जोधपुर, 30 सितम्बर (Udaipur Kiran) । नागौर के जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने एक ही भूखंड के दो पट्टे जारी करने के मामले में पेश परिवाद पर सुनवाई करते हुए जोधपुर विकास प्राधिकरण को सेवा में कमी का दोषी पाया है। आयोग ने मामले में फैसला सुनाते हुए नागौर के दिव्यांग आवंटी को पट्टे के लिए जमा राशि करीब 20.54 लाख रुपये ब्याज सहित लौटाने का आदेश दिया है।
उपभोक्ता आयोग के सदस्य बलवीर खुडख़ुडिय़ा ने बताया कि स्टाफ कॉलोनी नागौर निवासी रामचंद्र सिरोही ने जोधपुर विकास प्राधिकरण की विवेक विहार योजना-2011 के तहत दिव्यांग राजकीय कर्मचारी श्रेणी में भूखंड आवंटन के लिए आवेदन किया। भूखंड आवंटित होने पर रामचंद्र सिरोही ने पूरी राशि जमा कर दी और जेडीए ने पट्टा जारी कर दिया। इसके बाद जेडीए ने उसी भूखंड का पट्टा अन्य एक व्यक्ति उम्मेदाराम को भी जारी कर दिया। यही नहीं इसके बाद जेडीए ने उसी भूखंड का कब्जा हस्तांतरण पत्र रामचंद्र सिरोही को जारी कर पट्टे का पंजीयन करवा दिया। परिवादी रामचंद्र सिरोही ने बताया कि उसे इस घालमेल की जानकारी जनवरी 2024 में हुई। जब वह जेडीए से भूमि आवंटन पत्रावली की प्रमाणित प्रतियां लेने पहुंचा तो सारा माजरा सामने आया। इस पर परिवादी ने जेडीए से लेकर प्रमुख शासन सचिव तक गुहार लगाई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद अप्रैल 2024 में नागौर जिला उपभोक्ता आयोग में परिवाद पेश किया।
नागौर जिला उपभोक्ता आयोग अध्यक्ष नरसिंह दास व्यास, सदस्य बलवीर खुडख़ुडिय़ा व चंद्रकला व्यास ने पूरे मामले की पड़ताल के बाद निर्णय सुनाया। आयोग ने निर्णय में कहा कि जोधपुर विकास प्राधिकरण, परिवादी रामचंद्र सिरोही को संबंधित भूखंड के लिए जमा करवाई गई राशि 20 लाख 54 हजार 895 रुपये तथा जमा करने की तिथियों से भुगतान करने तक 9 प्रतिशत सालाना साधारण दर से ब्याज देना होगा। साथ ही जेडीए परिवादी को मामले से जुड़ी दौड़-भाग और कागजी कार्रवाई के लिए 10 हजार रुपये भी देगा। उपभोक्ता आयोग की बेंच ने कहा कि एक ही भूखंड के 2 अलग-अलग पट्टे जारी करना ही पूरी तरह गलत है। ये अवैध व अनुचित है।
(Udaipur Kiran) / सतीश