छिन्दवाडा, 27 सितंबर (Udaipur Kiran) । राज्यपाल मंगुभाई पटेल शुक्रवार को राजा शंकरशाह विश्वविद्यालय छिंदवाड़ा के प्रथम दीक्षांत समारोह में शामिल हुये। उन्होंने विश्वविद्यालय के विभिन्न संकाय के विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक एवं उपाधि भेंट की। कार्यक्रम को संबोधित कर राज्यपाल पटेल ने कहा कि शौर्य और पराक्रम की भूमि छिंदवाड़ा में स्थित राजा शंकरशाह विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह में शामिल होकर मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है। उन्होंने गोंडवाना और महाकौशल के क्रांति सूर्य जनजातीय नायक राजा शंकरशाह और कुंवर रघुनाथ शाह का पुण्य स्मरण करते हुए दीक्षित होने वाले सभी विद्यार्थियों को बधाई दी।
राज्यपाल पटेल ने कहा कि विश्वविद्यालयीन शिक्षा का स्वरूप शैक्षणिक संस्कारों को सेवा संस्कारों में बदलने, समाज और राष्ट्र सेवा के लिए देश की भावी पीढ़ी को संकल्पित कराना है। छात्र-छात्राओं की मौलिक प्रतिभा को उभार कर, उन्हें ज्ञान और कौशल से सम्पन्न बनाना विश्वविद्यालय के शिक्षकों का दायित्व है। उन्होंने विद्यार्थियों को राष्ट्र एवं समाज के विकास की चुनौतियों के समाधान के लिए सक्षम और समर्थ कर सामाजिक सरोकारों में सहभागिता के लिए प्रेरित करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जनजातीय नायक-नायिकाओं की गौरव गाथाओं और मातृ भूमि के लिए हौसलों के साथ दुनिया की शक्तिशाली साम्राज्यवादी शक्ति को भयभीत करने के प्रसंगों के बारे में विद्यार्थियों को बताया जाना जरुरी है। उन्होंने केन्द्र एवं राज्य सरकार के गुमनाम शहीदों, वीरों और वीरांगनाओं की स्मृति और बलिदान को पुनर्जीवित कर नई पीढ़ी से परिचित कराने की पहल की सराहना की।
उन्होंने कहा कि राजा शंकरशाह के नाम पर स्थापित विश्वविद्यालय का यह परम कर्तव्य है कि वह गोंडवाना के राजा शंकरशाह और कुँवर रघुनाथ शाह जैसे अमर बलिदानियों के साहस, शौर्य और वीरता से हमारे युवा और बच्चों को परिचित कराए। उन्होंने उपस्थित विद्यार्थियों को जनजातीय वीरों की वीर गाथाओं में केन्द्रित पुस्तकों को पढ़ने की बात कही। उन्होंने विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य की कामना कर राजा शंकरशाह और कुंवर रघुनाथशाह के जीवन और अपने माता-पिता और गुरुजनों से प्रेरणा लेकर राष्ट्रहित में कार्य करने की बात कही।
सिकल सेल रोग के उन्मूलन के लिये सभी की सहभागिता जरूरी
राज्यपाल पटेल ने उपस्थित छात्र-छात्राओं एवं अभिभावकों को संबोधित कर सिकल सेल एनीमिया के बारे में जानकारी देने के साथ ही सिकलसेल उन्मूलन के लिये सहभागी बनने की अपील की। उन्होंने कहा सिकल सेल एनीमिया के प्रभावी रोकथाम, प्रबंधन और इलाज में हर समुदाय और व्यक्ति को सहभागी बन कर मानवता की सेवा करनी होगी तभी लक्षित वर्ष 2047 तक सिकल सेल एनीमिया मुक्त भारत का लक्ष्य प्राप्त हो सकेगा।
राज्यपाल ने कहा कि सिकल सेल एनीमिया अनुवांशिक रोग है। इसके उन्मूलन के लिए हर परिवार की कॉउंसलिंग एवं स्क्रीनिंग के साथ-साथ आँगनवाड़ी केन्द्र, प्राथमिक, माध्यमिक, हायर सेकेंडरी स्कूल और कॉलेजों में जाकर बच्चों की भी समय-समय पर सिकल सेल एनीमिया की जाँच को प्रोत्साहित करने के लिये कहा। उन्होंने केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा सिकल सेल एनीमिया के उन्मूलन के लिए चलाये जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों और नीतिगत प्रावधानों की जानकारी भी उपस्थित जनों को दी।
कार्यक्रम को संबोधित कर उच्च शिक्षा मंत्री इंदरसिंह परमार ने कहा कि भारतीय परंपराओं के अनुसार प्रत्येक विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह का आयोजन किया जाना निश्चित रूप से गौरव का विषय है। उन्होंने इस अवसर पर राजा शंकरशाह एवं कुंवर रघुनाथशाह की वीर गाथा का विशेष रूप से उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारतीय इतिहास जनजातीय वीरों की वीर गाथाओं से भरा हुआ है । 1857 की क्रांति एवं इसके पूर्व के स्वतंत्रता संग्रामों में जनजातीय वीरों की सहभागिता रही है। मंत्री परमार ने कहा कि संपूर्ण प्रदेश में जनजातीय इतिहास को अध्ययन कर विषय बनाया जायेगा। इस अवसर पर उन्होंने राजा शंकरशाह विश्वविद्यालय के पृथक भवन के लिये भी राशि स्वीकृत करने की घोषणा की।
(Udaipur Kiran) तोमर