मीरजापुर, 04 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन शुक्रवार को मां विंध्यवासिनी के दर्शन पूजन के लिए भक्तों की भीड़ विंध्य धाम में उमड़ती रही। ज्ञान, वैराग्य व ध्यान की अधिष्ठाती मां के द्वितीय स्वरूप ब्रह्मचारिणी के दर्शन कर भक्त निहाल हो उठे। विंध्यधाम से त्रिकोण परिक्रमा आरंभ कर भक्तों ने मां विंध्यवासिनी से मुरादें मांगी। देर रात्रि से ही भक्त मां विंध्यवासिनी के दर्शन-पूजन के लिए लाइन में लग गयी और अपनी बारी का इंतजार करने लगे। भोर में मंगला आरती के बाद कपाट खुलते ही भक्तों ने विधि विधान से मां विध्यवासिनी का दर्शन किया।
ब्रह्मचारिणी स्वरूपा मां विध्यवासिनी के दर्शन पूजन के बाद भक्त त्रिकोण यात्रा पर निकल पड़े। मां काली और मां अष्टभुजा का दर्शन के बाद एक बार फिर मां विंध्यवासिनी का दर्शन पूजन कर त्रिकोण किया। मां विंध्यवासिनी का गुड़हल, कमल व गुलाब के पुष्पों से आदिशक्ति मां विंध्यवासिनी देवी का भव्य श्रृंगार किया गया। विध्यधाम घंटा-घडियाल, शंख, नगाड़ा एवं शहनाई से गुंजता रहा। देश के कोने-कोने से आए श्रद्धालुओं से विंध्य धाम पटा रहा।
वहीं घरों में नवरात्र के दूसरे दिन शुक्रवार को माता दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की विधि विधान से पूजा अर्चना की गई। माता को अक्षत, सिंदूर, धूप, गंध, पुष्प आदि के साथ पूजन अर्चन करने के बाद माता के मंत्र का उच्चारण किया गया। अंत में कपूर व थी से दीपक जलाकर उनकी आरती कर शंखनाद हुआ। इसी तरह मां काली व अष्टभुजा के दर्शन को कतार लगी रही। मां विध्यवासिनी धाम में आने वाले साधक मां की भक्ति में तल्लीन दिखे। साधक मां विंध्यवासिनी धाम की छत पर अनवरत मां की साधना में लीन थे।
(Udaipur Kiran) / गिरजा शंकर मिश्रा