ग्वालियर, 30 सितम्बर (Udaipur Kiran) । हिन्दू पंचांंग के अनुसार दो अक्टूबर बुधवार को सर्वपितृ अमावस्या मनाई जाएगी। इस दिन जिस किसी का श्राद्ध करने से छूट गया हो उसका श्राद्ध किया जा सकता है। इस दिन पितृ अपने स्थान को गमन कर जाएंगे। इसी दिन सूर्य ग्रहण भी लगने जा रहा है जो कि भारत में दिखाई नहीं देगा।
ज्योतिषाचार्य सतीश सोनी ने बताया कि आश्विन मास की अमावस्या तिथि को ही सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है और इस दिन पितरों की विदाई की जाती है। सर्वपितृ अमावस्या को पितरों के नाम का तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करने का विशेष महत्व है। इस दिन उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं होती है। इस दिन पितरों के नाम के पेड़ पौधे लगाने का भी विशेष महत्व है, ऐसा करने से पितृ दोष से लाभ मिलता है और पितर सुख-संपत्ति और संतति का आशीर्वाद देते हैं। माना जाता है कि पीपल में देवताओं के साथ पितर भी वास करते हैं इसलिए सर्वपितृ अमावस्या पर पीपल को जल देना और दीपक जलाने का विशेष महत्व है।
इसी दिन लगेगा सूर्या ग्रहण, भारत में नहीं दिखेगा: इस दिन साल का आखिरी सूर्य ग्रहण भी लगने वाला है। हालांकि, ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। इसके लिए सूतक भी मान्य नहीं होगा। ग्रहण के दौरान शास्त्र नियमों का पालन अनिवार्य है।
(Udaipur Kiran) / शरद शर्मा