शिमला, 30 सितंबर (Udaipur Kiran) । भाजपा प्रदेश प्रवक्ता संदीपनी भारद्वाज ने कांग्रेस के मंत्री अनिरुद्ध सिंह द्वारा की गई टिप्पणी का जवाब देते हुए कहा है कि कांग्रेस के मंत्री खुद यू टर्न वाले मंत्री बन गए है। एक संवेदनशील मुद्दे पर आक्रामक रुख लेने के बाद के केंद्रीय नेताओं के दबाव में अपनी बात से यह मंत्री पलट गए थे, हो सकता है की जयराम ठाकुर के ऊपर भी उनकी टिप्पणी किसी के दबाव में हो। कांग्रेस के मंत्री नसीहत ना दे बल्कि जयराम ठाकुर से सीखें।
उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं और जयराम ठाकुर के कुशल नेतृत्व में भाजपा एवं विधायक दल कांग्रेस को बैकफुट पर धकेल रहा है।
संदीपनी भारद्वाज ने कहा कि जयराम ठाकुर ने अपने कार्यकाल में अनेकों जनकल्याणकारी योजनाएं शुरू की जिसको की वर्तमान कांग्रेस सरकार ने बंद कर दी। जयराम सरकार के दौरान हिमकेयर योजना के अंतर्गत 6,28,682 परिवारों को पंजीकृत किया गया तथा 3.22 लाख लोगों को 302.26 करोड़ की लागत से मुफ्त इलाज प्रदान किया गया था। वर्तमान सरकार ने क्या किया सभी को पता है। आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत कमज़ोर आय वर्ग के कुल 4,32,542 परिवारों को 5 लाख तक की मुफ्त कवरेज। मुख्यमंत्री सहारा योजना के अंतर्गत गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों के परिचारकों को 3000 रु की मासिक आर्थिक सहायता। 20,000 लाभार्थियों पर 80 करोड़ व्यय हुए। मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष से 953 गंभीर रोग से पौड़ित गरीब व्यक्तियों के इलाज पर सरकार द्वारा 10.46 करोड़ का व्यय।
उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में वित्तीय कुप्रबंधन का दौर चल रहा है, मुख्यमंत्री और उनके मंत्री इस बारे में कुछ भी नहीं कर रहे है। बस कुप्रबंधन की आड़ में और पैसों के नाम पर प्रदेश की जनता को परेशान करने में लगे हुए है, सरकार कोई भी ऐसी योजना गिना दे जिससे जनता को कोई राहत पहुंची हो।
उन्होंने कहा की विक्रमादित्य को मिली पार्टी लाइन पर चलने की नसीहत दिल्ली से मिली है, उत्तर प्रदेश की तर्ज पर रेहड़ीवालों को नेमप्लेट लगाने का आदेश देने वाले हिमाचल प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री एवं शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह को कांग्रेस के आलाकमान ने फटकार लगाई है। कांग्रेस आलाकमान ने उन्हें दिल्ली बुलाकर पार्टी की नीतियों और विचारधारा से अलग नहीं जाने की नसीहत दी है। अब बताओ की कांग्रेस के नेता कांग्रेस नेताओ के दबाव में काम कर नहीं रहे है या नहीं ?
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा