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दिल्ली में वायु प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए सात अक्टूबर से सात नवंबर एंटी डस्ट कैंपेन चलाएगी सरकार- गोपाल राय

फाइल फोटो

नई दिल्ली, 28 सितंबर (Udaipur Kiran) । दिल्ली सरकार विंटर एक्शन प्लान के तहत सात अक्टूबर से सात नवंबर तक एंटी डस्ट कैंपेन चलाएगी। शनिवार को यह जानकारी देते हुए पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि इस कैंपेन के तहत पूरी दिल्ली में निगरानी के लिए 13 विभागों की 523 टीमें तैनात की गई हैं। सीएंडडी पोर्टल पर 500 वर्ग मीटर से अधिक वाले सभी निर्माण साइट्स को पंजीकरण करना अनिवार्य कर दिया गया है। सभी विभागों को सीएंडडी साइट्स का निरीक्षण करने और कंस्ट्रक्शन साइटों पर निर्माण संबंधी जारी 14 दिशा-निर्देशों के उल्लंघन पर कार्रवाई की जाएगी। धूल प्रदूषण को रोकने के लिए 85 मैकेनिकल रोड स्वीपिंग (एमआरएस) मशीनें और 500 वॉटर स्प्रिंकलर तैनात की जा रही हैं। उन्होंने बताया कि पर्यावरण नियमों का पालन करते हुए उत्कृष्ट कार्य करने वाली निर्माण एजेंसी/विभाग को हरित रत्न अवार्ड दिया जाएगा।

गोपाल राय ने बताया कि दिल्ली सरकार द्वारा उठाए गए कड़े कदमों की वजह से दिल्ली में वायु प्रदूषण में लगातार सुधार हो रहा है। दिल्ली सरकार द्वारा उठाए गए कदमो के कारण पिछले 9 सालों में दिल्ली के वायु प्रदूषण में 34.6 फीसद की कमी देखी गई है। सर्दियों के मौसम में होने वाले प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए 25 सितंबर को 21 फोकस प्वाइंट पर आधारित विंटर एक्शन प्लान की घोषणा की गई थी। दिल्ली में वायु प्रदूषण में और सुधार लाने के लिए विंटर एक्शन प्लान के तहत हमारी सरकार 7 अक्टूबर से अगले एक महीने के लिए दिल्ली में एंटी डस्ट कैंपेन शुरू कर रही है।

निगरानी करेंगी 523 टीमें

गोपाल राय ने बताया कि एंटी डस्ट कैंपेन के तहत पूरी दिल्ली में निगरानी को लेकर 13 विभागों की 523 टीमों की तैनाती की जा रही है। ये टीमें 24 घंटे दिल्ली में डस्ट प्रदूषण की घटनाओ की निगरानी और उसे रोकने का काम करेंगी। जिसकी रिपोर्ट समय-समय पर पर्यावरण विभाग और डीपीसीसी के साथ साझा की जाएगी।

सीएंडडी साइट्स का पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन अनिवार्य

पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि कंस्ट्रक्शन साइट्स से पैदा होने वाला धूल प्रदूषण लोगो के स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक साबित होता है। इसी दिशा में कार्य करने के लिए कंस्ट्रक्शन एंड डेमोलिशन पोर्टल को लांच किया गया था। इस पोर्टल पर 500 वर्ग मीटर से अधिक सभी साइट्स का खुद रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य है। इस अभियान के तहत यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी सक्रिय सीएंडडी साइटें पोर्टल पर पंजीकृत हो जाएं और डीपीसीसी द्वारा पोर्टल पर रजिस्टर्ड सभी पंजीकृत साइट्स की सेल्फ अस्सेस्मेंट रिपोर्ट की समीक्षा का कार्य किया जाएगा।

एंटी स्मॉग गन, एमआरएस व वॉटर स्प्रिंकलर की तैनाती

मंत्री गोपाल राय ने कहा कि डस्ट प्रदूषण को रोकने के लिए 85 मैकेनिकल रोड स्वीपिंग (एमआरएस) मशीनों, 500 वॉटर स्प्रिंकलर की पूरी दिल्ली में तैनाती की जा रही है। नवंबर में एक शिफ्ट से बढ़ाकर तीन शिफ्टों में मोबाइल एंटी स्मॉग गन की सड़कों पर तैनाती होगी। इसके लिए 200 मोबाइल एंटी स्मॉग गन लगाए जाएंगे।

निर्माण संबंधी 14 नियमों का पालन जरूरी

पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि सभी कंस्ट्रक्शन साइटों पर निर्माण संबंधी जारी 14 नियमों को लागू करना अनिवार्य है। इसके लिए विभागों को निर्माण साइट्स की लगातार निगरानी करने के निर्देश जारी किए गए है। कंस्ट्रक्शन साइटों पर नियम उल्लंघन होने पर विभाग द्वारा कार्रवाई की जाएगी।

कंस्ट्रक्शन साइटों पर निर्माण के लिए तय किए गए नियम

-सभी निर्माण साइटों पर निर्माण स्थल के चारों तरफ धूल रोकने के लिए ऊंची टीन की दीवार खड़ी करना जरूरी है।

-धूल प्रदूषण को लेकर पहले केवल 20 हजार वर्ग मीटर से ऊपर के निर्माण साईट पर ही एंटी स्मोग गन लगाने का नियम था। अब नए नियम के आधार पर 5 हजार वर्गमीटर से लेकर उससे अधिक के एरिया के निर्माण साइट पर एंटी स्मोग गन लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। 5 हजार से 10 हजार वर्ग मीटर की निर्माण साईट पर 1 एंटी स्मॉग गन, 10 हजार से 15 हजार वर्ग मीटर साइट पर 2, 15 हजार से 20 हजार वर्ग मीटर की निर्माण साइट पर 3 और 20 हजार वर्ग मीटर से ऊपर की निर्माण साइट पर कम से कम 4 एंटी स्मॉग गन होनी चाहिए।

-निर्माण और ध्वस्तीकरण कार्य के लिए निर्माणाधीन क्षेत्र और भवन को त्रिपाल या नेट से ढकना जरूरी है।

-निर्माण स्थल पर निर्माण सामग्री को लाने-ले जाने वाले वाहनों की सफाई एवं पहिए साफ करना जरूरी है।

-निर्माण सामग्री ले जा रहे वाहनों को पूरी तरह से ढंकना जरूरी है।

-निर्माण सामग्री और ध्वस्तीकरण का मलबा चिन्हित जगह पर ही डालना जरूरी है, सड़क के किनारे उसके भंडारण पर प्रतिबंध है।

-किसी भी प्रकार की निर्माण सामग्री, अपशिष्ट, मिट्टी-बालू को बिना ढके नहीं रखना है।

-निर्माण कार्य में पत्थर की कटिंग का काम खुले में नहीं होनी चाहिए। साथ ही साथ ही वेट जेट का उपयोग पत्थर काटने में किया जाना चाहिए।

-निर्माण स्थल पर धूल से बचाव के लिए कच्ची सतह और मिट्टी वाले क्षेत्र में लगातार पानी का छिड़काव करना चाहिए।

-बीस हजार वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र के निर्माण और ध्वस्तीकरण साइट्स जाने वाली सड़क पक्की और ब्लैक टोप्पड होनी चाहिए।

-निर्माण और ध्वस्तीकरण से उत्पन्न अपशिष्ट का साइट पर ही रिसायकल किया जाना चाहिए या उसका चिन्हित साइट पर निस्तारण किया जाए और उसका रिकॉर्ड मेंटेन किया जाए।

-निर्माण स्थल पर लोडिंग-अनलोडिंग एवं निर्माण सामग्री या मलबे की ढुलाई करने वाले कर्मचारी को डस्ट मास्क देना पड़ेगा।

-निर्माण स्थल पर कार्य करने वाले सभी वर्कर के लिए चिकित्सा की व्यवस्था करनी होगी।

-निर्माण स्थल पर धूल कम करने के उपाय के दिशा-निर्देशों का साइन बोर्ड प्रमुखता से लगाना पड़ेगा।

नियमों के उल्लंघन पर लगेगा जुर्माना

-सीएंडडी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन नहीं करने पर 20,000 वर्ग मीटर से कम क्षेत्र वाले निर्माण प्रोजेक्ट पर 1 लाख का और 20,000 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र वाले निर्माण प्रोजेक्ट पर 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।

-एंटी स्मॉग गन नहीं लगाने पर 7,500 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना लगाया जाएगा।

-निर्माण साइट्स पर धूल शमन उपाय नहीं करने पर 500 वर्ग मीटर से कम क्षेत्र वाले निर्माण प्रोजेक्ट पर 7,500 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से और उससे अधिक क्षेत्र वाले निर्माण प्रोजेक्ट पर 15000 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना लगाया जाएगा।

-निर्माण सामग्री ले जा रहे वाहनों को ढंकना जरूरी है, अगर इसका उल्लंघन होने पर 7,500 रुपया जुर्माना लगाया जाएगा।

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(Udaipur Kiran) / कुमार अश्वनी

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