Madhya Pradesh

छतरपुर : बुंदेलखण्ड मे अरबों की लागत से बनी जल संरचनाएं उपेक्षा की शिकार

छतरपुर : बुंदेलखण्ड मे अरबों की लागत से बनी जल संरचनाएं उपेक्षा की शिकार
छतरपुर : 567 स्टापडैम के फाटक नदारत , बद्हाल पानी रोक पट्टियॉ औचित्यहीन

छतरपुर, 24 सितंबर (Udaipur Kiran) । छतरपुर जिले मेे जल संरक्षण ,संवर्धन योजना के तहत करोडों रूपये की लागत से निर्मित पांच सौ से अधि स्टापडैम बनाये गये है। लेकिन इनके फाटक नदारत है इन हालातों में विभिन्न जलस्त्रोतों पर बनें स्टापडेमों में इस बार की बारिष का पानी नहीं रूक पायेगा और बहकर जिले से लगी यूपी की सीमा में चला जाएगा। इनके अलावा बद्हाल पानी रोक पट्टियों में खामियों के चलते औचित्यहीन सािबत हो रही है। जिले में जल संरक्षण संवर्धन के उद्देश्य से बीते सालों में लगभग 63 करोड रूपये की लागत से तैयार 567 स्टापडैम और अरबों की लागत से पानी रोक पट्टियॉ शासन की मंशा के विपरीत देखी जा रहें है। बनाए गए स्टापडैमों से पानी रोकने का काम किया जाना था। जिससे जल स्तर के साथ-साथ पेयजल और सिंचाई के लिए सुविधा हो सके किन्तु तमाम उद्देश्य धरे के धरे रह गए। लगभग सभी स्टापडैमों में पानी रोकने के लिए वर्तमान में फाटक नदारत देखे जा सकते हैं।

नतीजतन स्टापडैम औचित्यहीन बने हुए है। ईशानगर विकासखंड के अंतर्गत ग्राम सतना में 48 लाख की लागत से, ग्राम चौका में 13 लाख, मातगुवां में 17 लाख, बिजावर विकासखंड के गुलगंज में 39 लाख, बड़ामलहरा के बंधा में 5 लाख बक्स्वाहा के नैनागिर में 5 लाख, राजनगर के पठाघाट गंज, नौगांव के पुतरया, बारीगढ़ के चंदवारा, बिजावर के कुपी और बांकी गिरौली में लाखों की लागत से स्टापडैम बनाए गए थे। ये स्टापडैम बून्देलखण्ड विशेष पैकेज,मनरेगा योजना के तहत 1 अरब 35 करोड़ से बनाए गए थे। इसके अलावा आरईएस डबल्यूआरडी, वन विभाग, डीपीआईपी, सिंचाई विभाग, सांसद विधायक निधि और ग्राम पंचायतों से निर्माण कराए गए थे। स्टापडैमों में पानी न ठहरने से जिले में पेयजल संकट के साथ-साथ सिंचाई की समस्या बरकरार रहती है।

जल संरचनाओं का निर्माण कराने के बाद जिम्मेदार विभागों द्वारा ना तो इनका निरीक्षण समय-समय पर किया ना ही खामियों के बाद दोषियों पर कार्रवाई। जिले में बारिष का पानी संरक्षित करने के प्रयास नाकाफी होने से बुंदेलखंड सीमा वर्षा जल बहकर लगातार यूपी सीमा में चला जाता है। म.प्र. और उ.प्र. की सीमा पर प्रस्तावित केन-बेतवा लिंक परियोजना पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई के कार्यकाल से लेकर यूपीय सरकार के अब एनडीए तक के कार्यकाल में सिर्फ राजनीति तक सीमित हैं। प्रदेश के पूर्व कृषि मंत्री एवं म.प्र.पिछडा वर्ग आयोग के अध्यक्ष डॉ रामकृष्ण कुसमरिया केन वेतवा लिंक परियोजना को बुन्देलखंड की लाइफ लाइन बताते है उनका कहना है कि यूपीए सरकार के पूर्व केन्द्रीय मंत्री जयराम रमेश इस परियोजना से पर्यावरण संकट का हवाला देकर पर्यावरण मंत्रालय से एनओसी देने में पीछे हटते रहे है जिससे इस महात्वाकॉछी सिंचाई परियोजना को लागू करने में समय लगा है।

बसपा नेता डॉक्टर घासीराम पटेल ने बताया कि खजुराहो संसदीय क्षेत्र के किसानों को खेतों के लिए पानी उपलब्ध कराने लगातार संघर्ष करना पड़ता है। करोड़ो की लागत से बने स्टापडैमों की उपयोगिता सुनिश्चित करने किसी का ध्यान नहीं है। सत्ता और विपक्ष के नेताओं ने दावा किया है कि जल संरक्षण का यह मुद्दा उन्होंने बैठक में कई बार उठाया है। जिला पंचायत सदस्य पति इंदर सिंह बुन्देला का कहना कि फाटक की जगह स्टापडैमों को चार फिट उठाकर बनाया जाना चाहिए था जिससे गहराई रहती और घटिया निर्माण ना हो पाता। उन्होनें चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जिला प्रशासन के माध्यम से स्टापडैम के फाटक लगाने के लिए त्वरित प्रयास किए जाएंगे।

उल्लेखनीय है कि छतरपुर जिले की सीमा में वारिश का पानी संरक्षित करने के प्रयास नाकाफी होने से सीमावर्ती जिले सागर,टीकमगढ़,दमोह और पन्ना सहित समूचे बुन्देलखंड सीमा का वर्षा जल बहकर यूपी सीमा मे चला जाता है। छतरपुर से सागर स्थांतरण होकर जाने वाले कलेक्टर संदीप जीआर ने स्टापडैम में फाटक लगाने निर्देश जारी करने की बात कही है। छतरपुर कलेक्टर पार्थ जैसवाल ने अतिशीध्र स्टापडैमों का सर्वे कराकर छतरपुर में पेयजल और सिंचाई के लिए प्राकृतिक जल का संरक्षण करने के लिए प्रभावी कदम उठाने का दावा किया है।

(Udaipur Kiran) / सौरव भटनागर

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