मुरैना, 29 सितंबर (Udaipur Kiran) । हम सब जानते हैं कि हमारी संस्कृति, हमारे देश में हाड मांस की पूजा नहीं होती है, व्यक्ति के गुण और समर्पण और तप की पूजा होती है। वह सब महाराज ज्ञान सागर में मौजूद थे। परम पूज्य ज्ञान सागर महाराज का ज्ञान हम सबको मिला है। वे बडे संत तो थे ही, लेकिन हम सब के लिए प्रेरणा स्त्रोत रहे हैं।
यह बात विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने रविवार को ज्ञान तीर्थ स्थल एबी रोड स्थित मुरैना पर जैन समाज के महा मस्ताभिषेक के आयोजन में सभा को संबोधित करते हुए कही। इस अवसर पर श्री 108 शिवानंदी महाराज और प्रश्र्वानंदी महाराज के साथ साध्वी और जैन समाज के प्रमुख लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम में सांसद शिवमंगल सिंह तोमर, महापौर शारदा सोलंकी, योगेशपाल गुप्ता और अम्बाह पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष जिनेश जैन सहित बडी संख्या जैन समाज के लोग उपस्थित थे।
विधानसभा अध्यक्ष तोमर ने कहा कि बड़े संत ने चम्बल में जन्म लिया। आम तौर पर हमारा देश धर्मावलंबी देश है। भिन्न-भिन्न धर्म, संप्रदाय के लोग देश में रहे हैं। सभी से हमको जीवन जीने की राह का ज्ञान प्राप्त हुआ है। वहीं ज्ञान सागर महाराज ने इस क्षेत्र के लोगों को दिया।
सांसद शिवमंगल सिंह तोमर ने कहा कि ज्ञान सागर महाराज जप तप के बाद अपना अधिकांश समय बच्चों के साथ व्यतीत करते थे। वे बच्चों को संस्कार से परिपूर्ण बनाने के लिए अपने विचारों की शिक्षा उनको प्रदान करते थे, ताकि संस्कारित समाज का निर्माण हो सके। उन्होंने हमेशा जीवों के प्रति करूणा दिखाई। उनका मानना था कि इस श्रृष्टि के प्रत्येक जीव में ईश्वर का वास है इसलिए मनुष्य की तरह पृथ्वी के सभी जीवों के प्रति दया करूणा का भाव हर इंसान के ह्रदय में होना चाहिए। ज्ञान सागर महाराज ने इस क्षे़त्र को विकसित करने का काम किया है। यह क्षे़त्र सिहोनिया जैसा तीर्थ स्थल बन गया है। यह हम सबके लिए सौभाग्य और प्रसन्नता की बात है कि हमारे क्षेत्र में इतने बडे संत प्रभु ने जन्म लिया है।
ग्वालियर किले के निर्माण का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि ग्वालियर किले के अंदर अधिकांशतः तीर्थंकर की प्रतिमाऐं हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि तोमर वंश के खण्डकाल में जैन समाज का बहुआयामी विकास हुआ है। समाज में आजकल जो प्रचलन चल रहा है कि युवा अवस्था के बाद जब वृद्धावस्था आ जाये तब तीर्थों को चारों धाम करने जायें। जबकि मनुष्य के जन्म से ही प्रभु की आराधना और भगवान का स्मरण लगातार रहना चाहिए। दुनिया का अगर कोई कठिन काम है तो वह योग्य व्यक्ति का निर्माण करना है जो ज्ञान सागर महाराज करते थे। हम सब सांसारिक प्राणी हैं कभी कोई मुझसे भूल हुई हो तो मैं क्षमा चाहता हूं।
इस दौरान महापौर शारदा सोलंकी ने भी अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम के अंत में श्री 108 शिवानंद महाराज ने अपनी दो विशेष मांगों को प्रस्तुत किया जिसमें उन्होंने कहा कि एक महावीर स्वामी का कीर्ति स्तंभ जो मुरैना में नहीं है, उसको स्थापित किया जाये और दूसरा जैन समाज के साधुओं के लिए समाधी स्थल के लिए स्थल चयन किया जाये।
(Udaipur Kiran) तोमर