नई दिल्ली, 27 सितंबर (Udaipur Kiran) । आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वाईएसआर कांग्रेस के अध्यक्ष जगन मोहन रेड्डी ने शुक्रवार को तिरुपति की अपनी प्रस्तावित यात्रा को रद्द कर दिया। तेलगु देशम पार्टी के नेताओं ने उन्हें यात्रा से पहले अपनी आस्था को स्पष्ट करने को कहा था। उन्होंने पत्रकार वार्ता कर तिरुपति प्रसादम पर जारी विवाद पर सफाई दी और कहा कि तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) के अधिकारियों ने परीक्षण में विफल रहे घी के सभी टैंकरों को वापस भेज दिया था।
उल्लेखनीय है कि विश्व प्रसिद्ध तिरुपति मंदिर में दिए जाने वाले लड्डू प्रसादम में उपयोग होने वाले घी में जानवरों की चर्बी मिली होने को लेकर उठे विवाद पर देशभर में नाराजगी चल रही है । विवाद के केन्द्र में आये पूर्व मुख्यमंत्री रेड्डी शनिवार को तिरुपति में दर्शन करने वाले थे। हालांकि तेदेपा, जनसेना पार्टी और भाजपा ने यात्रा का विरोध किया और उन्हें अपनी आस्था घोषित करते हुए फार्म भरने के लिए कहा। ऐसा नहीं करने पर विरोध प्रदर्शन करने की धमकी दी।
इसके बाद यात्रा स्थगित करने की घोषणा करते हुए जगन मोहन रेड्डी ने पत्रकार वार्ता को संबोधित किया। जगन मोहन रेड़्डी ने कहा कि इतिहास में पहली बार है कि किसी को मंदिर जाने से रोका जा रहा है। वे मुख्यमंत्री बनने से पहले भी तिरुपति जा चुके हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद वे हर वर्ष वहां जाते थे। जगन ने कहा कि तिरुपति में घी के टैंकर की पहले जांच की जाती रही है। जांच में कमी पाए जाने पर उन्हें लौटा दिया जाता है। यह एक प्रक्रिया है। रिपोर्ट में जिन टैंकरों के घी की बात कही गई है, वे मंदिर से लौटाए गए थे। उनका घी उपयोग ही नहीं किया गया।
उन्होंने बताया कि चंद्रबाबू नायडू द्वारा नियुक्त टीटीडी के कार्यकारी अधिकारी ने कहा कि 23 जुलाई को पुष्टि की गई कि वनस्पति तेल में मिलावट की गई थी और आपूर्तिकर्ताओं को कारण बताने के लिए एक नोटिस जारी किया गया था। टीटीडी के कार्यकारी अधिकारी ने बाद में 20 सितंबर को पुष्टि की कि लड्डू प्रसादम बनाने के लिए मिलावटी घी का इस्तेमाल नहीं किया गया था। कार्यकारी अधिकारी के रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद भी चंद्रबाबू नायडू हमारी पार्टी और हिंदू भावनाओं के बारे में झूठे आरोप फैला रहे हैं और तिरुमाला प्रसाद और मंदिर की पवित्रता के बारे में सवाल उठा रहे हैं।
रेड्डी ने कहा कि उनकी जाति के बारे में कई सवाल उठाए गए हैं। वे घर पर चार दीवारी में बाइबिल पढ़ते हैं। बाहर आने पर वे हिंदू, इस्लाम और सिख धर्म का सम्मान करते हैं और उनका पालन करते हैं। वे मानवता को मानने वाले हैं। संविधान भी यही कहता है? उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के समकक्ष को मंदिर में जाने की अनुमति नहीं है, तो सवाल उठता है कि दलितों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता होगा ।
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(Udaipur Kiran) / अनूप शर्मा