-हम किसी भी तरह की आकस्मिकता का सामना करने को तैयार
नई दिल्ली, 01 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने चीन के साथ भरोसा टूटने की बात कहते हुए सीमा पर मौजूदा हालात को स्थिर, लेकिन असामान्य बताया है। उन्होंने कहा कि अप्रैल 2020 जैसी स्थिति बहाल होने तक स्थिति संवेदनशील बनी रहेगी और हम किसी भी तरह की आकस्मिकता का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।
जनरल द्विवेदी मंगलवार को नई दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में चाणक्य डिफेंस डायलॉग के कर्टेन रेज़र कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। भारतीय सेना 24-25 अक्टूबर को सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज (सीएलएडब्ल्यूएस) के सहयोग से मानेकशॉ सेंटर में अपने प्रमुख कार्यक्रम चाणक्य रक्षा वार्ता-2024 के दूसरे संस्करण का आयोजन करने जा रही है, जिसका विषय ‘राष्ट्र निर्माण में प्रेरक: व्यापक सुरक्षा के माध्यम से विकास को बढ़ावा देना’ है। इसी कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि चीन का सवाल काफी समय से हमारे दिमाग में कौंध रहा है। चीन के साथ आपको प्रतिस्पर्धा, सहयोग, सह-अस्तित्व, टकराव और मुकाबला करना होगा।
सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने भारतीय सेना के 2047 तक सशक्त, सुरक्षित और समृद्ध भारत के विजन पर प्रकाश डाला। उन्होंने राष्ट्रीय और वैश्विक सुरक्षा से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार साझा किए और राष्ट्र निर्माण में भारतीय सेना के योगदान पर भी चर्चा की। सेना प्रमुख ने ‘सुरक्षा के स्तंभ: 2047 तक विकसित भारत की दिशा में भारत के पथ को सशक्त बनाना’ विषय पर अपने विचार साझा किए। इस बातचीत ने भारतीय सशस्त्र बलों की भूमिका को एक सुरक्षा प्रदाता के रूप में भारत के विकास पथ में चर्चा के लिए एक संवादात्मक मंच प्रदान किया।
सेना प्रमुख ने वार्ता में उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार, उद्योग और नागरिक समाज के बीच सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। सुरक्षा को राष्ट्रीय विकास का एक बुनियादी स्तंभ मानते हुए इस चर्चा ने 2047 तक एक समृद्ध और सुरक्षित भारत की दृष्टि को रेखांकित किया। इसमें उन सक्रिय रणनीतियों को प्रोत्साहित किया गया, जो सुरक्षा को समाजिक उन्नति और सतत विकास के व्यापक लक्ष्यों के साथ संरेखित करती हैं।
पैनल चर्चा की अध्यक्षता सेना के उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एनएस राजा सुब्रमणि ने की। इस चर्चा का शीर्षक ‘सुरक्षित राष्ट्र और समृद्ध भविष्य: राष्ट्रीय सुरक्षा को विकास और प्रगति के साथ जोड़ना’ था। इस सत्र में उन रणनीतियों पर चर्चा की गई, जो एक सुरक्षित वातावरण का निर्माण करने के साथ ही विकास को प्रोत्साहित करती हैं। सुरक्षा को 2047 तक भारत के विकसित राष्ट्र बनने की यात्रा का एक बुनियादी स्तंभ मानते हुए इस संवाद ने रक्षा पहलों को राष्ट्रीय समृद्धि और सामाजिक प्रगति के साथ संरेखित करने के महत्व पर जोर दिया।
इस चर्चा में अरुणाचल प्रदेश के विधायक ओकेन तायेंग, सीईआरटी-इन के निदेशक एसएस शर्मा, प्रसिद्ध रणनीतिकार लेफ्टिनेंट जनरल पीआर शंकर (सेवानिवृत्त) और लेफ्टिनेंट जनरल (डॉ) माधुरी कानिटकर (सेवानिवृत्त) शामिल थे। चर्चा के दौरान प्रतिभागियों ने सीमा क्षेत्र विकास, युवाओं, खेल और महिला सशक्तिकरण के राष्ट्र निर्माण में योगदान जैसे विभिन्न विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए।
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(Udaipur Kiran) / सुनीत निगम