Uttar Pradesh

पितृपक्ष : मातृनवमी तिथि पर श्राद्ध के लिए गंगातट पर उमड़ी भीड़, तर्पण

पिशाचमोचन कुंड पर श्राद्ध करते लोग: फोटो बच्चा गुप्ता

वाराणसी, 26 सितम्बर (Udaipur Kiran) । आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि मातृनवमी पर गुरुवार को दिवंगत माताओं के श्राद्ध के लिए गंगातट और पिशाचमोचन कुंड पर श्राद्ध और तर्पण के लिए भीड़ उमड़ पड़ी। लोगों ने गंगा स्नान के बाद अपनी माताओं, दादी, नानी और दिवंगत बेटियों, बहुओं को स्मरण कर विधि विधान से कर्मकांडी पंडितों की देखरेख में श्राद्ध किया।

पितृ पक्ष के नवमी तिथी पर श्राद्ध और तर्पण के बाद लोगों ने खीर, पूड़ी, हलवा आदि घर में बनवाया। पहले भोजन का तीन ग्रास गाय, श्वान और कौवा को निकाल कर ब्राह्मणाें को भोजन करा दान पुण्य किया। गौरतलब हो कि पितृपक्ष की नवमी तिथि दिवंगत माता का श्राद्ध करने का उपयुक्त दिन होता है। इस दिन दिवंगत माताओं, बहुओं और बेटियों का पिंडदान किया जाता है। जिन महिलाओं की मृत्यु सुहागिन के रूप में हुई हो। इस तिथि पर श्राद्ध करने से परिवार की सभी मृतक महिला सदस्यों की आत्मा प्रसन्न होती है।

सनातन परम्परा में माना जाता है कि मातृ नवमी के दिन श्राद्ध करने से माताओं की आत्मा को शांति मिलती है। जिन विवाहित महिलाओं की मृत्यु नवमी तिथि को हुई हो या फिर जिन महिलाओं की मृत्यु तिथि ज्ञात न हो, उनका श्राद्ध मातृ नवमी के दिन पूरे विधि-विधान से किया जाता है। पिशाच मोचन कुंड शेर वाले घाट के प्रदीप पांडेय बताते है कि मातृ नवमी पर श्राद्ध से मृत महिलाओं की आत्मा को शांति मिलती है। और वे बदले में अपने वंशजों पर आशीर्वाद बरसाती रहती हैं। यदि कोई किसी कारण से श्राद्ध अनुष्ठान करने से चूक जाता है, तो इसे ‘महालय अमावस्या’ पर किया जा सकता है। पितृ पक्ष पखवाड़ा पितरों की मुक्ति के माने जाते हैं। इन 15 दिनों के अंदर देश के विभिन्न तीर्थ स्थलों पर लोग अपने पूर्वजों को स्मरण कर तर्पण करते है। काशी और गया में इसका बड़ा महत्व है।

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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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