Assam

जयपुर के बिड़ला ऑडिटोरियम की तर्ज पर बनेगा रेस्ट कैम्प कालीबाड़ी की दुर्गा पूजा

गुवाहाटीः रेस्ट कैम्प कालीबाड़ी दुर्गा पूजा (फाइल फोटो)

-पांडू-मालीगांव क्षेत्र की सबसे बड़ी और प्रसिद्ध दुर्गापूजा, रेस्ट कैंप कालीबाड़ी की पूजा इस वर्ष 76वें वर्ष में कर रही प्रवेश

गुवाहाटी, 27 सितंबर (Udaipur Kiran) । राजधानी के पांडू-मालीगांव क्षेत्र की सबसे बड़ी और प्रसिद्ध दुर्गापूजा, रेस्ट कैंप कालीबाड़ी की पूजा इस वर्ष 76वें वर्ष में प्रवेश कर रही है। हर साल की तरह इस बार भी हजारों श्रद्धालु और दर्शक इस विशेष आयोजन को देखने दूर-दूर से आएंगे। स्थानीय लोगों के लिए यह दुर्गापूजा महज धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक उत्सव का प्रतीक है, जिसमें भक्ति, आनंद और सामुदायिक एकता का मेल देखने को मिलता है।

इस वर्ष की दुर्गापूजा की थीम के रूप में जयपुर के प्रसिद्ध बिड़ला ऑडिटोरियम को चुना गया है। इस थीम के सौंदर्य और कला की बारीकियों को जीवंत करने के लिए पश्चिम बंगाल के प्रसिद्ध मूर्तिकार भास्कर हलदार को पंडाल निर्माण का जिम्मा सौंपा गया है। आयोजन समिति का मानना है कि इस भव्य थीम और खूबसूरत कारीगरी से पंडाल इस वर्ष विशेष आकर्षण का केंद्र बनेगा और दर्शकों के दिलों को छुएगा।

दुर्गा प्रतिमा की बात करें तो इसे पारंपरिक शैली में तैयार किया जा रहा है। प्रसिद्ध प्रतिमा कलाकार नीलू पाल द्वारा बनाई जा रही। इस प्रतिमा में परंपरागत सुंदरता और गरिमा का विशेष ध्यान रखा गया है। नीलू पाल की कला और परंपरागत शैली की छाप से प्रतिमा अद्वितीय दिखेगी, जो दर्शकों के दिलों में एक विशेष स्थान बनाएगी।

रेस्ट कैंप कालीबाड़ी की दुर्गापूजा का एक अन्य प्रमुख आकर्षण विशाल मेला है। यह मेला पूजा के शुरू होने से कुछ दिन पहले ही प्रारंभ हो जाता है और न सिर्फ पांडू क्षेत्र के लोग बल्कि, आसपास के इलाके से भी लोग बड़ी संख्या में मेले का आनंद लेने आते हैं। मेले में दूर-दूर से व्यापारी आते हैं और इसमें खाने-पीने के स्टॉल से लेकर बच्चों के लिए विभिन्न प्रकार के राइड्स और खेल स्टॉल शामिल होते हैं। बच्चों के लिए यह मेला खास आनंद का स्रोत होता है, जहां वे पूरे उत्साह और मस्ती से दिन बिताते हैं। दर्शकों की सुविधा के लिए मेले में सुव्यवस्थित पार्किंग की भी व्यवस्था की गई है, ताकि लोग बिना किसी असुविधा के इस विशेष आयोजन का हिस्सा बन सकें।

पूजा मंडप को पश्चिम बंगाल के मशहूर प्रकाश शिल्पी बप्पी भास्कर अपनी विशेष प्रकाश व्यवस्था से रोशन करेंगे। उनकी कला से सजी प्रकाश व्यवस्था पूरे मंडप को जीवन्त कर देगी, जो इस पूजा को एक अद्वितीय अनुभव में बदल देगी। इसके अलावा, पश्चिम बंगाल के ढाकियों की ढाक की धुनों से पूजा मंडप गूंज उठेगा, जो इस आयोजन की खुशी और आनंद को और भी बढ़ाएगा। ढाक की आवाज सुनते ही मानो पूजा का पूरा माहौल जीवंत हो उठता है। इस वर्ष भी यह परंपरा पूरी भव्यता के साथ जीवित रहेगी।

सुरक्षा की दृष्टि से भी इस बार पूजा मंडप में विशेष व्यवस्था की गई है। सरकारी नियमों का पालन करते हुए सीसीटीवी कैमरों की व्यवस्था की जाएगी और निजी सुरक्षा गार्ड भी तैनात रहेंगे, ताकि श्रद्धालु और दर्शक बिना किसी चिंता के इस महोत्सव का आनंद उठा सकें। पूजा स्थल के चारों ओर सुरक्षा के कड़े इंतजाम रहेंगे, जिससे श्रद्धालु पूरी तसल्ली के साथ पूजा और मेला का हिस्सा बन सकें।

इस वर्ष दुर्गापूजा का शुभारंभ 6 अक्टूबर (रविवार) को होगा। पूजा का उद्घाटन उत्तर-पूर्व सीमांत रेलवे के जनरल मैनेजर चेतन कुमार श्रीवास्तव और उनकी पत्नी शालिनी श्रीवास्तव द्वारा किया जाएगा। यह आयोजन इस पूजा की प्रतिष्ठा को और बढ़ाएगा और इसे खास बना देगा।

जैसा कि हर साल होता है, इस बार भी पूजा की विशेष स्मारिका में प्रतिष्ठित साहित्यकार, कवि और कथाकारों को स्थान दिया जाएगा। इस साहित्यिक पहल का स्वागत स्थानीय निवासियों ने बड़े उत्साह के साथ किया है। यह आयोजन केवल भक्ति और धार्मिक उत्सव तक सीमित नहीं रहता बल्कि, इसमें साहित्य, संस्कृति और सामाजिक मूल्यों की भी झलक मिलती है।

हालांकि, रेस्ट कैंप कालीबाड़ी की दुर्गापूजा बड़े बजट और भव्यता के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में पांडू की नई पीढ़ी ने छोटे बजट की पूजा के माध्यम से अपनी रचनात्मकता और विविधता का परिचय दिया है। इन नई पहल ने बड़े आयोजनों को भी चुनौती दी है और दर्शकों का दिल जीतने में सफल रही है।

रेस्ट कैंप कालीबाड़ी की सार्वजानिक दुर्गापूजा में पूरे गुवाहाटी के दर्शकों के लिए एक विशेष आकर्षण है। इस वर्ष की थीम, कारीगरी, प्रकाश व्यवस्था और मूर्ति कला सभी मिलकर इस पूजा मंडप को एक ऐतिहासिक स्वरूप देने जा रही है, जो आने वाले वर्षों तक याद की जाएगी।

(Udaipur Kiran) / देबजानी पतिकर

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