नई दिल्ली, 03 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर वैवाहिक रेप को अपराध के दायरे में लाने की मांग वाली याचिकाओं का विरोध किया है। मौजूदा कानून के मुताबिक पत्नी की इच्छा के बगैर जबरन संबंध बनाने पर भी पत्नी अपने पति पर बलात्कार का मुकदमा नहीं कर सकती। सरकार ने कानून में पति को मिली इस छूट का समर्थन किया है।
केंद्र सरकार ने जोर देकर कहा है कि इसका मतलब ये नहीं वैवाहिक संबंधों में पत्नी की इच्छा का कोई महत्व नहीं है। सरकार का कहना है कि अगर पत्नी की इच्छा के बिना पति जबरन संबंध बनाता है तो ऐसी सूरत में पति को सजा देने लिए पहले से वैकल्पिक कानूनी प्रावधान हैं। ऐसी स्थिति में घरेलू हिंसा कानून, महिलाओं की गरिमा भंग करने से जुड़े विभिन्न प्रावधान के तहत पति पर केस दर्ज किया जा सकता है लेकिन इस स्थिति की तुलना उस स्थिति से नहीं की जा सकती है, जहां बिना वैवाहिक संबंधों के कोई पुरुष जबरन किसी महिला के साथ संबंध बनाता है। वैवाहिक संबंधों और बिना वैवाहिक के बने ऐसे संबंधों में सजा एक नहीं हो सकती।
16 सितंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट को ये तय करना है कि पति का पत्नी के साथ जबरन संबंध बनाना रेप है कि नहीं। 11 मई 2022 को दिल्ली हाईकोर्ट ने वैवाहिक रेप के मामले पर विभाजित फैसला दिया था। जस्टिस राजीव शकधर ने जहां भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के अपवाद को असंवैधानिक करार दिया था वहीं जस्टिस सी हरिशंकर ने इसे सही करार दिया है। अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर सुनवाई करेगा।
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(Udaipur Kiran) / प्रभात मिश्रा