-टिकट होने के बावजूद विदेश यात्रा नहीं करवाने पर उपभोक्ता को अदा करने के दिए आदेश
जोधपुर, 26 सितम्बर (Udaipur Kiran) । राज्य उपभोक्ता आयोग जोधपुर पीठ ने लुफ्थांसा एयरलाइन द्वारा उपभोक्ता को विदेश यात्रा करने से रोकने को सेवा में त्रुटि मानते हुए 10 लाख रुपये हर्जाना, मय ब्याज व टिकट की राशि देने के आदेश दिए हैं।
राज्य आयोग जोधपुर पीठ के न्यायिक सदस्य अतुल कुमार चटर्जी व सदस्य संजय टाक के समक्ष जोधपुर निवासी परिवादी डॉक्टर सुरेंद्र माथुर, नीना माथुर व सिद्धार्थ माथुर ने मुकदमा प्रस्तुत करते हुए बताया कि उन्होंने विदेश यात्रा करने के लिए अमेरिका, मैक्सिको जाने का प्रोग्राम बनाया। इसके लिए उनके पास वीजा पासपोर्ट व टिकट उपलब्ध थे। डॉक्टर फैमिली ने जयपुर की ट्रैवल एजेंसी के जरिए टिकट बुक की जिसके लिए 2 लाख 85 हजार 505 रुपये दिए। वह निर्धारित तिथि पर मुंबई एयरपोर्ट पर पहुंचें जहां सिक्योरिटी चेक के बाद ऑनलाइन चैकिंग कर काउंटर बोर्डिंग पास दिए गए। बोर्डिंग पास जारी करने के बाद कार्यरत कर्मचारियों ने इंतजार करने को कहा। काफी समय बीतने के बाद पता चला कि नीना माथुर का पासपोर्ट का कवर फटा हुआ है। इस पर एयरलाइंस के कर्मचारियों ने विमान में बैठने की इजाजत नहीं दी और अन्य तीन यात्रियों को उनके स्थान पर यात्रा की अनुमति दे दी। डॉक्टर ने बताया कि कर्मचारियों ने पासपोर्ट के साथ मिस हैंडलिंग की जिससे पासपोर्ट क्षतिग्रस्त हुआ, यदि पासपोर्ट पहले से क्षतिग्रस्त होता तो बोर्डिंग, चैकिंग पॉइंट तक पहुंच ही नहीं सकते थे। कर्मचारियों ने यात्रा रीशेड्यूल करने का आश्वासन दिया लेकिन बाद में वह इससे भी इंकार कर दिया। टिकट को कैंसिल कर दिया। डॉक्टर सुरेंद्र माथुर को अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में भी शामिल होना था, एयरलाइंस के ऐसे बर्ताव के कारण वहां भी नहीं पहुंच सके और ना ही टिकट की राशि वापस दी जिस पर उनके परिवार को मानसिक परेशानी उठानी पड़ी, जिस पर वह राज्य आयोग जोधपुर पीठ में 90 लाख 36 हजार रुपये का दावा प्रस्तुत किया। लुफ्थांसा एयरलाइन कंपनी ने जवाब प्रस्तुत कर आपत्ति की थी कि आयोग को इस वाद को सुनने का क्षेत्राधिकार नहीं है। पासपोर्ट सही अवस्था में नहीं था इससे भी इंकार कर दिया। उन्होंने बताया कि पासपोर्ट रूल्स के अनुसार पासपोर्ट पूरी तरह पहचान नहीं होने की सीमा तक क्षतिग्रस्त था इसलिए नीना माथुर को प्लेन में यात्रा करने की अनुमति नहीं दी गई। इधर ट्रैवल एजेंट ने जवाब देते हुए कहा कि उसके कारण परिवादी की यात्रा रद्द नहीं हुई है। एयरलाइन के अधिवक्ता ने फ्रैंकफर्ट जाने वाले विमान में कितने यात्री थे उसकी सूची प्रस्तुत करने के आदेश भी दिए लेकिन ऐसी कोई सूची आयोग के समक्ष एयरलाइन कंपनी ने प्रस्तुत नहीं की।
आयोग ने अपने निर्णय में यह कहा
आयोग ने अपने निर्णय में कहा कि पासपोर्ट को केवल मात्र कवर फटे होने के कारण क्षतिग्रस्त नहीं माना जा सकता। आयोग ने माना कि एयरलाइन कंपनी की प्रतिनिधि के कारण पासपोर्ट की क्षतिग्रस्त अवस्था हुई थी। सीआईएसएफ द्वारा भी प्रवेश के समय वीजा , टिकट व पासपोर्ट देखा गया था यदि उस समय पासपोर्ट क्षतिग्रस्त होता तो प्रवेश द्वार पर ही प्रवेश से रोक लिया जाता। एयरलाइंस की ओर से पासपोर्ट संबंधी कोई जांच रिपोर्ट भी प्रस्तुत नहीं की। यदि मौके पर सीसीटीवी की फुटेज देख ली जाती तो वास्तविक स्थिति की पुष्टि हो सकती थी। विपक्षी ने तीन अन्य यात्रियों को चैकिंग करवा कर फ्रैंकफ्रट जाने की इजाजत दे दी। संभवत तीन अन्य यात्रियों को यात्रा करवाने की दृष्टि से पासपोर्ट का कवर हटाया गया हो ऐसी स्थिति से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। विपक्षी एयरलाइन कंपनी ने दोबारा टिकट लेने पर रियायत में छूट देने का आश्वासन भी दिया परंतु बाद में इससे भी इंकार कर दिया। आयोग के सदस्य न्यायिक अतुल कुमार चटर्जी व सदस्य संजय टाक ने समस्त तथ्यों व परिस्थितियों को देखते हुए परिवादिगण का परिवाद स्वीकार करते हुए एयरलाइन कंपनी लुफ्थांसा की सेवा में कमी मानते हुए टिकट की राशि 2 लाख 85 हजार 505 मय ब्याज व 10 लाख रुपए मानसिक हर्जाने के व परिवाद पैठे 50 हजार दो माह में देने के आदेश दिए। अपीलार्थी बीमा कम्पनी की ओर से अधिवक्ता देवीलाल व्यास, विकास राठी, तथा विपक्ष की ओर से अधिवक्ता अजीत सिंह उपस्थित हुए।
(Udaipur Kiran) / सतीश