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दिव्यांग आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को कहा, इन्हें नहीं किया जाए अधिकारों से वंचित

कोर्ट

जयपुर, 3 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । सुप्रीम कोर्ट ने दिव्यांगों को कानूनी प्रावधान के अनुसार आरक्षण का लाभ नहीं देने पर सख्त रवैया दिखाते हुए राज्य सरकार को कहा है कि उन्हें उनके अधिकारों से वंचित नहीं किया जाए। अदालत ने वर्ष 1995 के दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम की पूरी तरह से पालना नहीं करने पर राज्य सरकार से सवाल किया है कि इस अधिनियम के प्रावधानों की प्रभावी तौर पर क्रियान्विति क्यों नहीं की गई। अदालत ने राज्य के एएजी शिवमंगल शर्मा से पूछा है कि वर्ष 1995 के अधिनियम को साल 2000 तक भी पूरी तरह से क्रियान्वयन करने में राज्य सरकार क्यों विफल रही है। जस्टिस एएस ओका, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस एजी मसीह की वृहद पीठ ने यह आदेश भुवनेश्वर सिंह व दो अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।

सुप्रीम कोर्ट ने माना कि राजस्थान सरकार ने 18 अगस्त 2000 को कैबिनेट के निर्णय के जरिए राज्य की सेवाओं में दिव्यांगजनों को 3 प्रतिशत आरक्षण की मंजूरी दी थी, लेकिन यह निर्णय 1995 के अधिनियम के कई सालों बाद आया। वहीं विशेष तौर पर ग्रुप ए व ग्रुप बी के पदों में इस आरक्षण को पूरी तरह से लागू करने के लिए कोई अधिसूचना जारी नहीं की गई। ऐसे में यह वर्ष 1995 के अधिनियम की धारा 33 का उल्लंघन था। अदालत ने कहा कि राज्य सरकार ने वर्ष 1995 के अधिनियम की पूरी तरह से अवहेलना की है और इसके तहत कम से कम एक फीसदी पदों को दृष्टिहीनता या कम दृष्टि वाले व्यक्तियों के लिए आरक्षित किया जाना चाहिए था। दरअसल याचिकाओं में प्रार्थियों ने 1976 के राजस्थान दिव्यांगजन रोजगार नियमों के तहत की गई भर्ती प्रक्रिया को चुनौती दी थी, जिसमें ग्रुप ए और ग्रुप बी के पदों में ऐसे आरक्षण का प्रावधान नहीं किया था।

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(Udaipur Kiran)

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