-सेवा समाप्ति आदेश उनके पक्ष में रद्द करने का एकलपीठ का आदेश दो जजों पीठ ने किया रद्द
-इलाहाबाद विश्वविद्यालय की विशेष अपील स्वीकार
प्रयागराज, 28 सितम्बर (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के सहायक प्रोफेसर राघवेन्द्र मिश्र की सेवा समाप्ति को सही माना और एकलपीठ के याचिका मंजूर करने के आदेश को रद्द करते हुए विश्वविद्यालय की अपील को स्वीकार कर लिया है।
कोर्ट ने कहा है कि प्रोवेशन अवधि न बढ़ाने का फैसला दंडात्मक या धब्बा नहीं है। प्रोवेशन अवधि में कार्य संतोषजनक न होने पर सेवा समाप्ति के लिए नैसर्गिक न्याय का पालन किया जाना जरूरी नहीं है। हटाने से पहले एक माह की नोटिस या सुनवाई का मौका देना जरूरी नहीं है। इसलिए कार्यकारिणी परिषद द्वारा प्रोवेशन अवधि न बढ़ाने के प्रस्ताव पर सेवा समाप्त करना ग़लत नहीं है। खंडपीठ ने कहा एकलपीठ ने विरोधाभासी निष्कर्ष निकाले। इसलिए उनका आदेश बने रहने लायक नहीं है।
यह आदेश न्यायमूर्ति एम सी त्रिपाठी तथा न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय की तरफ से एकलपीठ के फैसले के खिलाफ दाखिल विशेष अपील को मंजूर करते हुए दिया है।
मालूम हो कि विपक्षी याची 2021 में सहायक प्रोफेसर नियुक्त हुआ। एक साल प्रोवेशन पीरियड बीतने के बाद एक साल के लिए बढ़ाया गया। किंतु शिकायत पर कार्यकारिणी परिषद ने याची सहित अन्य का प्रोवेशन पीरियड बढ़ाने से इंकार कर दिया।
एकलपीठ का कहना था कि एजेंडे में यह विषय नहीं था। जिस पर असहमति जताते हुए खंडपीठ ने कहा कि क्लाज 5 के तहत कुलपति की अनुमति से प्रस्ताव पारित किया जा सकता है। याची का कहना था सेवा समाप्ति आदेश दंडात्मक व कैरियर पर स्टिगमा (दाग) है।
खंडपीठ ने इस तर्क को सही नहीं माना और कहा कि प्रोवेशन पीरियड संतोषजनक नहीं है तो अवधि न बढ़ाना दंड या स्टिगमा नहीं है। कोर्ट के इस फैसले से सहायक प्रोफेसर को बढ़ा झटका लगा है।
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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे