Uttar Pradesh

95 फीसदी से अधिक कोविड वायरस को रोकने के लिए आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन पर भारतीय पेटेंट प्राप्त

बीएचयू के सेंटर फॉर जेनेटिक डिसऑर्डर्स के शोधकर्ताओं की टीम

-बीएचयू के सेंटर फॉर जेनेटिक डिसऑर्डर्स के शोधकर्ताओं की टीम को मिली सफलता

वाराणसी, 23 सितम्बर (Udaipur Kiran) । SARS-CoV-2 वायरस के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में बीएचयू को एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल हुई है। विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर जेनेटिक डिसऑर्डर्स के शोधकर्ताओं की टीम को एक नए आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन के लिए भारतीय पेटेंट प्रदान किया गया है। इस अनोखे फॉर्मूलेशन में अश्वगंधा और शहतूत के फाइटोमॉलिक्यूल्स का संयोजन किया गया है, जिसने सेल लाइन्स में (SARS-CoV-2) वायरस की वृद्धि को 95फीसदी से अधिक रोकने की प्रभावशीलता दिखाई है। यह खोज कोविड-19 के भविष्य के उपचार के लिए एक प्रभावी विकल्प के रूप में उभर रही है।

प्रोफेसर परिमल दास के नेतृत्व में इस टीम में प्रशांत रंजन (पीएचडी स्कॉलर), नेहा (पीएचडी स्कॉलर), चंद्रा देवी (पीएचडी स्कॉलर), डॉ गरिमा जैन (MPDF), प्रशस्ति यादव (पीएचडी स्कॉलर), डॉ चंदना बसु मलिक (वेलकम ट्रस्ट फेलो) और डॉ भाग्यलक्ष्मी महापात्र (जूलॉजी विभाग,बीएचयू) शामिल हैं। यह सहयोगात्मक प्रयास आयुर्वेदिक फाइटोमॉलिक्यूल्स की आधुनिक चिकित्सा अनुसंधान में क्षमता को भी दर्शाता है।

शोधकर्ता टीम के अनुसार इस कार्य से संबंधित दो अंतरराष्ट्रीय और दो भारतीय पेटेंट दाखिल किए जा चुके हैं। इससे पहले इसी प्रकार के कार्य के लिए दो जर्मन पेटेंट पहले ही दिए जा चुके हैं। यह भारतीय पेटेंट टीम की कड़ी मेहनत का प्रमाण है, जो कोविड-19 महामारी के शुरुआती दिनों से चल रही है। इस फॉर्मूलेशन का आधार अश्वगंधा और शहतूत की चिकित्सीय गुण हैं, जो लंबे समय से आयुर्वेदिक चिकित्सा में उपयोग किए जाते हैं। कोविड वायरस को 95फीसदी से अधिक रोकने में सक्षम यह प्राकृतिक नवाचार अब सेल लाइन्स में सफलतापूर्वक सिद्ध हो चुका है। अनुसंधान का अगला चरण चूहों पर परीक्षण और फिर मानवों में इसके प्रभाव की जांच के लिए क्लिनिकल ट्रायल्स करना है।

प्रो. परिमल दास के अनुसार इस आशाजनक विकास के बावजूद, शोध टीम को वित्तीय चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, खासकर आगे के परीक्षणों और क्लिनिकल ट्रायल्स के लिए जरूरी फंडिंग जुटाने में। फिर भी यह उपलब्धि हमारी शोध टीम की समर्पण और कठिन परिश्रम का प्रमाण है। हम अपनी प्रगति पर गर्व महसूस करते हैं और इस फॉर्मूलेशन की संभावनाओं को लेकर आशावादी हैं।

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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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