-एसएमसी घूरपुर में साइबर क्राइम के सम्बन्ध में किया जागरूक
प्रयागराज, 01 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । आज के डिजिटल युग में फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन इसके साथ ही साइबर अपराधों में भी इजाफा हो रहा है। खासकर, नकली प्रोफाइल बनाना और मीम जनरेट करना, युवाओं के बीच एक खतरनाक चलन बनता जा रहा है।
यह बातें साइबर क्राइम अधिकारी जयप्रकाश सिंह व अनमोल सिंह ने मंगलवार को सेंट मेंरीज स्कूल घूरपुर में सभी छात्र-छात्राओं को साइबर अपराधो की जानकारी और उनसे जुड़े साइबर अटैक, डिजिटल अरेस्ट और बचाव के रास्ते बताते हुए कही। उन्होंने कहा कि कई बार स्कूल के बच्चे अपने शिक्षकों की फोटो और नाम का दुरुपयोग कर उनकी नकली फेसबुक या इंस्टाग्राम आईडी बनाकर उनके ऊपर अपमानजनक मीम्स बनाते हैं। यह उन्हें मजाकिया लगता है, लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि वे एक गम्भीर अपराध कर रहे हैं। किसी की छवि को अश्लील या न्यूड बनाने के परिणामस्वरूप उन्हें जेल भी हो सकती है।
-नकली प्रोफाइल और मीम्स मजाक या अपराध?
उन्होंने बताया कि अक्सर बच्चों को इस बात का एहसास नहीं होता कि जिस काम को वे ‘मजाक’ समझते हैं, वह वास्तव में एक गम्भीर कानूनी अपराध है। किसी की नकली सोशल मीडिया प्रोफाइल बनाना या उसकी छवि को गलत तरीके से पेश करना, जैसे न्यूड मॉर्फिंग, सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम, 2000 के तहत एक साइबर अपराध है। इस प्रकार के अपराधों के लिए जेल और जुर्माना दोनों सजा शामिल हैं।
-सम्बंधित कानून और सजा
आईटी अधिनियम की धारा 66ब यह धारा पहचान की चोरी से सम्बंधित है, जिसमें नकली प्रोफाइल बनाना शामिल है। इसके लिए 3 साल तक की कैद और 1 लाख तक का जुर्माना हो सकता है। आईटी अधिनियम की धारा 67 अगर कोई इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से अश्लील सामग्री का प्रकाशन या प्रसारण करता है, तो उसे पहले अपराध के लिए 3 साल तक की सजा और 5 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। बाद में अपराध दोहराने पर सजा 5 साल तक और जुर्माना 10 लाख रुपये तक हो सकता है। भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 356 मानहानि, जिसमें अपमानजनक मीम्स जैसी सामग्री बनाना शामिल है, के लिए 2 साल तक की कैद और जुर्माना दोनों हो सकता है।
-बच्चों को शिक्षित करना जरूरी
आजकल स्कूलों में इस तरह के साइबर अपराध बढ़ते जा रहे हैं। खासकर उन बच्चों के बीच जो अपने शिक्षकों के खिलाफ अपमानजनक मीम्स बनाते हैं। इसे रोकने के लिए शिक्षकों, माता-पिता और समाज का सहयोग जरूरी है। बच्चों को यह समझाना आवश्यक है कि उनका यह मजाक कानूनी और सामाजिक दृष्टि से कितनी बड़ी समस्या बन सकता है।
-जागरूकता और रोकथाम
ऐसे साइबर अपराधों को रोकने के लिए सोशल मीडिया का सही उपयोग बच्चों को सिखाया जाना चाहिए कि किसी भी प्रकार की गलत सामग्री से दूर रहें। अगर किसी को नकली प्रोफाइल या अपमानजनक मीम्स मिलते हैं, तो उन्हें तुरंत रिपोर्ट करें और जरूरत पड़ने पर कानून प्रवर्तन एजेंसियों को भी सूचित करें। कानूनी जानकारी माता-पिता और बच्चों को साइबर अपराधों के बारे में जानकारी होनी चाहिए, खासकर आईटी अधिनियम और अन्य सम्बंधित कानूनों के तहत, ताकि वे अनजाने में ऐसे अपराध न करें। अंत में विद्यालय के प्रधानाचार्य आशीष रंजन ने सभी विद्यार्थियों को साइबर क्राइम से सावधानी बरतने के लिए कहा। अगर कोई साइबर क्राइम में कोई घटना होती है तो तुरन्त अपने घरवालों, शिक्षकों या अपने से बड़ों को सूचित करें और इस मुद्दे को बताने में संकोच न करें।
(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र