बलिया, 24 सितंबर (Udaipur Kiran) ।
अयोध्या में विराजमान प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त और राम सखा के रूप में विख्यात त्रिलोकनाथ पाण्डेय की तीसरी पुण्यतिथि पर शहर के टाउनहाल में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। रामतीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट अयोध्या के महामंत्री विहिप के वरिष्ठ नेता चंपत राय ने बतौर मुख्य अतिथि कहा कि श्रीरामजन्मभूमि मंदिर के मुकदमे के दौरान और जीत के बाद भगवान राम और रामसखा त्रिलोकीनाथ पांडेय एकाकार हो गए थे। उन्होंने भगवान राम के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।
चंपत राय ने रामसखा त्रिलोकीनाथ पांडेय की राम मंदिर को लेकर भूमिका के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि श्रीरामजन्मभूमि की लड़ाई वर्षों से चल रही थी। इस लड़ाई को लेकर 1984 में मंथन हुआ। जिसमें निश्चित हुआ कि उत्तर प्रदेश में जनजागरण किया जाएगा। हालांकि, यह कार्य बीच में रोकना पड़ा। एक साल बाद फिर जनजागरण शुरू हुआ। इसी बीच ध्यान आया कि रामजन्मभूमि से जुड़े मुकदमों का अध्ययन किया जाना चाहिए। जिसके बाद नया मुकदमा करने की तैयारी पटना में हुई। यह मुकदमा रामलला की ओर से 1987 से दायर किया गया। तब सवाल यह खड़ा हुआ कि मूर्ति न बोलती है और न चलती है। फिर इसे लड़ेगा कौन। अदालत ने तब के वकील देवकीनंदन अग्रवाल को यह अधिकार दिया कि मुकदमा लड़ें। उनके वृद्ध होने के बाद त्रिलोकीनाथ पांडेय अदालत की हर जानकारी रखते थे। बाद में उन्हें मुकदमे में राम सखा बनाया गया।
श्री राय ने कहा कि रामजन्मभूमि मंदिर की लड़ाई के लिए मुकदमे में वकीलों ने फीस नहीं ली। क्योंकि हम पैसे नहीं दे पाते और लड़ाई हार जाते। राम काज के लिए सबने। अपना योगदान दिया। राम सखा त्रिलोकीनाथ पांडेय मुकदमे के विपक्षी पैरोकार मुस्लिम पक्ष के लोगों से भी अच्छे संबंध रखते थे। मुस्लिम पक्षकार हाशिम अंसारी को कई बार अपने साथ बैठाकर ले जाते थे। सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद जब मध्यस्थता हुई तब भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई। चार महीने चली मध्यस्थता को उन्होंने अंततः मना कर रोकवा दिया। वे इतने समर्पित थे कि व्हीलचेयर पर भी राममंदिर निर्माण स्थल पर जाते थे। चंपत राय ने रामसखा त्रिलोकीनाथ पाण्डेय स्मृति न्यास का लोकार्पण भी किया। कार्यक्रम को स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती, पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामगोविन्द चौधरी, पूर्व सांसद वीरेन्द्र सिंह मस्त, पूर्व सांसद भरत सिंह,पूर्व मंत्री राजधारी सिंह आदि ने सम्बोधित किया। अध्यक्षता पूर्व डीजीपी श्रीराम तिवारी ने किया।
—————
(Udaipur Kiran) / नीतू तिवारी