Maharashtra

ठाणे जिले में सार्वजनिक पेयजल स्रोतों का सर्वेक्षण

मुंबई , 3अक्टूबर ( हि.स.)। अब जल गुणवत्ता सर्वेक्षण और निगरानी कार्यक्रम जिला जल और स्वच्छता मिशन सेल, जिला परिषद ठाणे के माध्यम से कार्यान्वित किया जा रहा है। सार्वजनिक पेयजल स्रोतों का स्वच्छता सर्वेक्षण कार्य 1 अक्टूबर 2024 से जारी है। यह आगामी 31 अक्टूबर, 2024 की अवधि के भीतर पूरा किया जाना है।

जल गुणवत्ता सर्वेक्षण एवं नियंत्रण कार्यक्रम के तहत जल स्रोत स्वच्छता सर्वेक्षण वर्ष में दो बार मानसून से पहले और मानसून के बाद किया जाता है। जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रोहन घुगे और परियोजना निदेशक जल जीवन मिशन अतुल पारस्कर ने आज स्वास्थ्य विभाग को यह सर्वेक्षण समय पर पूरा करने का आदेश दिया है.।

सार्वजनिक स्रोतों का पेयजल स्वच्छता सर्वेक्षण यह सर्वेक्षण ग्राम पंचायत में जलसुरक्षक, ग्राम पंचायत अधिकारी, आरोग्य सेवक द्वारा किया जा रहा है। इस सर्वेक्षण के लिए सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के चिकित्सा अधिकारी जिम्मेदार हैं। यह एक अति विशिष्ट सर्वेक्षण है और ग्राम पंचायतों को लाल, हरे, पीले और सिल्वर कार्डों का वितरण सर्वेक्षण के मानदंडों और जोखिम के अनुसार स्रोतों को वर्गीकृत करके किया जाता है।जिले में पेयजल के 3 हजार 261 स्त्रोत ठाणे जिले की 431 ग्राम पंचायतों में 3 हजार 261 जनस्रोत हैं। इनमें कल्याण तहसील में 200, भिवंडी तहसील में 890, अंबरनाथ तहसील में 232, मुरबाड तहसील में 812, शाहपुर तहसील में 1 हजार 127 और ठाणे ग्रामीण क्षेत्रों में कुल 3 हजार 261 पेयजल स्रोत हैं।

लाल कार्ड, यदि किसी ग्राम पंचायत में 70 प्रतिशत से अधिक आबादी तीव्र जोखिम वाले स्रोतों पर निर्भर है, तो उस ग्राम पंचायत को लाल कार्ड दिया जाना चाहिए। यदि उपरोक्त निष्कर्ष किसी समूह ग्राम पंचायत के एक भी गाँव में पाए जाते हैं, तो उस ग्राम पंचायत से संबंधित गाँव को एक लाल कार्ड दिया जाता है।

ग्रीन कार्ड- यदि किसी ग्राम पंचायत में 70 प्रतिशत से अधिक आबादी कम जोखिम वाले स्रोतों पर निर्भर है तो उस ग्राम पंचायत को ग्रीन कार्ड दिया जाता है।

पीला कार्ड – यदि किसी ग्राम पंचायत में 70 प्रतिशत से अधिक आबादी उच्च जोखिम या कम जोखिम वाले स्रोतों पर निर्भर नहीं है, तो ग्राम पंचायत को पीला कार्ड दिया जाता है।

चंदेरी कार्ड – चंदेरी कार्ड उन ग्राम पंचायतों को दिया जाता है जो लगातार पांच वर्षों तक महामारी न फैलने और पांच वर्षों तक ग्रीन कार्ड के दोनों मानदंडों को पूरा करते हैं।

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(Udaipur Kiran) / रवीन्द्र शर्मा

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