नई दिल्ली, 28 सितंबर (Udaipur Kiran) । डिजिटल गोल्ड में निवेश की इच्छा रखने वाले निवेशकों के लिए सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) हमेशा ही पसंदीदा इन्वेस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट रहा है। इस साल फरवरी में एसजीबी की आखिरी किस्त जारी हुई थी, लेकिन उसके बाद से निवेशक अभी तक इस स्कीम की अगली किस्त का इंतजार ही कर रहे हैं। खबर है कि जल्दी ही कुछ बदलावों के साथ एसजीबी की अगली किस्त लॉन्च की जा सकती है।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की पहली किस्त नवंबर 2015 में लॉन्च की गई थी। उस समय से लेकर फरवरी 2024 तक इसकी 67 किस्तें आ चुकी हैं। फरवरी में आई इसकी आखिरी किस्त में 27,031 करोड़ रुपये का निवेश हुआ था। हालांकि बाद में अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत में आई जोरदार तेजी के कारण केंद्र सरकार 2024-25 के लिए अभी तक सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की अगली किस्त की घोषणा नहीं कर सकी है।
जानकारों के अनुसार सोने की कीमत में आई तेजी के कारण एसजीबी की मैच्योरिटी पर निवेशकों को पैसा देने में सरकार को काफी बड़ी रकम खर्च करनी पड़ रही है। एसजीबी के रिडेम्प्शन के लिए केंद्र सरकार ने पिछले वित्त वर्ष में गोल्ड रिजर्व फंड में 2,424 करोड़ रुपये डाले थे। इस वित्त वर्ष में एसजीबी के रिडेम्प्शन के लिए गोल्ड रिजर्व फंड में 8,551 करोड़ रुपये की जरूरत है। पिछले वित्त वर्ष की तुलना में इस रकम में लगभग 250 प्रतिशत की उछाल आ गई है।
अभी तक सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की 4 किस्तें मैच्योर हो चुकी हैं। इससे जाहिर है कि शेष बची 63 किस्तों के लिए अभी सरकार को अलग-अलग समय पर काफी बड़ी राशि गोल्ड रिजर्व फंड में ट्रांसफर करनी होगी। यही वजह है कि केंद्र सरकार अब एसजीबी की आने वाली किस्तों में कुछ बदलाव करना चाहती है, ताकि निवेशकों को भी नुकसान का सामना न करना पड़े और केंद्र सरकार पर भी अधिक वित्तीय बोझ ना आए।
जानकारों का कहना है कि केंद्र सरकार एसजीबी की कैपिंग को कम कर सकती है। इसके साथ ही इन्वेस्टमेंट की न्यूनतम राशि को भी काम करने का फैसला लिया जा सकता है। ऐसा होने से छोटे इन्वेस्टर को होने वाले मुनाफे में कोई कमी भी नहीं आएगी और केंद्र सरकार पर बड़ा बोझ भी नहीं आएगा।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने फिजिकल गोल्ड की जगह डिजिटल गोल्ड में इन्वेस्टमेंट का मौका देने के लिए इन्वेस्टर्स के सामने सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम की शुरुआत की थी। ऐसा करने का एक बड़ा उद्देश्य गोल्ड के इंपोर्ट को काम करना था।
दरअसल, फिजिकल गोल्ड में निवेश बढ़ने से सरकार का गोल्ड इंपोर्ट भी बढ़ जाता है। गोल्ड का इंपोर्ट करने पर उसका भुगतान डॉलर में करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में गोल्ड का इंपोर्ट बढ़ने पर इसका सीधा असर देश की विदेशी मुद्रा भंडार पर भी पड़ता है। यही कारण है कि केंद्र सरकार निवेशकों को फिजिकल गोल्ड की जगह डिजिटल गोल्ड में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करने की कोशिश करती रही है। इसीलिए सोने की कीमत में काफी तेजी आ जाने के बावजूद केंद्र सरकार सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को पूरी तरह से बंद करने की जगह उसे कुछ बदलावों के साथ आगे भी जारी रखना चाहती है।
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(Udaipur Kiran) / योगिता पाठक