहना है कि ‘पालि को शास्त्रीय भाषा बनाना एक ऐतिहासिक कदम है। लम्बे समय से इस भाषा को शास्त्रीय भाषा बनाने तथा भारतीय संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने के प्रयास चल रहे हैं। हम आशा करते हैं कि देश के समस्त केन्द्रीय विश्वविद्यालयों, पीठों तथा संस्थानों में पालि विभागों एवं पालि चेयर्स की स्थापना की जायेगी तथा केन्द्रीय विद्यालयों में कक्षा 6 से पालि की पढ़ाई शुरु हो सकेगी। निश्चय ही इस कदम से पालि के क्षेत्र में रोजगार एवं अनुसन्धान के अवसर बढ़ेंगे। इसी प्रकार पालि भाषा के लिए दूरस्थ एवं अनौपचारिक शिक्षण की व्यवस्था भी सुदृढ़ हो सकेगी।’
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(Udaipur Kiran) / बृजनंदन