अहमदाबाद, 27 सितंबर (Udaipur Kiran) । वक्फ बोर्ड बिल के लिए बनी ज्वॉइंट पार्लियामेंट्री कमिटी (जेपीसी) की बैठक शुक्रवार को अहमदाबाद के एक होटल में हुई। इसमें जेपीसी के 20 सदस्यों समेत गुजरात सरकार के प्रतिनिधि शामिल हुए। बैठक में बिल के फायदों के साथ ही इसके संभावित असर के संबंध में सदस्यों को जानकारी दी गई। बैठक में गुजरात वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष समेत सदस्य शामिल हुए।
अहमदाबाद में आयोजित जेपीसी की बैठक में एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सूरत महानगर पालिका के वर्षों पुराने कार्यालय भवन को वक्फ बोर्ड की सम्पत्ति बताया। इस पर गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने कड़ा विरोध जताया। संघवी ने बताया कि गुजरात सरकार के प्रतिनिधिमंडल ने संसद की ओर से बनाए गए वक्फ अमेंडमेंट 2024 की जेपीसी को सुझाव दिए हैं। जेपीसी के नियमानुसार इन सूचनाओं को सार्वजनिक तौर पर साझा नहीं किया जा सकता है। जेपीसी ही इसे नियमानुसार लोगों को बताएगी। ओवैसी से हुई नोकझोंक के संबंध में संघवी ने कहा कि जेपीसी के दौरान हुई चर्चा को हम नहीं बता सकते हैं।कांग्रेस के जमालपुर-खाडिया के विधायक इमरान खेडावाला ने इस बिल को रद्द करने की मांग की। उन्होंने कहा कि यदि यह कानून का रूप लेता है तो मुस्लिम समाज का नुकसान होगा।
सूरत मनपा के ऑफिस का यह है मामला
सूरत के गोरधनदास चोखावाला रोड पर करीब 150 वर्ष पुराना सूरत महानगर पालिका का कार्यालय है। सूरत निवासी अब्दुल्लाह जरुल्लाह के दावे के अनुसार यह हुमायुं सराय है। इस भवन को शाहजहां की पुत्री जहाआरा के खास भरोसेमंद इसाकबेग आजदी उर्फ हकीकत खान ने वर्ष 1644 में बनवाकर वक्फ किया था। इसका क्षेत्रफल 5663 वर्गमीटर है, लेकिन पिछले 150 साल से इसे म्यूनिसिपालिटी कार्यालय के रूप में पहचाना जाता है। वक्फ बोर्ड के समक्ष इस सम्पत्ति पर 2015 में दावा किया गया था। इसका फैसला वर्ष 2021 में आया था। तब इसे वक्फ बोर्ड की सम्पत्ति घोषित कर दी गई थी। सूरत महानगर पालिका ने इस फैसले के विरोध में वर्ष 2021 में गांधीनगर वक्फ ट्रिब्यूनल में अपील की। वक्फ बोर्ड ट्रिब्यूनल ने सूरत महानगर पालिका के पक्ष में फैसला सुनाया था।
—————
(Udaipur Kiran) / बिनोद पाण्डेय